Published On : Mon, Aug 16th, 2021

भेल की पेटीफर्म ने गरीब ठेकेदार का हक में डाका डाला

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– न्यायालय का दरबाजा खटखटायेंगे

कोराडी– कोराडी स्थानीय विधुत परियोजना मे कार्यरत वरिष्ठ अभियंताओं एवं भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि.(BHEL)के अधिकारियों द्वारा अपने ही उप कान्ट्रक्टर के साथ बेईमानी पर उतारू हो गया है। न्याय न मिलने पर अन्याय ग्रस्त उप-ठेकेदार ने आर्थिक तंगी और कर्जबाजारी से परेशान होकर सरकार से स्वेक्षा मृत्यु की अनुमति मांगी है। जिसे लेकर भेल मुख्यालय मे हलचल तेज हो गई है।

शिकायत के मुताबिक विगत 2015-2016 मे महानिर्मिति कोराडी के पुराने विधुत संयत्र कमांक 6 का नूतनीकरण का ठेका करीबन 6 सौ करोड रुपये की लागत से भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(भेल) को प्राप्त हुआ था।

बताते हैं कि यंत्र मिशनरियों और तकनीकि कर्मचारियों के अभाव मे भेल के अधिकारियों ने इस कार्य का ठेका नोयडा की मेसर्स गोल्डन ऐज इंजीनियरिंग प्रा.लि.को ई-निविदा तहत ठेका दिया था।जिसमे पुराने संयत्र को हटाने व संयत्र नूतनीकरण के कार्यों का समावेश है।उधर भेल की इस पेटी कंपनी ने फरवरी 2016 में कार्य की शुरुआत की थी।

बताते है कि भेल अधिकारियों की सिफारिश पर इस कार्य का कुछ हिस्से का कार्य उप ठेकेदार मेसर्स ऐपी इंजिनियरिंग वर्कस् को पेटी मे दे दिया और ऐपी इंजी. वर्कस् द्वारा युद्ध स्तर पर पुराने संयत्र को काट-पीटकर हटाने का कार्य गत 2016 मे ही पूर्ण करके नूतनीकरण का कार्य शुरु किया ही था।
बताते हैं कि आपसी रंजिशें के चलते ईमानदार पेटी फर्म मेसर्स ऐपी इंजनों वर्कस् का कार्य बीच मे ही छीन लिया गया। अन्यायग्रस्त फर्म पार्टनर सत्यदेव पटेल व मोहनदास सरकार की ईमानदारी और कर्तव्यदक्षता से छुब्ध होकर मेसर्स गोल्डन ऐज इंजीनियरिंग प्रा. लि. के इंचार्ज ने यह दुसाहस किया अनावेदक गोल्डन कंपनी इंचार्ज का मानना था कि दो-तीन साल तक चलने वाले कार्य को ऐपी इंजी. वर्कस् ने मात्र 7 महीनो मे ही यह कार्य पूर्ण कर लिया ?
आज के जमाने मे ज्यादा ईमानदारी भी कोई काम की नही है।खुन्नस की भावनाओं के आवेश में आकर महानिर्मिती अधिकारी और भेल के इंचार्ज के इशारे पर मेसर्स गोल्डन ऐज इंजी. प्रा. लि. के प्रोजेक्ट मैनेजर सदानन्द चोलकर ने सुनियोजित षडयंत्र के तहत मेसर्स एपी इंजी वर्कस् को किये गये कार्यों का चुकता हिसाब का भुगतान किये बिना ही यह ठेका छीनकर किसी अनुभवहीन ठेकेदार को दे दिया गया।

अन्यायग्रस्त कंपनी पार्टनर सत्यदेव पटेल पेशे से फिटर ट्रेड तथा मोहनदास सरजाल यह अनुभव कुशल हाईप्रेशर वेल्डर भी है उन्होने कर्जबाजारी करके अपने श्रमिकों को पगार का भुगतान किया था।परंतु मुख्य मालिक महानिर्मिती की निर्माता फर्म भेल और गोल्डन कंपनी अपने उप-ठेकेदार के कार्यो का भुगतान करने मे टाल-मटोल रवैया अपना रहे है.

