गोंदिया: गोंदिया भंडारा लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद उम्मीदवारों की किस्मत मत मशीनों में बंद हो चुकी है और अगले 45 दिनों तक सभी की निगाहें इस संसदीय सीट के रिजल्ट पर लगी हैं।
हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज करने को लेकर भाजपा ने पूरी ताकत लगाई तथा गृहमंत्री अमित शाह , बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा , उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस , राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल , रामदास अठावले सहित दर्जन भर से अधिक बड़े नेताओं की सभाएं ली गई।
भाजपा के चुनाव प्रचार के मुकाबले कांग्रेस ने राहुल गांधी की प्रचार सभा ली तथा बाकी का मोर्चा अकेले प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने ही संभाले रखा, राजनीति की जानकारों के मानें तो कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प है और हार जीत का फैसला 25 से 50 हजार के अंतर से होगा।
इस बार के चुनाव में अलग राजनीतिक ‘ ट्रेंड ‘ देखने को मिला , विरोधी वोट इकट्ठा गिरे
इस बार के चुनाव में एक अलग राजनीतिक ‘ ट्रेंड ‘ देखने को मिला चुनावी मैदान में नए चेहरे की जगह बीजेपी ने सुनील मेंढे को ही मौका दिया जिसे लेकर मतदाताओं में खास रोष देखा गया वहीं कांग्रेस ने नए चेहरे की रणनीति के साथ डॉ. प्रशांत पडोले को मैदान में उतारा जिसपर दलित , आदिवासी , मुस्लिम और ओबीसी पवार समाज के वोटरों ने भरोसा जताया और बड़े पैमाने पर कांग्रेस के पक्ष में इकट्ठा वोट गिरे।
ग़ौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस , शिवसेना तथा जो भाजपाई सुनील मेंढे को निष्क्रिय करार दे रहे थे उन्होंने भी ‘ कमल निशान ‘ के पक्ष में वोट नहीं किया जिसे लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और उसके उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई है।
रिपीट चेहरे से बढ़ी बीजेपी की मुश्किलें , किसे मिलेगी जीत ?
पहले चरण के भंडारा- गोंदिया लोकसभा के लिए मतदान पूरा हो चुका है , पिछली बार की तुलना में इस बार भाजपा समर्थित मतदाताओं में कम उत्साह से राजनीतिक दलों में चिंतन मंथन का दौर शुरू हो गया है।
बीजेपी के लिए बड़े लक्ष्य से जीत हासिल करने की उम्मीद धुंधली हो चुकी है , इसकी सबसे बड़ी वजह रिपीट चेहरे को बताया जाता है जिसने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है वहीं प्रचार और प्रबंधन के काम को लेकर भी भाजपा के भीतर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
औसत मतदान किसका भाग्य चमकता है , होगा इसका फैसला
बता दें कि मतदान के आंकड़ों के आधार पर भाजपा के लिए जीत हार के रणनीति तय होती है , मई 2018 के लोकसभा उपचुनाव में 42.25% के कमजोर मतदान से यह सीट एनसीपी ने भाजपा से छीन ली थी।
2024 के लोकसभा चुनाव हेतु जिला प्रशासन की ओर से गोंदिया कलेक्टर ने 85% मतदान का लक्ष्य निर्धारित किया था लेकिन 66.50 प्रतिशत मतदान ही गोंदिया जिले में संभव हो पाया है जो पिछले 2019 संसदीय सीट के 68.21 से कम है।
लिहाज़ा साढ़े तीन और 4 लाख के अंतर से जीत के बड़े दावों की हकीकत हवा होते नज़र आ रही है।
भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में नाकाम रही वहीं महायुती के सहयोगी दलों के नेता और कार्यकर्ता भी गठबंधन का धर्म निभाने में विफल रहे इसलिए जनता से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने के लिए आग्रह नहीं किया गया उसी का परिणाम है कि अब बीजेपी बेहतर रिजल्ट को लेकर चिंतित है।
इस पर चुनाव के बाद चुटकी लेते कांग्रेस नेता ने कहा -कहावत है अंडे से पहले मुर्गियां नहीं गिननी चाहिए यह बात गोंदिया भंडारा रिजल्ट को लेकर भाजपा पर पूरी तरह से लागू होती है कि विजेता कौन बनेगा ?
चुनाव को हल्के में लेने पर एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने खुलकर कटाक्ष करते- बीजेपी जीत रही है इस मुगालते में मत रहें। हालांकि इतनी जल्दबाजी में ऐसा कहना जल्दबाजी होगी इसके लिए अब रिजल्ट का इंतजार करना होगा।
जीत तो छोड़िए , सम्मानजनक हार को तरसेंगे कई उम्मीदवार ?
जनता के बीच पैठ बनाए बिना ही सीधे चुनावी मैदान में कूदना कई उम्मीदवारों के लिए किरकिरी की वजह बन जाता है , ऐसे स्वयंभू नेताओं को चुनाव में जीत तो दूर 1000 से 2000 वोट मिलने भी मुश्किल हो जाते हैं , इस बार के गोंदिया भंडारा चुनाव में भी 18 में से अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत है जब्त होने वाली है , चुनाव बैलेट पेपर से नहीं ईवीएम से हुए हैं और आज का मतदाता बहुत जागरूक हो चुका है कुछ अनपढ़ ही गलती से बटन दबा देते हैं जो उनके पक्ष में चला जाता है वर्ना सोच समझ कर मतदान करने वालों की संख्या सैकड़ो में भी नहीं।
अगले 45 दिनों तक सभी की निगाहें इस संसदीय सीट पर लगी हैं कि किसे कितने वोट मिलते हैं और कितनों की जमानत है जब्त होती है।
रवि आर्य