सिंचाई परियोजना मे अटकी थी खेती, किसानो को लगी लॉटरी
यवतमाल। हालही में सिंचाई परियोजना की आरक्षित खेती पर 1976 में लगे निर्बंध रद्द किए गए है. जिससे 39 वर्षो बाद सिचाई परियोजना की सिमा बढ़ाने के लिए रखी गई आरक्षीत खेती की अब बिक्री हो सकेगी. यह निर्बंध लगाने के कारण इन वर्षों से किसानों को उसे बेचने का अधिकार नही था. यह निर्बंध हटने से उस समय 20-25 हजार रूपये प्रति एकड के दाम थे, अब उसी खेती का दाम 10 लाख रूपये प्रति एकड़ से ज्यादा होने से किसानों को यह निर्देश याने लॉटरी लगने जैसा साबित हुआ है. जिससे दिक्कत आने के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठना पड़ता था. मगर अब राज्य सरकार ने इन आरक्षित खेती बेचने के निर्बंध हटाए, जिससे 3 हजार एकर खेती बेचने का मार्ग खुल गया है.
सिचाई परियोजना के अंतर्गत जिले की 3 हजार एकर खेती 39 वर्षो से आरक्षित थी. जिसके कारण इन खेती के सातबारा पर सिंचाई परियोजना आरक्षण का ठप्पा मार दिया गया था. यह ठप्पा देने के कारण उसकी खरीद बिक्री वज्र्य हो गई थी. जिससे यह खेती होने के बावजूद किसानों के कोई काम की नही थी. इसलिए ऐेसे किसान बेबस मायुस नजर आ रहे थे. जब वे सवाल पुछते थे तो उन्हें इस आरक्षित स्थान पर उक्त परियोजना बढ़ाई जा सकती है या वहा पर इस परियोजना के लाथार्थीयो का पुनर्वसन किया जा सकता है ऐसे दो टूक जबाब दिये जाते थे. मगर इसकी जानकारी किसानों द्वारा बारबार संबधित सरकारों को दिए जाने से मामला कछुवा चाल से आगे बढ़ रहा था. मगर अब उसपर निर्णय हो चुका है.
यह निर्णय राजस्व एवं वन विभाग के संबधित अधिकारी के आदेश से उठाया गया है. अगर लाभार्थीयो के पुनर्वसन के लिए भविष्य में यह जमिन लगती है तो उसका उचित मुआवजा देकर उसे संपादीत किया जाएगा ऐसा भी इस आदेश में लिखा है. जिससे अब उक्त आदेश के बाद किसानों के सातबारा से सिंचाई परियोजना के लिए आरक्षण का ठप्पा हट जाएगा. इस निर्बंध उठाने के आदेश में कुछ शर्ते भी दी गई है. जिन जिन किसानो से जमिन संपादीत की थी वह फिर उन किसानों को लौटाने का काम संबधित जिलाधिकारी को करना है. ऐसा भी आदेश में कहा गया है. कुल मिलाकर किसानों को यह निर्बंध उठना एक लॉटरी साबित हुआ है. क्योंकी उस समय 20-25 हजार रूपये प्रतिएकड़ खेती थी, मगर आज उन खेतियों के दाम 10 लाख के उपर हो चुके है. इसलिए किसानों को उक्त खेती से अच्छी मोटी राशी मिलनेवाली है.
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