
Bhayyalal Bhotmange (File Pic)
नागपुर : खैरलांजी हत्याकांड के एकमात्र गवाह और परिवार को न्याय दिलाने के लिए आखरी वक्त तक संघर्षरत भैयालाल भोतमांगे का शुक्रवार को निधन हो गया। नागपुर में काँग्रेस नगर स्थित श्रीकृष्ण हृदयालय अस्पताल में भैयालाल ने आखिरी साँस ली। शुक्रवार को भंडारा स्थित अपने आवास में लगभग 1 बजे उन्हें चक्कर आया जिसके बाद सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी ने उन्हें जिले के सरकारी अस्पताल में पहुँचाया। भैयालाल की स्थिति को नाजुक बताते हुए डॉक्टर ने उन्हें नागपुर रेफर किया, जिसके बाद उन्हें श्रीकृष्ण हृदयालय अस्पताल में भर्ती कराया गया, श्रीकृष्ण हृदयालय में उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।
चिकित्सकों के अनुसार भैयालाल की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई। उन्हें इससे पहले भी एक बार दिल का दौरा पड़ा था। उनकी मृत्यु की खबर पाकर दलित आंदोलन से जुड़े कई नेताओं का अस्पताल में तांता लग गया। जोगेंद्र कवाड़े खुद अस्पताल में मौजूद रहे।
19 सितंबर 2006 को भैयालाल समूचे परिजनों को खैरलांजी स्थित उनके गाँव के ही दबंगो ने मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद से ही वे परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत थे। मामले की त्वरित सुनवाई के लिए भंडारा जिला सत्र न्यायलय में गठित फ़ास्ट ट्रक कोर्ट ने 8 आरोपियों को फाँसी की सजा सुनाई थी।
जिसके बाद मामला नागपुर स्थित मुम्बई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ पहुँचा। जहाँ अदालत ने 8 में से 6 आरोपियों की फाँसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया और 2 आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले से असंतुष्ट कई दलित संगठनों और खुद भैयालाल भोतमांगे केस को सुप्रीम कोर्ट ले गए जहाँ मामला विचाराधीन था। भैयालाल को राज्य सरकार ने चतृर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी में नियुक्त किया था। पिछले साल 31 मार्च 2016 को उन्हें एक वर्ष का एक्सटेंशन दिया गया था।