Published On : Mon, Oct 27th, 2014

आज से छठ महापर्व शुरू

Advertisement

c6नागपुर: आज से छठ महापर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी पर मनाया जाने वाला हिन्दुओ का पर्व शुरू हो गया है.सुर्युपासना का या अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है.उत्तर भारत के नागरिक नौकरी व व्यवसाय के कारण देश के कोने-कोने में आबाद उत्तर भारतीय समुदाय पूर्ण श्रद्धा के साथ इस पर्व का जतन करता आ रहा है.दीपावली के उपरांत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से यानि आज से इस पर्व की शुरुआत हो गई है.इस चार दिवसीय पर्व का सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात कार्तिक शुक्ल चतुर्थी होती है.इसी कारण इसका नामकरण छठ व्रत हो गया है.सूर्योपासना का यह पर्व पारिवारिक सुख,समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए किये जाते है.लोक परंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छथि मइया का संबंध भाई-बहन का है.लोकमातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य से ही की जाती है.

आज कदुआ-भात
आज पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय-खाय या कदुआ-भात के रूप में मनाया जाता है.सर्वप्रथम घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है.इसके बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते है.घर के सभी सदस्य व्रती के भोजन के उपरांत ही भोजन करते है.भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है.दाल चने की होती है.

खरना
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन-भर का उपास रखने के बाद शाम को भोजन करते है.इसे खरना कहा जाता है.खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के लोगों को निमंत्रण किया जाता है.प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बने चावल की खीर के साथ दूध,चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है.इसमें नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है.इस दौरान पुरे घर की स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है.

c2पहला अर्ध्य
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन छठ प्रसाद बनाया जाता है.प्रसाद के रूप में ठेकुआ,लडुआ आदि बनाया जाता है.साथ ही चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद में शामिल किया जाता है.शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्ध्य का सूप सजाया जाता है.व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब/नदी
किनारे बने घाट पर पहुँच जाते है.सूर्यदेव को दूध और जल अर्ध्य दिया जाता है.छठी मइया के प्रसाद भरे सूप की जाती है.

उदयगामी अर्ध्य
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह पुनः उसी घाट पर पहुँच कर उदयगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.अंत में व्रती कच्चे दूध से बना शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद ग्रहण कर व्रत है.

राजीव रंजन कुशवाहा