Published On : Sat, Jun 10th, 2017

केदार को घेरने में भिडा सरकार का एक धड़ा – अमोल देशमुख का होर्डिंग बना गरमागरम चर्चा का विषय

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Amol Deshmukh
नागपुर: सावनेर से कांग्रेस के विधायक सुनील केदार को चौतरफा अड़चनों में घिरा देख उनके कट्टर राजनैतिक दुश्मन पुत्र अमोल देशमुख ने सावनेर विधानसभा क्षेत्र में अपने पाव पसारना शुरू कर दिया है, इसी क्रम में देशमुख की पाटनसावांगी स्थित होर्डिंग सम्पूर्ण वि.स. क्षेत्र सह जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है.

नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में वर्ष २००२ में सैकड़ों करोड़ का आर्थिक घोटाला, या यूं कहिये हेराफेरी, जिसके सूत्रधार व सर्वेसर्वा सुनील केदार थे. पिछले १५ वर्ष से सरकार व न्यायालय का चक्कर काटते-काटते आज केदार अंततः अंदरूनी रूप से थककर हार मान गए है. उन्हें न्यायालय से भी राहत नहीं मिली और विपक्ष की सरकार का एक धड़ा केदार को घर बैठाने पर तुला पड़ा है. केदार ने भी उक्त मामले में और संघर्ष कर खुद को बेदाग साबित करने के बजाय सबकुछ वक़्त पर छोड़ दिया है.

इस बात की भनक लगते ही केदार के कट्टर विरोधी रणजीत देशमुख के चिकित्सक पुत्र अमोल देशमुख ने सम्पूर्ण वि.स. क्षेत्र में अपने पाव पसारना शुरू कर दिया है. वैसे भी सावनेर वि.स. में केदार से कहीं ज्यादा समर्थक-अनुयायी देशमुख परिवार के है.

पिछले वि.स. चुनाव में केदार कांग्रेस से उम्मीदवार थे, तो भाजपा से देशमुख के बड़े पुत्र आशीष भाजपा से टिकट जुगाड़ रहे थे. इसकी भनक केदार को लगते ही उन्होंने भाजपा में अपने समर्थक नेता से सिफारिश कर उसे काटोल की उम्मीदवारी दिलवा दी. पिछले चुनाव में केदार कांग्रेस पार्टी के एकमात्र विधायक थे जो चुने गए, लेकिन फिर भी शिवसेना उम्मीदवार ने पानी पिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

इस बार भाजपा जिले के सम्पूर्ण सीट पर कब्ज़ा ज़माने के साथ ही साथ सबसे बड़ा राजनैतिक कांटा केदार को घर बैठाने के लिए पूर्ण कोशिश कर रही है. उनके पास एकमात्र वजह है, केदार द्वारा किये गए बैंक घोटाले में उनको न्यायालयीन फटकर के आधार पर घर बिठाना. इसके लिए भाजपा का एक गुट काफी सक्रीय है.

सरकार के इरादे का आभास होते ही केदार का विरोधी देशमुख परिवार सावनेर वि.स. में सक्रीय हो गया है. वैसे भी केदार आगामी वि.स.चुनाव में खड़ा रहने की स्थिति में रहे तो भी उनकी राह आसान नहीं होगी. कांग्रेस के पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी जैसी उनकी हालत हो चुकी है,दिनों-दिन जनाधार घटते जाना. आज चतुर्वेदी की हालात यह है की, करोड़ों खर्च कर टिकट पाते है और सैकड़ो नहीं हज़ारों मतों से हार जाते है.

उल्लेखनीय यह है कि राजनीत में अमोल नए जिनका राजनैतिक कैरियर कोरा है,साथ ही युवा होने के अलावा ‘इम्प्रेसिव अप्रौच’ है.अगर केदार को घर बैठने की नौबत पड़ी तो कांग्रेस के पास अमोल ही अंतिम पर्याय हो सकते है. वही दूसरी ओर केदार का सर्वपक्षों से उच्चस्तरीय संबंध है, लेकिन आज उनकी अड़चन से उन्हें मुक्तता दिलवाने में सभी असक्षम नज़र आ रहे है.