नागपुर: राज्य सरकार के एक विभाग के विभागीय प्रमुख ‘एसजे’ पिछले दिनों सेवानिवृत्त हुए. इसके पूर्व वे मुंबई पहुँच नागपुर के एक मंत्री के मार्फ़त सेवानिवृति पूर्व एक पदोन्नति देने की मांग की तो मंत्री ने उनके विभाग के आयुक्त को मामला में सहयोग करने का निर्देश दिया. उक्त आयुक्त ने बिना समय गंवाए मंत्री को जवाब दिया कि इसे पदोन्नति नहीं बल्कि निलंबित किया जाना चाहिए, यह प्रकरण तत्काल यहीं थम गया.
लेकिन इसके तह में जाने पर जानकारी मिली कि उक्त सिफ़ारिशकर्ता अधिकारी सिर्फ और सिर्फ भ्रस्टाचार से घिरा हुआ है. पिछले साल के अंत और वर्तमान साल के शुरुआत के कुछ महीनों में इस अधिकारी की पहल पर परिवहन विभाग में लर्निंग लाइसेंस का रिकॉर्ड तोड़ घोटाला हुआ.
जिस माह यह मामला प्रकाश में आया उस माह के पूर्व पिछले ६ माह में हर माह तकरीबन ८ हज़ार लर्निंग लाइसेंस जारी किए गए. जिसके बदले प्रत्येक से २ हज़ार रुपए लिए गए. इस धांधली का पर्दाफाश होते ही सकपकाए ‘शरदु’ ने अपने कनिष्ठ को बलि का बकरा बना दिया और खुद बच निकला.
‘एसजे’ ने अपने कार्यालय अंतर्गत जितने भी निरीक्षक थे, अपने कार्यकाल में सभी को उड़न दस्ते में शामिल कर बड़े बड़े नाकों पर तैनात कर ओवरलोड और अवैध परिवहन करने वालों से जमकर उगाही की. क्यूंकि ओवरलोड की पाबंदी के बावजूद ओवरलोड के बिना परिवहन न करने वाले ट्रांसपोर्टर परिवहन विभाग को माहवारी नगदी में प्रति वाहन के हिसाब से तय राशि चुकाते हैं.
‘एसजे’ के करीबी बतलाते हैं कि विभाग का कोई भी इस धंधे में धरा न जाए इसलिए सम्बंधित विभाग के संबंधितों को लाखों में अब तक तौला गया है. इसलिए कई अवसरों पर परिवहन विभाग के कर्मी-अधिकारी के गिरबां पर हाथ डाले गए.
‘एसजे’ के हरफनमौला स्वाभाव के कारण इनके लाभार्थी प्रशंसकों ने इनके सेवानिवृत्ति पर आधा दर्जन जगह सत्कार कर लाभार्थियों ने खर्च अदा किया.