Published On : Wed, Sep 27th, 2017

आरएसएस से जुड़ा मजदूर संगठन भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से नाराज

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File Photo

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था को ‘गलत दिशा में ले जाने के लिए’ मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरएसएस से जुड़े श्रम संगठन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘मौजूदा सुधार प्रक्रिया को वापस’ लेने व बिना रोजगार वाली ऐसी वृद्धि पर ‘अतिरिक्त जोर’ दिए जाने को रोकने का आग्रह किया, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने एक बयान में सरकार से ‘अर्थव्यवस्था की गिरावट रोकने के लिए’ श्रम से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की गतिविधियों के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने की मांग की है. नारायणन ने कहा, “मौजूदा सुस्ती (अर्थव्यवस्था की) रोजगार छीनने वाले सुधार और अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जाने का नतीजा है और यह सब कुछ पूर्ववती संप्रग सरकार की नीतियों का ही जारी रहना है.’

उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे इरादों व प्रयासों को सही विशेषज्ञों की कमी, संचार की कमी, सामाजिक क्षेत्रों से फीडबैक की कमी, गलत सलाहकारों पर निर्भरता और दिशाहीन सुधारों ने विफल कर दिया है.’

उन्होंने बयान में कहा कि सरकार ने बेरोजगारी को कम करने के जिन उपायों पर अतिरिक्त जोर दिया है, उससे बेरोजगारी कम होने की बजाय बढ़ रही है व रोजगार कम हो रहे हैं. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) ने पहले ही हमारे सूक्ष्म व लघु उद्योग व साथ ही खुदरा व्यापार क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया हुआ है. बैंकिंग गतिविधियों सहित सरकार की बहुत सारी वित्तीय गतिविधियां धीमी हो रही हैं.

सरकार से मौजूदा सुधार प्रक्रिया वापस लेने का आग्रह करते हुए नारायणन ने सरकार से रोजगार सृजन करने के लिए भर्ती प्रक्रिया से प्रतिबंध हटाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘आम आदमी की क्रय शक्ति को मजबूत करना हमारी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने का मुख्य समाधान है.

किसी भी प्रोत्साहन पैकेज को निजी व कॉरपोरेट क्षेत्र को नहीं दिया जाना चाहिए. प्रोत्साहन पैकेज सीधे तौर पर तीन सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों-कृषि, लघु उद्योग क्षेत्र (विनिर्माण क्षेत्र सहित) व निर्माण क्षेत्र को मिलना चाहिए.’

नारायणन ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई ग्रामीण रोजगार की योजना मनरेगा आज के समय में कई राज्यों में गंभीर संकट में है क्योंकि छह महीने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, “सरकार को मनरेगा का कार्य दिवस मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर 200 दिन प्रति वर्ष करना चाहिए व इसे कृषि कार्यो से जोड़ना चाहिए. इसमें अगले कार्य दिवस में मजदूरों के खातों में भुगतान को सीधे तौर पर दिया जाना चाहिए. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संकट को कम करेगा.’ उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र बदहाल है और इसे अधिक सब्सिडी व कर्जमाफी के जरिए उबारा जाना चाहिए. उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में सरकार की जोरदार दखलंदाजी की मांग की और कहा कि इस क्षेत्र में निजी नहीं बल्कि सरकारी निवेश अर्थव्यवस्था को सहारा देगा.