एनएसयुआई ने बनाया दबाव
अमरावती। प्रतिवर्ष फसल की नापिकी से किसान आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में शालाएं भी परीक्षा और शैक्षणिक शुल्क वसूल कर रही है. परिवार को दो वक्त की रोटी का जुगाड नहीं कर पा रहे किसान अपने बच्चों का शैक्षणिक शुल्क कहां से अदा करेंगा? ऐसा सवाल करते हुए शुक्रवार को एनएसयुआई के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी किरण गित्ते के माध्यम से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ज्ञापन भेजकर किसान पुत्रों का परीक्षा और शैक्षणिक शुल्क माफ करने की गुहार लगाई है.
विभाग प्रमुखों ने भेजा प्रस्ताव
महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष अक्षय भुयार ने बताया कि विदर्भ के किसानों की आर्थिक स्थिति गंभीर है. ऐसे में क्षेत्र के हजारों किसानों को दोबारा बुआई का सामना भी करना पड़ा. जहां बैंक कर्ज देने के लिए तैयार नहीं तो साहूकारों ने भी पीठ दिखाई है. शिक्षा के प्रवाह में सभी बच्चों को शामिल करने की नीति सरकार ने अपनायी है तो निश्चित ही इसका पालन भी होना चाहिए. जिले में व्यवसायीक, अव्यवसायीक, डिप्लोमा, इंजिनीअरिंग, मेडिकल समेत अन्य क्षेत्र में अध्ययरत छात्रों की संख्या अधिक है. ऐसे में सर्वाधिक छात्र विद्यापीठ में शिक्षा प्राप्त कर रहे है. इसलिए एनएसयुआई के माध्यम से सभी विभाग प्रमुखों को परीक्षा और शैक्षणिक शुल्क माफ करने के लिए गुहार लगाई तो, उन्होंने इस संदर्भ में प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजा है. यदि विद्यापीठ की तर्ज पर अन्य महाविद्यालयों को भी प्रस्ताव भेजने तथा शुल्क माफ करने का निर्णय लिया जाता है तो निश्चित ही किसान पुत्रों के लिए यह स्वर्ण अवसर होगा. इस समय जिलाध्यक्ष ऋषिराज मेटकर, संकेत कुलट, रोहीत देशमुख, मंगेश निंभोरकर, शुभम बारबुध्दे, पवन गांवडे, ऋषिकेश गांवडे, निलेश नांदणे, विजय भुयार, गौरव वाटाणे, कुणाल गांवडे, विनय बाकडे के साथ कार्यकर्ता उपस्थित थे.