Published On : Thu, Jan 12th, 2017

डीयू से नरेंद्र मोदी को जब मिली डिग्री, उस साल का रिकॉर्ड जांचने का ऑर्डर देने वाले सूचना आयुक्त से छिना एचआरडी का चार्ज

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नई दिल्ली: सूचना आयुक्त एम. श्रीधर आचार्युलु द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय की 1978 के बीए डिग्री रिकॉर्ड की जांच का आदेश सार्वजनिक किए जाने के करीब दो दिन बाद ही मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर ने उनसे एचआरडी (Human Resource Development) मंत्रालय का चार्ज छीन लिया। मंगलवार शाम को जारी किए एक आदेश के मुताबिक, अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित सभी शिकायतें व सुझाव अन्य सूचना आयुक्त मंजुला पराशर देखेंगी। बता दें कि मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) को यह विशेषाधिकार है कि वह किसी भी आयुक्त को कोई भी विषय सौंप सकता है।

यह आदेश काम सौंपने के संबंध में 29 दिसंबर को लिए गए एक अन्य आदेश के कुछ दिन बाद आया जिसमें आचार्युलु को एचआरडी मिनिस्ट्री के चार्ज पर बरकरार रखा गया था। 21 दिसंबर को आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय को वर्ष 1978 में बीए डिग्री पास करने वाले सभी विद्यार्थियों के रिकार्ड की पड़ताल करने का आदेश दिया था। बता दें कि 1978 वही साल है जब विश्वविद्यालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी को डिग्री मिली थी।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सीआईसी आर के माथुर को संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी, वहीं आचार्युलु ने इसपर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पिछले साल यूनिवर्सिटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री के बारे में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने वाले आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। उस समय कहा गया था, “यह छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है, जिसका खुलासा करने से किसी भी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है।”

हालांकि आयोग ने कहा था कि छात्रों की शिक्षा से संबंधित मामला… वर्तमान हो या पूर्व… सार्वजनिक हित की श्रेणी में आता है। पिछले साल भाजपा नेताओं ने कहा था कि मोदी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (distance learning) के तहत 1978 में पॉलिटिकल साइंस में बीए की पढ़ाई पूरी की थी।

गौरतलब है कि आरटीआई आवेदक नीरज ने विश्वविद्यालय से 1978 में बीए की परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की कुल संख्या, उनके परीक्षा परिणाम, क्रमांक, नाम, पिता के नाम, प्राप्तांक आदि सूचनाएं मांगी थी। ये सूचनाएं देने से इनकार करते हुए विश्वविद्यालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी ने जवाब दिया था कि मांगी गयी सूचनाएं संबंधित विद्यार्थियों की निजी सूचनाए है, उसके उद्घाटन का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई नाता नहीं है। हालांकि आचार्युलु ने विश्वविद्यालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी की यह दलील खारिज कर दी थी। उन्होंने कहा कि इस दलील में उन्हें दम या कोई कानूनी पक्ष नजर नहीं आता है।