अन्यायग्रस्त गरीब ठेकेदार अपने किये कार्यों का भुगतान पाने के लिये महाराष्ट्र शासन,महानिर्मिति और भेल अधिकारियों के कार्यालयों मे डेढ साल तक चक्कर काटते रहे है । परंतु भेल के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर रविन्द्र डोंगरे और गोल्डन इंजि. के इंचार्ज शेख मशरुर का मन पसीजा नही ? इस सबंध में भेल अधिकारी हेड आफिस भी टालमटोल रवैया अपना रहा है।

अन्यायग्रस्त उप-ठेकेदार सत्यदेव पटेल व मोहनदास सरकार ने बताया कि इस सबंध मे भेल के कार्यपालक निदेशक श्री सुब्रह्मण्यम भेल के साईट आफिस कोराडी पंहुचकर स्पष्ट रुप से मौखिक निर्देश दिये थे कि इस इमानदार और गरीब कान्ट्रक्टर एपी इंजि.का भुगतान जल्द करवा दिया जाये। मेहनतकश और ईमानदार लोगों को इस प्रकार तंग करना ठीक नही होगा। इस मौके पर वहां भेल की मुख्य पेटी कंपनी मेसर्स गोल्डन इंजि. का साईट इंचार्ज मशरुर तथा भेल के साईट इंचार्ज रविन्द्र डोंगरे मौजूद थे।
बताते हैं कि भेल के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर रविन्द्र डोंगरे और गोल्डन इंजि. के इंचार्ज मशरुर ने साठगांठ के तहत भेल के कार्यपालक निदेशक सुब्रह्मण्यम के आदेश को ठुकरा दिया ।

बाद मे भेल आफिसर रविन्द्र डोंगरे सेवा से निवृत हो गये और निर्माण कार्य पूरा होते ही गोल्डन इंजि. के इंचार्ज मशरुर भी अन्यत्र साईट मे अपना तबादला करवा लिया। उधर अन्यायग्रस्त उप ठेकेदार एपी इंजि. पार्टियों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऊर्जा मंत्री डा नितिन राऊत,गृहमंत्री अनील देशमुख प्रधान ऊर्जा सचिव व महानिर्मिति के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर न्याय दिलाने तथा न्याय न मिलने पर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है ।

बताते हैं कि कर्जबाजारी और आर्थिक तंगी से मानसिक तनाव ग्रस्त मोहनदास सरजाल का गत 28अक्टूबर 2019 को बिलासपुर मे अपने वाहन से गिरकर बुरी तरह जख्मी हो गया था जिसे उपचारार्थ बिलासपुर मे भर्ती किया गया था बाद मे उसे धंतोली नागपुर स्थित एक निजी अस्पताल मे भर्ती किया गया था।आज भी उसका उपचार शुरु है।बारंबार निवेदन और फरियाद के बावजूद भी महानिर्मिति और भेल के अधिकारी टाल-मटोल जबाव देकर असलियत से महानिर्मिति मुख्यालय को गुमराह कर रहे है.

क्या कहते है अधिकारी
उधर महानिर्मिति कोराडी विद्युत केन्द्र के मुख्य अभियंता राजकुमार तासकर ने बताया कि इस प्रकरण के सबंध मे उन्होने भेल को आगाह कर मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने की बात कही गई थी परन्तु गरीब ठेकेदार को न्याय नहीं मिल पा रहा है।

उधर भेल के प्लानिंग प्रकल्प प्रबंधक के.के. मिश्रा कहते है कि उप ठेकेदार एपी इंजि. यह भेल के पेटी कान्ट्रक्टर नही है। फिर भी उन्हे योग्य न्याय के लिये भेल के मुख्यालय से संपर्क शुरु है यह कहकर मामले को टालाया जा रहा है।

गरीब उपठेकेदार सत्यदेव पटेल और मोहनदास सरजाल की माने तो उन्होंने कर्जबाजारी करके अपने मजदूरों का पगार वितरण करवाया तथा अपने श्रमिकों को दुकानो से उधारी मे किराना सामान खरीदकर दिलाया था।

उन्होंने आगे बताया कि महानिर्मिति के तरफ भेल का 50 करोड रुपये भुगतान बकाया है।उन्होंने जल्द न्याय न मिलने पर कानून के अनुसार इस विधुत संयत्र क्र.6 के मुख्य मालिक महानिर्मिति के मुख्य अभियंता और उप मुख्य मालिक भेल के खिलाफ मुबई उच्चन्यायालय नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर करने की बात दोहराई है।इसके लिये उन्होंने विधि न्याय प्राधिकरण के समक्ष ध्यानाकर्षण याचिका दायर करने की तैयारियां पूरी कर ली है.