सत्तापक्ष नेता जोशी व स्थाई समिति सभापति कुकरेजा के संयुक्त प्रयास से अनुमानित बजट पूर्णता की ओर
नागपुर: मनपा आयुक्त वर्ष २०१८-१९ का संशोधित व वर्ष २०१९-२० का प्रस्तावित बजट स्थाई समिति के नए सभापति को पेश करने वाले हैं. इस सन्दर्भ में आगामी स्थाई समिति की बैठक में चर्चा हो सकती है. पिछले कुछ वर्षों की तर्ज पर वर्तमान आर्थिक वर्ष के सभापति के बजट पर कैंची चलना निश्चित है. अब तक का अनुभव यह भी रहा है कि प्रत्येक वर्ष आयुक्त के सुधारित व प्रस्तावित बजट में अंकित आंकड़ों का टार्गेट आसपास नज़र आया.
ज्ञात हो कि पिछले ५ वर्षों में लोकलुभावन बजट पेश कर खुद की पीठ थपथपा ली गई, लेकिन आय के ठोस नए व पुराने स्रोत को मजबूत नहीं करने से समिति और प्रशासन-सत्तापक्ष असफल रहा. साथ ही चुंगी, एलबीटी बंद होने से मनपा की आर्थिक स्थिति चरमरा गई. ऐसे में इस वर्ष मनपा का अस्तित्व बचाने के लिए राज्य सरकार को मदद के लिए आगे आना पड़ा.
वर्ष २०१४-१५ में स्थाई समिति ने १६४५.२६ करोड़ का बजट पेश किया था. तत्कालीन आयुक्त ने संशोधित व प्रस्तावित बजट पेश करने के दौरान ३०० करोड़ की कटौती करते हुए १३४१.५५ करोड़ का संशोधन किया. इसके बाद से वर्ष २०१७-१८ तक ५०० से ९०० करोड़ की कटौती होती रही. बावजूद इसके स्थाई समिति, प्रशासन ने नए आय के स्रोत ईजाद करने में कोई रुचि नहीं दिखाई. लेकिन प्रत्येक वर्ष आय से अधिक का बजट पेश किया जाता रहा.
पिछले ५ वर्षों में मनुष्य बल की घटती संख्या में समिति ने संपत्ति कर, नगर रचना, बाजार, जल कर वसूली का टार्गेट बढ़ाते रहा. लेकिन अब तक उम्मीदों पर पानी फिरता रहा. नागरिकों ने भी नियमित कर न भर कर मनपा को आर्थिक अड़चन में डालते रहे.
वर्तमान आयुक्त की संशोधित व प्रस्तावित बजट की वास्तविकता पर सभी की नज़र गड़ी है. वहीं वर्तमान स्थाई समिति सभापति के कार्यकाल में ३१ जनवरी २०१९ तक १६८६ की आय हो चुकी है. जिसमें सरकारी विशेष अनुदान सह बढ़े जीएसटी का अनुदान शामिल है. शेष २ माह में १२०० करोड़ का टार्गेट पूरा करने की उम्मीद वर्तमान स्थाई समिति सभापति विक्की कुकरेजा को है.
यह भी सत्य है कि सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी और स्थाई समिति सभापति विक्की कुकरेजा के संयुक्त प्रयासों से इस बार पिछले ५ वर्षों के मुकाबले आय में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की है.
