Published On : Thu, May 9th, 2019

मनमानी : रेलवे स्टेशन के पूर्वी द्वार पर आटोचालकों का कब्जा

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रेलवे, मेट्रो व यातायात पुलिस प्रशासन मौन

नागपुर रेलवे स्टेशन का पूर्वी भाग पहले से ही अनेक यात्री असुविधाओं के मामले में चर्चित है. अब यह हिस्सा बाहरी और अवैध आटो चालकों की मनमानी का भी शिकार हो रहा है. इसका सीधा असर यहां से स्टेशन में प्रवेश करने और बाहर जाने वाले यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर हो रहा है.

ज्ञात हो कि पूर्वी द्वार की ओर रेलवे की जमीन के कुछ हिस्से पर मेट्रो रेल का निर्माण कार्य शुरू है. एक नजर में पूर्वी द्वार के हिस्से का करीब एक तिहाई हिस्सा मेट्रो के कब्जे में है. इसका फायदा सैकड़ों बाहरी आटोचालक उठा रहे हैं. जो आटोचालक पहले रेलवे सुरक्षा बल और लोहमार्ग पुलिस के डर से बाहर से ही सवारी बटोरा करते थे, वे अब धड़ल्ले से स्टेशन परिसर के भीतर आकर यात्रियों को लूट रहे हैं.

रोजाना के प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार इन आटो चालकों की मनमानी भरा रवैया इस बात से पता चलता है कि कोई ट्रेन आते ही एस्केलेटर के पास पोर्च में ही कई आटो एक साथ आड़े-तिरछे तरीके से खड़े कर दिये जाते हैं. इस दौरान छोटे से रास्ते से भारी भरकम सामान लेकर बाहर निकल रहे सैकड़ों यात्रियों का जमावड़ा हो जाता है. इन सबके बीच स्थिति तब और अधिक विकट हो जाती है जब प्लेटफार्म 8 पर कोई ट्रेन आती है या यात्रियों को छोड़ने के लिए पहुंचे लोग अपनी कार रोकते हैं. इससे आने और जानेवाले दोनों रास्ते ब्लाक हो जाते हैं. इससे महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन आटोचालकों को इससे कोई वास्ता नहीं. उन्हें केवल अपनी सवारी बटोरने से मतलब होता है.

उल्लेखनीय यह है कि स्टेशन परिसर में वाहनों की आवाजाही और ट्राफिक व्यवस्था की संयुक्त जिम्मेदारी लोहमार्ग पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल की है. बाहरी आटो का जमावड़ा लगते ही कई वर्षों तक स्टेशन के इस भाग की ओर नजर तक नहीं आने वाली जीआरपी भी अचानक एक्टिव हो गई. कुछ दिनों से एक जीआरपी कर्मी ने आटो चालकों से समझौता कर उनके हित में काम करना शुरू किया है. हालांकि इनकी उपस्थिति के बावजूद बाहरी और अवैध आटो चालकों की मनमानी बदस्तूर जारी है. जगह छोटी होने से यात्रियों का जमावड़ा लग जाता है. इसी जमावड़े में चोरों को भी हाथ साफ करने में समय नहीं लगता. रात के वक्त यहां शराबियों का जमघट भी यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रहा है.

सीसीटीवी नाममात्र का : स्टेशन पर 4 करोड़ रुपये की लागत से 240 एचडी सीसीटीवी कैमरों से लैस पूरी मार्डन यूनिट काम पर लगी हुई है. लेकिन इन दिनों कैमरों के माध्यम से नजर रखने वाली आरपीएफ टीम को पूर्वी द्वार की ओर आटोचालकों की मनमानी और यात्रियों की परेशानी, दोनों नजर नहीं आती. आखिर इन बाहरी आटो चालकों से किसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा जिसकी कीमत पर यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा दांव पर लगाई जा रही है. यह बात समझ से परे है.