Published On : Sat, Mar 23rd, 2019

जिले के किसानों के प्रति सभी पक्ष उदासीन

Advertisement

– छुब्ध किसान कर सकते हैं ‘नोटा’ का प्रयोग

नागपुर: नागपुर जिले के किसानों को उनके उत्पादनों को मूल्य स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों के आधार पर दिलवाने,सिंचाई की व्यवस्था,किसानों की कर्ज माफ़ी आदि रवैय्ये पर केंद्र सह राज्य सरकार उदासीन रही.किसानों की आत्महत्या रोकना तो दूर मृतक किसानों के परिजनों से मिलने भी न प्रशासन और न ही सफेदपोश का पहुंचना,एक प्रकार का छल ही कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।

रामटेक लोकसभा सह विधानसभा क्षेत्र का पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी वी नरसिम्हाराव,स्वर्गीय मधुकर किम्मतकर,गुंडेराव महाजन,पांडुरंग हजारे,आनंदराव महाजन,अशोक गुजर,आशीष जैस्वाल,मल्लिकार्जुन रेड्डी सहित दर्जनों सफेदपोशों ने नेतृत्व किया लेकिन किसी ने कृषक क्षेत्र के उत्थान के लिए कुछ भी नहीं किया। आज आलम यह हैं कि सम्पूर्ण जिले के किसानों की हालात दयनीय हैं,इनका कोई वाली नहीं।

एक वक़्त आया था जब वर्ष २००९ से २०१४ के दरम्यान कांग्रेस के तथाकथित दिग्गज नेता मुकुल वासनिक रामटेक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे तो उनसे किसानों को काफी आस थी,लेकिन जैसे ही उन्होंने चुनाव जीती रामटेक को उसके हाल पर छोड़ साप्ताहिक सहल पर ही रामटेक आते-जाते थे.इसके बाद किसानों ने उन्हें घर बैठा दिया,पुनः निष्क्रिय व चापलूस कांग्रेस मुकुल के लिए कांग्रेस पक्ष से मस्के लगा रहे ।वर्ष २०१४ में शिवसेना के कृपाल तुमाने जीते लेकिन वे ज्यादातर केरोसिन-पेट्रोल पम्प से सम्बंधित मामलों में खुद को व्यस्त रखा.रामटेक लोकसभा क्षेत्र में एनसीपी और भाजपा का भी गहरा प्रभाव हैं,दोनों पक्षों के प्रतिनिधित्व करने वाले भी किसानों के प्रति उदासीन दिखें।

उक्त हालातों के मद्देनज़र जिले के रामटेक विस क्षेत्र में सक्रिय कृषि उत्पादक संघ ने जिले के किसानों से गुजारिश की हैं कि जिस पक्ष के घोषणापत्र में किसानों की सम्पूर्ण मांग पूर्ण करने का जिक्र होंगा,उसी को मतदान करें। अन्यथा चुनाव आयोग का मतदान में पर्यायी ‘नोटा’ का इस्तेमाल किसानों ने चुना तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।