Published On : Tue, May 8th, 2018

फरार सफ़ेद के बदले पीली बस पेश कर की जा रही लीपापोती

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नागपुर: राज्य परिवहन विभाग के स्कूल बसों के लिए 27 मानकों का उल्लंघन करने वाली गोंदिया की बालाजी ट्रेवल्स ने पोल खुलते ही पिछले सप्ताह फर्जी स्कूल अपने बस चालक के हाथों वेकोलि प्रबंधन की शह पर गायब करवा दिया था. फिर २ दिन बाद पिली रंग (कंपनी कलर) की गाड़ी पेश की गई. इस लीपापोती पर वेकोलि की वणी नार्थ और न ही नागपुर स्थित वेकोलि मुख्यालय के सम्बंधित दिग्गज अधिकारी की चुप्पी ‘कोयले की दलाली में सभी के हाथ काले’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. दूसरी ओर सीबीआई तक मामला पहुँचने के कारण वेकोलि प्रबंधन लीपापोती कर अपना पल्ला झाड़ने में लीन है.

याद रहे कि २७ अप्रैल को नागपुर टुडे ने उक्त मामले का पर्दाफाश किया था. मामला सार्वजानिक होते ही बालाजी ट्रेवल्स ने नार्थ वणी के खदान कर्मियों के बच्चों को स्कूल आवाजाही के लिए सफ़ेद रंग की स्कूल बस लगाई थी. जबकि स्कूल बस के लिए राज्य परिवहन विभाग के नियमावली के अनुसार पिली रंग सह २७ बिन्दुओं से लबरेज बस होना अनिवार्य है. इस मामले की पोल स्थानीय इंटक नेता आबिद हुसैन ज़हीद हुसैन ने खोल वेकोलि क्षेत्रीय प्रशासन को कानूनन कार्रवाई की मांग कर ही रहे थे कि बालाजी ट्रेवल्स के संचालक ने अपने बस चालक के हाथों वेकोलि अधिकारियों को विश्वास में लेकर बस गायब करवा दी.

आबिद हुसैन ज़हीद हुसैन के अनुसार २८ अप्रैल को बालाजी ट्रेवल्स द्वारा पिली रंग (कंपनी कलर) की गाड़ी नार्थ वणी के सम्बंधित क्षेत्र में भेज दी गई. पुरानी सफ़ेद बस और नई भेजी गई पीली बस वह भी कंपनी द्वारा रंगी गई बस, दोनों अलग-अलग होने का दावा आबिद हुसैन ने किया हैं.इनके अनुसार पुराने सफ़ेद बस के प्रस्तुत कागजात और भेजी गई पिली बस की जाँच की गई तो कई खुलासा हो सकता है.

WCL Yellow Bus
उल्लेखनीय यह है कि वेकोलि के नार्थ वणी क्षेत्र ने एक माह पूर्व खदानों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों के बच्चों को स्कूल आवाजाही के लिए निविदा जारी की गई थी. इस निविदा की शर्तों के अनुसार स्कूल बस आरटीओ में 27 मानकों को पूरा करने के बाद पंजीकृत किया जाता है, साथ ही ये बस भी 54 सीटर होनी चाहिए. अमूमन स्कूल बस में बच्चों को चढ़ने-उतरने के लिए सीढ़ियों में अतिरिक्त पायदान (स्टेप्स) होना अति-आवश्यक है. गोंदिया की चर्चित बालाजी ट्रेवल्स ने यह टेंडर हासिल करने के लिए जोर लगाया. लेकिन वेकोलि के संबंधितों ने सलाह दी कि वे बालाजी के नाम से टेंडर उठाने के बजाय नई फर्म से टेंडर प्रक्रिया में भाग लें. बालाजी ट्रेवल्स समूह के प्रमुख गुप्ता अपनी पत्नी के नाम (व्यंकटेश टूर्स एंड ट्रेवल्स) से फर्जी दस्तावेजों को जमा कर टेंडर हासिल करने में सफल हुए. टेंडर मिलने के बाद गुप्ता ने आरटीओ के नियमों का उल्लंघन करना शुरू किया. यह स्कूल बस 54 के बजाय 51 सीटर और बस पीली की बजाय सफ़ेद दौड़ाई जा रही है. इस बस में खिड़कियों पर 2-2 बार (रॉड) हैं,जबकि स्कूल बस में बच्चों की सुरक्षा के मद्देनज़र 4-4 रॉड होनी चाहिए. उधर गुप्ता ने उक्त बस जिस कंपनी से खरीदी (जायका) उनका कहना है कि बालाजी ट्रेवल्स गोंदिया ने 7-8 माह पहले एक स्टाफ बस बेचीं थी. स्टाफ बस में खिड़कियों पर 2-2 रॉड थी.

आज जब आबिद हुसैन वेकोलि परिसर में उक्त पीली बस का मुआयना करने पहुंचे तो उन्हें जानकारी दी गई कि बस मरम्मत के लिए गई है. उक्त प्रकरण को सीबीआई ने भी गंभीरता से लिया है. समाचार लिखे जाने तक सम्बंधित अधिकारी खदान में निरिक्षण हेतु गए होने के कारण उक्त मामले में उनकी राय उपलब्ध नहीं हो पाई.