– संघटन विस्तार की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी
नागपुर :- देश के 7 राज्यों में विस्तार के बाद अब संपूर्ण भारत में अपनी पुष्ठभूमि को मजबूत करने के उद्देश से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बड़ा फैसला लेते हुए कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब्दुल गफूर पाशा का चयन किया है इस नियुक्ति का एलान तथा नियुक्ति पत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जनार्दन मून गुरुजी ने अब्दुल पाशा को दिया l
ज्ञात रहे की 5 साल पहले 9अगस्त 2017 को समाजसेवी पूर्व नगरसेवक जनार्दन मून गुरुजी के अध्यक्षता में ये संघटन को प्रारंभ किया गया था क्युकी इस संघटन का नाम 1925 में स्थापित संघटन जो अपंजीकृत है उस संघटन के नाम पर ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रखा गया था लेकिन इस संघटन को ऑनलाइन मान्यता होने से इस संघटन का महत्व अधिक रहा जिसके चलते ये संघटन उस लगभग 100 साल पुराने और पूरे देश की बागडोर संभालने वाले और देश के हर हिस्से में अपनी पहचान रखने वाले संघटन को मजबूती टक्कर दे पाया और इसकी शक्ति 9 अगस्त 22 को संघटन के 5 वे स्थापना दिवस पर नजर आई जब विभिन्न संघटना के मुखिया इस कार्यक्रम में सहभागी हुए और संगठन के मंच से अपनी बात रखी इस कार्यक्रम को लगभग साढ़े तीन लाख लोगो ने ऑनलाइन माध्यम से देखा और विभिन्न चैनलों ने सीधा प्रसारण किया इस कार्यक्रम की सफलता में संस्थापक अध्यक्ष जनार्दन मून और अब्दुल पाशा की सीधी भूमिका रही जिस के चलते संगठन में पाशा को बड़ी जिम्मेदारी मिलने का कयास लगाया जा रहा था और संभावना को सत्य में संस्थापक अध्यक्ष श्री जनार्दन मून गुरुजी की घोषणा ने पूरा कर दिया और अब्दुल पाशा को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर विराजमान किया अब इस जिम्मेदारी मिलने के बाद अब्दुल पाशा पर संपूर्ण भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विस्तार की जिम्मेदारी होंगी अभी संघटन 7 राज्यों में क्रियाशील है बाकी राज्य जिसमे दक्षिण पश्चिम और उत्तर भारत जहा संघटन का काम शुरू करना है ये अब पाशा के लिए परीक्षा की घड़ी होंगी और साथ ही 100 वर्ष पुराने संघटन से लोहा लेते हुए इन राज्यों में संघटन का विस्तार इतना आसान नहीं होंगा
जहा तक अब्दुल पाशा की कार्यशैली हमेशा ही आक्रामक कार्यशैली रही है संघटन में कम समय में अपनी जगह इतनी ऊंचाई पर बनने में वो कामयाब हुए है संघटन के हर उद्देश की जानकारी रखने के साथ ही संघटन को चलाने की उनकी क्षमता को नकारा नहीं जा सकता साथ ही सभी क्षेत्र के लोगो से सीधे संपर्क में रहने से संघटन में नए लोगो को जोड़ने में महारत हासिल है ऐसे में इस बड़ी जिम्मेदारी को लेकर उनकी भूमिका पर सभी की नजर होंगी और खास तौर पर मोहन भागवत द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगो की पैनी नज़र रहेंगी परंतु पिछले समय का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सफर को देख कर लगता है की काफी कम समय में संघटन इन राज्यों में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो जायेगा क्युकी पहले 5 सालो में संघटन ने 7 राज्यों में लगभग 1 लाख सदस्यो को जोड़ा है और इस कार्य में अब्दुल पाशा की मुख्य भूमिका रही है संस्थापक अध्यक्ष जनार्दन मून के मार्गदर्शन में पाशा द्वारा इस काम को पूर्ण करके अपनी काबिलियत साबित किया और महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी के चलते राज्य के लगभग 23 जिलों में संगठन की इकाई शुरू करके संघटन को मजबूती प्रदान करने से अब पाशा को दी गई कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर उनकी भूमिका को सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा हैl
इस नई जिम्मेदारी मिलने के बाद अब्दुल पाशा ने कहा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जनार्दन मून गुरुजी ने जो मुझ पर विश्वास जताया है मैं उनका आभारी हु संघटन का स्वयंसेवक हू और हमेशा रहूंगा संघटन के आदेश का पालन करना अपना परम कर्तव्य मानता हू संघटन जो आदेश देगा उसे पूरा करना मेरी जिमेदारी है आज संघटन ने कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद दिया है इसे एक चुनौती के रूप में देख रहा हु अब मुझ पर और ज्यादा जिम्मेदारी बड़ गई है और देश में संघटन के विस्तार का बड़ा काम में मुझे भी सहभाग होना है जिस संघटन में कार्य कर रहा हूं यहां पद प्रतिष्ठा से बढ़कर कार्य होता है जो लंबे समय से करता आ रहा हु और भविष्य में भी मुझे करते रहना है पद सिर्फ आपके कार्यों को पूर्ण करने का एक माध्यम है मुझ पर संघटन को जिन राज्यों में बढ़ने की जिम्मेदारी है उसे पूरी ताकत से जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करूंगा मेरी प्राथमिकता राज्यों में जल्दी संघटन की शुरुवात और राष्ट्रीय स्तर पर संघटन का विस्तार होंगा सभी समुदायों और वर्गो को साथ लेकर संघटन से जोड़ना और इस देश को संवैधानिक तरीके से संचालित करने में हमारी भूमिका को पूर्ण करना होगा और अंत में मैं सभी का आभार व्यक्त करता हु l
इस बड़ी जिम्मेदारी के बाद जनार्दन मून और अब्दुल पाशा क्या करिश्मा कर पाते है ये भविष्य बताएंगे लेकिन जनार्दन मून के इस मास्टर स्ट्रोक से मोहन भागवत द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मुश्किल बढ़ने वाली है ये तो तय हैl