Published On : Tue, Aug 8th, 2017

कुख्यात नक्सली को गुजरात पुलिस ने चलती ट्रेन में गोंदिया से किया गिरफ़्तार

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नागपुर:
कुख्यात नक्सली नेता तुषारक्रांति भट्टाचार्य को गुजरात पुलिस की इंटेलिजेंस टीम ने चलती ट्रेन में नागपुर से गिरफ़्तार किया है। इस गिरफ़्तारी के बाद क्रांति की पत्नी सोमा सेन ने इस गिरफ़्तारी को पुलिस द्वारा उसके पति की किडनैपिंग किये जाने का आरोप लगाया है। सोमा ने दावा किया है यह गिरफ़्तारी राज्य व्यवस्था की तरफ़ से ऐसे लोगों को डराने वाली है जो उसके ख़िलाफ़ बोलते है। क्रांति की गिरफ़्तारी के तरीक़े पर हैरानी जताते हुए सोमा ने सवाल किया की जब उसका पति बीते कुछ वर्षो से अपने घर में था तब उसे क्यूँ गिरफ़्तार नहीं किया गया उसने अपने पति पर लगे आरोपों को भी ख़ारिज किया है। अपने पति की बीमारियों का हवाला देते हुए उसे छोड़ने की माँग सोमा ने की है।

वर्ष 2010 में सूरत में हुई घटना के आरोपी कुख़्यात नक्सल नेता तुषारक्रांति भट्टाचार्य को गुजरात पुलिस की इंटेलिजेंस टीम ने नागपुर से गिरफ़्तार किया है। नक्सली नेता को मंगलवार सुबह नागपुर रेल्वे स्टेशन से गिरफ़्तार किया गया। क्रांति की पत्नी राष्ट्रसंत तुकडोजी विश्विद्यालय में अंग्रेजी विभाग की प्रमुख है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गिरफ़्तारी के डर से तुषारक्रांति भट्टाचार्य कलकत्ता में छुपा हुआ था जबकि उसकी प्रोफेसर पत्नी सोमा सेन ने दावा किया है की वह कलकत्ता अपनी बहन से मिलने गया था। सोमा के मुताबिक उसके पति को महाराष्ट्र की सीमा पर सटे गोंदिया में चलती ट्रेन में गुजरात पुलिस ने अपनी कस्टड़ी में लिया। उसका मोबाईल फ़ोन पुलिस ने जप्त कर लिया उसे हवाई मार्ग से गुजरात ले जाने के लिए एयरपोर्ट ले जाया गया जहाँ उसे किसी परिचित को उसकी गिरफ़्तारी की जानकारी देने की इजाज़त दी गई। तब उसने अपने वकील को खुद के गिरफ़्तार होने की बात बताई।

नक्सली आंदोलन का थिंक टैंक है क्रांति
गिरफ़्तार नक्सली नेता क्रांति की पत्नी ने भले ही अपने पति पर लगे आरोपों को ख़ारिज किया हो पर देश भर के कई राज्यों में उसके ख़िलाफ़ दर्ज़ मामले यह साबित करते है की वह देशविरोधी आंदोलन से सक्रिय तौर पर जुड़ा हुआ है। आरोप है की क्रांति और पत्नी दोनों नक्सली गतिविधियों से जुड़े है। इंटेलिजेंस एजेंसी के अनुसार यह दोनों लेफ़्ट की उग्रवादी शाखा से जुड़े थे और नागपुर स्थित अपने निवास से ही नक्सल आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। प्रोफेशन क्षेत्र से जुड़ाव के बावज़ूद सोमा देश विरोधी आंदोलन से जुडी थी जिन पर पुलिस लंबे समय से निगरानी कर रही थी।

