Published On : Fri, Jun 30th, 2017

आ. सुधाकर कोहले ने अपनी संपत्ति छुपाई, एवं झूठा प्रतिज्ञापत्र किया प्रस्तुत !


नागपुर: भारतीय जनता पार्टी के शहर अध्यक्ष आ. सुधाकर कोहले द्वारा 2014 विधानसभा चुनाव में अपनी संपत्ति का झूठा प्रतिज्ञापत्र दाखिल किये जाने की बात सामने आने से खलबली मच गयी है. उन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी चुनाव आयोग तथा जनता से छुपाते हुए उन्हें फसाया है.

इस सन्दर्भ में प्लॉट नंबर 201 अ, जानकीनगर, रिंग रोड के निवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोरेश्वर दादाजी घाडगे की शिकायत अर्जी को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग ने इस अर्जी को उचित कार्यवाही हेतु भेजने के आदेश स्वीय सहायक अ. गो. परब को दिए थे. परब ने इस शिकायत अर्जी को तहकीकात के लिए प्रमुख चुनाव अधिकारी सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय मुंबई भेजा.

घाडगे ने अपनी अर्जी में कहा है की, किस तरह अपनी माँ से बाजारभाव में अधिक दाम पर खरीदी गयी संपत्ति को कोहलेने पुश्तैनी करार दिया है. यह झूठा विवरण उन्होंने कलम नंबर 7 के ब्लॉक में दिया है. दुय्यम निबंधक कार्यालय कलमेश्वर, तहसील नागपुर में दस्त क्र 13/2016 दि. 4 जानेवारी 2010 को मुद्रांक शुल्क 8 हजार 100 रुपये एवं पंजीकरण शुल्क २ हजार १०० रुपये अदा करके यह व्यवहार हुआ है. इस तरह अपनी माँ से खरीदी हुयी संपत्ति को पुश्तैनी बता कर कोहलेने जनता को फसाया है.

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प्रतिज्ञापत्र के अगले ब्लॉक में उन्होंने चिखली खुर्द खसरा क्र.12/2 में 3 स्क्वेयर फ़ीट प्लाट दर्शाया. लेकिन इस भूखंड के ख़रीदे जाने से लेकर अब तक इस का टैक्स कोहलेने नहीं चुकाया है. और चुनाव में उतरते समय ये जरुरी है की, उम्मीदवार पर कोई भी कर बकाया न हो. तो इस लिहाज से कोहले दोषी साबित होते हैं.

साथ में कोहलेने स्थावर संपत्ति अकृषक भूखंड क्र. २०१ एवन क्षेत्रफल 1654 स्क्वेयर फ़ीट मौजा चिखली खुर्द खसरा नंबर 12 /1 वार्ड नं 20 दिनांक 08 जून 2012 को दुय्यम निबंधक कार्यालय, नागपुर शहर यंहा किये हुए दस्त के अनुसार अपने एवं पत्नी के ना पर 12 लाख 11 हजार 111 रुपये देकर खरेदी किये जाने की बात कागजात जांचने के उपरांत सामने आयी है. इसी प्रकार मौजा चिखली खुर्द खसरा क्र.15 / 2 संत ज्ञानेश्वर गृहनिर्माण संस्था के लेआउट में भूखंड क्र. 64 दिनांक 19 जून 2010 को दुय्यम निबंधक क्र. 2 दस्त क्र. 2505 /2010 को खुद के नाम से ख़रीदा है.इसे उन्होंने 2012 के मनपा चुनाव प्रतिज्ञापत्र में दर्शाया है लेकिन २०१४ के विधानसभा चुनाव के प्रतिज्ञापत्र में इन दोनों सम्पत्तियों की जानकारी नदारद है.

इतना ही नहीं संत ज्ञानेश्वर लेआउट के भखंड पर तो 21 नवंबर 2015 को उन्होंने नागपुर सुधार प्रन्यास की ओर से बिल्डिंग परमिट भी लिया है, फिर इसे चुनाव प्रतिज्ञापत्र में ना दर्शाना एक ढोंग नहीं तो क्या है ? तथापि कोहले सत्तापक्ष के प्रतिनिधि होने के कारण इस प्रकरण को दबाये जाने की आशंका जताते हुए मोरेश्वर घाडगे ने चुनाव आयोग को तुरंत कारवाई करने की मांग राखी थी. इस पर चुनाव आयोग ने उन्हें कोर्ट में अपील करने की सलाह दी है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, घाडगे ने कोहले के खिलाफ कोर्ट में जाने की पूरी तैयारी कर ली है.

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