Published On : Sun, Apr 18th, 2021

शांतिधारा करने से पुण्य, धर्म की वृद्धि होती हैं-राष्ट्रसंत आचार्यश्री गुणधरनंदीजी

नागपुर : शांतिधारा करने से पुण्य, धर्म की वृद्धि होती हैं यह उदबोधन राष्ट्रसंत आचार्यश्री गुणधरनंदीजी गुरूदेव ने विश्व शांति वर्धमानोत्सव के अंतर्गत श्री.धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन समारोह में दिया.

गुरूदेव ने कहा धर्म में सुबह उठकर शांतिधारा अवश्य देखें. जो शांतिधारा करता हैं, शांतिधारा देखता हैं, शांतिधारा करवाता हैं उसे धन, धान्य, ऐश्वर्य, बल, कीर्ति, रिद्धि बढ़ जाती हैं, शांति की प्राप्ति होती हैं, मनोकामना पूर्ण होती हैं. जो कामना करता हैं वह अधिक पूर्ण होती हैं. सभी प्रकार के विघ्नों का नाश होता हैं. जो शांतिमंत्र सुनता हैं, शांतिधारा करता हैं, करवाता हैं, घरों में गुंजायमान होता हैं उससे कभी अनिष्ट नहीं होता, विघ्न नहीं आता, धन की, लक्ष्मी की समृद्धि होती हैं और कुछ कम नहीं पड़ता. पाप शांत हो जाते हैं. पुण्य की वृद्धि होती हैं और धर्म की वृद्धि होती हैं.

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यश की, लक्ष्मी की वृद्धि होती हैं. शांतिधारा सुनने से आयु की वर्धता होती हैं. गोत्र की, वृद्धि, वंश परंपरा की वृद्धि होती हैं. शांतिधारा करने से कुल की वृद्धि होती हैं. हजारो काम छोड़कर एक बार खाना खाये, लाख बार खाना छोड़कर एक बार प्रभु के पूजा में भाग ले, उससे आपका जीवन का उद्धार होगा. संसार परमात्मा के सिवाय कोई करनेवाला नहीं हैं, पार लगानेवाला कोई नहीं हैं. शांतिधारा देखनेवाले का कल्याण होता हैं.

दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरूदेव ने कहा महावीर होंगे तो महाविनाश नहीं होगा, महाविकास होगा. शांतिधारा अमृत हैं, शांतिधारा देखे और सुने. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया. श्री. नवग्रह शांति विधान में सुनील, पूनम, साहिल, गुंजन जैन, सतीश, निशु, शुभम जैन, कोमल, राहुल, गौरी, चिराग, मंगला, विजय साहूजी, प्रवीण, अर्चना काला, मनोज, राखी, कुणाल, सुरभि गंगवाल ने सहभाग लिया.

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