आय के स्रोत बढ़ाने के कई उपाय सुझाए गए
उल्लेखनीय यह है कि आय बढ़ाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक किशोर जिचकर ने वर्तमान आयुक्त को कई उपाययोजना दिए, लेकिन आज तक उन पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. इनमें विकासकार्यों का सोशल ऑडिट, मनपा का लैंड ऑडिट, नासुप्र के फ्लैट्स ‘बुक एडजस्टमेंट’ के तहत अधिग्रहित और जन उपयोगी खुली जगह पर हॉकर्स को स्थान देकर आय के स्त्रोत मजबूत करने की सलाह दी गई थी
मनपा हित में थी कुकरेजा की जिद्द
नासुप्र को मनपा में शामिल करने के पूर्व नासुप्र जनता/बिल्डर/ले-आउट धारकों से करोड़ों में विकास निधि डेढ़ दशक से वसूलते आ रही है, लेकिन विकास करने में आज तक नासुप्र प्रशासन आनाकानी कर रही है. ऐसे मामलों का बोझ मनपा प्रशासन को उठाने की नौबत आन पड़ेंगी, इसलिए मनपा आयुक्त ने नासुप्र से जमा विकास निधि से विकास करवाने के बाद या फिर जमा विकास निधि भी समाहित के दौरान लेनी चाहिए. ऐसे ही कुछ मसलों को लेकर गुरुवार शाम नासुप्र सभापति और विश्वस्त कुकरेजा के मध्य तनातनी हुई, जिसकी मध्यस्थता मनपा आयुक्त ने की.
वित्त विभाग में धांधली, ठेकेदार वर्ग काट रहे चक्कर
मनपा वित्त विभाग में मनपा का मूल व स्थाई अधिकारी नहीं होने के कारण मनपा की विकास निधि से काम करने वाले ठेकेदारों अनेकों आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है. पहले जोन के कनिष्ट अभियंता ६-६ महीने ठेकेदारों के बिल तैयार नहीं करते थे, फिर वित्त विभाग में इतने ‘टेबल’ हैं कि प्रत्यक्ष ठेकेदार उपस्थित नहीं रहने पर फाइलें गुम हो जाती करती थी. या फिर कई बार गायब कर दी जाती. अर्थात वित्त विभाग में बड़े कमीशन के चक्कर में २-२ महीने फाइलें जमा रहती. आज भी कई दर्जन फाइलें महीनों से दिग्गज अधिकारियों के कक्ष में जमा है.
जिसका सौदा नहीं होता, उसके फाइलों में खोट निकाले जा रहे है. फिर ठेकेदार वर्ग जबरन निकाली गई त्रुटियों को सुधारने के लिए विभाग प्रमुख या फिर कार्यकारी अभियंताओं के चक्कर काटते देखे गए. यह भी नज़र आया कि कार्यकारी अभियंता ठेकेदारों को यह कह कर फटकार लगा रहे हैं कि वित्त विभाग की मनमानी के फेर में एक ही काम को दोबारा करने पड़ रहे हैं. इसलिए ठेकेदारों ने प्रभारी मुख्य वित्त अधिकारी से मांग की है कि अकारण परेशानी से बचाए, क्यूंकि उन तक वित्त विभाग के ५ टेबल से होकर फाइलें आती हैं. क्या वे लापरवाही कर रहे या फिर कमीशन के लिए अटकाई जा रही.
अटके भुगतान के कारण ठेकेदारों के बैंक खाते ‘एनपीए’ होते जा रहे है. डिफाल्टर होने से बचने के लिए निजी ब्याज देने वालों से कर्ज लेकर मामला टाला जा रहा है.
एलईडी फिटिंग का टोटा,विभाग सुस्त
सभापति कुकरेजा ने मनपा ऊर्जा विभाग के आश्वासन पर लाख से अधिक एलईडी फिटिंग नई और पुराने खम्बों के फिटिंग बदलकर एलईडी में परिवर्तित करने की घोषणा कर दी. इस क्रम में नए-नए खंबे भी खड़े हो गए लेकिन एलईडी फिटिंग न होने से पिछले एक सप्ताह से विभाग का कामकाज ठप्प हो गया है. जोनल बिजली विभाग इस मामले में मुख्यालय स्थित बिजली विभाग पर दिखा रहा तो मुख्यालय ठेकेदार से उपलब्ध करवाने का आश्वासन देकर समय काट रहे.