Published On : Fri, Aug 13th, 2021

आयुक्त के नाक के नीचे दौड़ाई जा रही सीसी रोड घोटाले की फाइल

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– CE व CAFO कार्यालय का करामात

नागपुर – पिछले 6 वर्षों पूर्व शुरू हुई सीमेंट सड़क फेज-2 टेंडर सह भुगतान घोटाला मनपा अधिकारी – पदाधिकारियों के साए में पूर्ण शबाब पर था। जिसका पर्दाफाश NAGPUR TODAY ने सितंबर 2020 में किया,तमाम सबूत देने के बावजूद आजतक आयुक्त के कानों पर जूं नहीं रेंगना,उनके कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई.इनकी जगह पूर्व आयुक्त वीरेंद्र सिंह,तुकाराम मुंढे या अश्विन मुद्गल का कार्यकाल रहा होता तो मनपा को इतनी जिल्लत झेलनी नहीं पड़ती।दूसरी ओर मुख्य अभियंता और लेखा व वित्त विभाग कार्यालय दोषी ठेकेदार कंपनी का फाइल अंतिम भुगतान के लिए रोजाना एक-एक कदम आगे बढ़ाते जा रहे,इस क्रम में भुगतान से पहले CAFO का हस्ताक्षर होना शेष रह गया है.

सितंबर 2020 में मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा प्रायवेट लिमिटेड और उसके JV पार्टनर मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी द्वारा सीमेंट सड़क फेज-2 का पॅकेज 17 व 18 का टेंडर लेते वक़्त टेंडर शर्तो को पूरी नहीं की,इसके बावजूद मनपा के तत्कालीन पदाधिकारियों के शह पर तत्कालीन सम्बंधित अधिकारियों ने WORK ORDER दे दिया था,इस WORK ORDER को प्राप्त करने के ऐवज में ठेकेदार कंपनी ने कुल टेंडर राशि का 5% DONATION दिया था.

इसके बाद टेंडर शर्त का उल्लंघन कर दोनों पॅकेज का 8 से 9 किस्तों में मनपा वित्त विभाग ने JV के 40% के पार्टनर के मौजूदा खाते में गैरकानूनी रूप से भुगतान भी किए.यह भुगतान राशि करोड़ों में है.

उक्त घोटाले का पर्दाफाश सितम्बर 2020 में हुआ,आयुक्त ने 2 माह बाद एक जाँच समिति गठित की,जिसमें सम्बंधित विभाग ( वित्त व लोककर्म) के ठेकेदार समर्थक आला अधिकारी CE,CAFO,EE(लकड़गंज ज़ोन) को स्थान दिया।इस सब ने मिलकर उक्त ठेकेदार कंपनी को न सिर्फ अबतक बचाए रखा बल्कि उनके अंतिम भुगतान की फाइल को आगे बढ़ाते रहे.

RTI द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बिना इ-गवर्नेंस के वित्त विभाग में बिल कैसे पहुंचा,इस कागजात पर वित्त विभाग का मुहर सह दिनांक 19 मई 2021 अंकित है.इन्हीं कागजातों में यह भी देखने को मिला कि PWD के SE कार्यालय हलचलवार ने 4 मई 2021 को प्रोविजन भी दिया है.
उक्त धांधली में CE और CAFO कार्यालय ने अधिकारी-पदाधिकारी के सहयोग से बड़ा हाथ मारने की कोशिश की है.CE की मध्यस्थता से उनके मानस भाई मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी पार्टनर और दोषी अधिकारी (तब के EE ) ने अधिकारी-पदाधिकारी में लाखों बाँट चुके है.ताकि फाइनल बिल भी मिल जाये और कोई बड़ी कार्रवाई भी न हो.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त धांधली सह सबूत प्रस्तुत होने के बाद आयुक्त कार्रवाई करने के बजाय किसके दबाव में चुप्पी साध नज़रअंदाज कर रहे,क्या ठेकेदार कंपनी द्वारा दबाव बनाया गया या फिर ठेकेदार के समक्ष आयुक्त मनपा प्रशासन को बौना समझ रहे ?