नई दिल्ली। विवादित तांत्रिक चंद्रास्वामी जिनके सामने नेता से अभिनेता तक सिर झुकाते थे का आज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। उनकी उम्र 66 साल थी। चंद्रास्वामी कई दिनों से अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल के मुताबिक दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर उनकी मौत मल्टी ऑर्गन फेलियर के चलते हुई। आपको बता दें कि चंद्रास्वामी वैसे तो ज्योतिष और तांत्रिक थे लेकिन नरसिम्हा राव से करीबी के कारण वो पहली बार सुर्खियों में आए थे।
चंद्रास्वामी को तंत्र-मंत्र से ज्यादा राजनीतिक जोड़-तोड़ और हथियारों के सौदागरों से संबंधों के चलते जाना जाता था। जबतक कांग्रेस नेताओं से उनके संबंध अच्छे रहे राजनीतिक गलियारे में उनकी तूती बोलती रही लेकिन जैसे ही कांग्रेस नेताओं ने उनका साथ छोड़ा उनके बुरे दिन शुरु हो गए। गंभीर अपराधों के आरोप के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
भक्तों की लिस्ट में शामिल थे हाई-प्रोफाइल लोग
वैसे तो बड़े-बड़े नेताओं से लेकर अभिनेताओं तक तांत्रिक चंद्रास्वामी के भक्तों की लंबी फेहरिस्त थी लेकिन इनमें एक प्रमुख नाम ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर का भी था। इस संबंध में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वॉकिंग विद लायन्स-टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट’ में लिखा है कि उनके माध्यम से 1975 में वह ब्रिटेन में मार्गरेट थैचर से मिले थे
और उस मुलाकात में ही यह घोषणा कर दी थी कि वह अगले तीन-चार साल में प्रधानमंत्री बनेंगी और यह बात सही साबित हुई।
नरसिम्हा राव के ज्योतिष सलाहकार कहे जाते थे
चंद्रस्वामी सबसे पहले तब चर्चा में आए जब राजीव गांधी सरकार में मंत्री नरसिम्हा राव के ज्योतिष सलाहकार के तौर पर उन्हें जाना जाने लगा, बाद में नरसिंह राव पीएम बन गए। उन्हें इंदिरा गांधी ने कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में विश्व धर्मायतन संस्थान आश्रम बनाने के लिए जमीन अलॉट की थी।
राजीव गांधी हत्याकांड में भी सुर्खियों में रहे
राजीव गांधी हत्याकांड में भी उनका नाम सुर्खियों में रहा। राजीव गांधी हत्याकांड की जांच करने वाले जैन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में चंद्रास्वामी का हाथ बताया था। इसके अलावा चंद्रास्वामी के आश्रम पर इनकम टैक्स का छपा पड़ा था जिसमे मशहूर हथियार तस्कर अदनान खशोगी को 11 मिलियन डॉलर की भारी भरकम रकम अदायगी के सबूत मिले थे।
नेमी चंद था असली नाम
1948 में जन्में चंद्रास्वामी का असल नाम नेमी चंद था। वे जन्म से जैन थे, लेकिन बचपन में ही घर छोड़ दिया था और बाद में तपस्या कर सिद्धी हासिल कर ली थी। वे मां काली के भक्त थे।