क्या है मामला
गुजरात पुलिस तुषारक्रांति की लंबे समय से खोजबीज कर रही थी। वर्ष 2010 में सूरत और नवसारी जिले में आदिवासी इलाकों में हुई वारदातों में उसकी सक्रिय भूमिका थी। कलकत्ता से नागपुर के लिए गीतांजलि एक्सप्रेस में सफर कर रहे क्रांति को नागपुर से गिरफ़्तार कर गुजरात पुलिस की इंटेलिजेंस टीम नागपुर एयरपोर्ट ले गई जहाँ से गुजरात पहुँचकर उसे अदालत से समक्ष पेश किया जाएगा। इसी मामले में दो अन्य आरोपी श्रीधर श्रीनिवासन और वर्णन गोंसाल्विस भी आरोपी है। श्रीधर की अब मौत हो चुकी है जबकि वर्णन ज़मानत पर रिहा है। श्रीधर की मौत के बाद विदर्भ में बाकायदा नक्सलियों द्वारा पत्रक वितरित किये गए थे जिसमे उसे आंदोलन का सच्चा साथी बताया गया था। क्रांति के खिलाफ गुजरात एटीएस ने धारा 121 (A ),154 IPC,UAPA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पहले भी हुई है क्रांति की गिरफ़्तारी
क्रांति को इससे पहले भी वर्ष 2007 में पटना से स्पेशल टाक्स फ़ोर्स ने हंथियारों के जख़ीरे के साथ गिरफ़्तार किया था हालांकि बाद में उसे इस मामले में जमानत मिल गई। आरोप है की माओवादी नेता उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और बिहार में भी सक्रिय रहा है। 1976 में आँध्रप्रदेश के तप्पालापुर गाँव में हुई घटना के बाद उसे गिरफ़्तार किया गया था। हैदराबाद जेल से छूटने के बाद वह अपनी पत्नी के साथ नागपुर में रहकर नक्सल वारदातों के आरोपियों की विभिन्न तरीकों से मदत कर रहा था।

प्रोग्रेसिव लोगों को निशाना बना रही है सरकार
क्रांति की पत्नी का दावा है की गुजरात में जिस मामले में उसे आरोपी बनाया गया है वह उस समय हैदराबाद की जेल में बंद था। 2007 से 2013 के दौरान वह सज़ा कांट रहा था ऐसे में वो कैसे मामले में शामिल हो सकता है। गुजरात पुलिस द्वारा उसे आरोपी बनाए जाने की खबर पाकर उसने खुद 9 मई 2011 और 22 जुलाई 2011 को गुजरात की स्थानीय अदालत को पत्र लिखकर मामले में सुनवाई की अपील की थी। सज़ा कांटने के बाद वह फ़रवरी 2013 से नागपुर में वह सोमा के साथ ही रह रहा था। 52 वर्षीय क्रांति को लेकर उसकी पत्नी का दावा है की वह 70 के दशक में पढाई के दौरान स्टूडेंट एक्टिविस्ट बन से गया। उस पर अब तक किसी मामले में प्रत्यक्ष सहभागिता का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। किसी विचारधारा से जुड़ाव रखना और आरोपों में शामिल होना अलग़-अलग बात है। मैं इस घटना का निषेध करती हूँ क़ानूनी रास्ते और जनता के बीच जाकर उसके लिए न्याय माँगूगी। प्रोग्रेसिव लोगो का मुँह बंद करने का प्रयास हो सकता है। उच्च न्यायालय से सज़ायाफ़्ता प्रोफ़ेसर साईबाबा का उदहारण देते हुए सोमा ने कहाँ कि हो सकता है जिस तरफ़ उन्हें राजनितिक दबाव के चलते फसाया गया वैसे ही क्रांति को भी फसाया जा रहा हो। सोमा ने न्याय व्यवस्था और जाँच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव का भी आरोप लगाया।

क्रांति के साथी सामाजिक कार्यकर्त्ता और अभिनेता वीरा साथीदार ने गिरफ़्तारी का विरोध किया। वीरा के मुताबिक वह इन दिनों लिखने पढ़ने के काम में लगा हुआ था। जेल से रिहाई के बाद उसने शहर के एक प्रतिष्ठित अखबार के साथ जुड़कर कुछ समय पत्रकारिता भी की। क्रांति का पुलिस ने अपहरण किया है जो गैरकानूनी है। आइडियोलॉजी को अपनाना और अपराधी होने में फ़र्क होता है।

बीमारी की दलील दे कर रिहाई की माँग
पति पर लगे आरोपों को ख़ारिज करते हुए क्रांति को छोड़ने की अपील पत्नी सोमा ने की है। क्रांति को रीढ़ की हड्डी का वात,वात और दमे की शिकायत है। सोमा ने पति की बीमारी की वजह से उसे छोड़ने की अपील करते हुए उसे सभी मामलों में बेकसूर बताया है।