Published On : Fri, Oct 24th, 2014

जनता के अधिकारों के लिए लड़ना गलत नहीं,फिर कोई चाहे जो विशेषण लगाए

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बिहार के पूर्व विधायक डॉ. मुन्ना शुक्ला से नागपुर टुडे  की चर्चा

नागपुर : बिहार के दबंग  पूर्व विधायक डॉ. विजय कुमार उर्फ़ मुन्ना शुक्ला खुद को जनमत के आधार पर बाहुबली मानते है . वर्तमान में उनकी पत्नी अनु शुक्ला लालगंज से विधायक है. डॉ. शुक्ला का मानना है कि बाहुबली का मतलब सिर्फ दबंग नहीं होता. यदि जनता बार-बार आपको मत देकर विजयी बनाए तो जनता के अधिकारों के लिए लडना गलत नहीं. फिर कोई चाहे जो विशेषण लगाए, इसकी परवाह नहीं. नागपुर में अपने अभिन्न मित्र सुनील केदार के समर्थनरार्थ चुनावी प्रचार के क्रम में उन्होंने नागपुर टुडे की सम्पादकीय मंडल से  खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बिहार की विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की.munna-shukla-nagpur-bihar

प्रशासनिक निर्णयों की तुलना करें तो पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व बेहतर लगता है या जीतनराम मांझी का?
नीतीश कुमार ही हमारे नेता हैं. विकल्प के तौर पर श्री मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे अपनी सोच और समझ से जो भी निर्णय ले रहे हैं वे सही हैं. बेवजह  श्री मांझी के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है.आप जिस इलाके (लालगंज) से जुडे हैं वहां के लोग लंबे समय से रेल सुविधा के लिए तरस रहे हैं?
हम अपने स्तर पर आवाज उठाते रहे हैं लेकिन ये केंद्र के अख्तियार में है.

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बिहार की राजनीति में दबंग होना कितना जरूरी है.
ये कतई जरूरी नहीं. बिहार ने देश का नेतृत्व करने वाले कई राजनीतिज्ञ दिए, पर वे दबंग नहीं थे. लोग मुझे बाहुबली कहते हैं लेकिन यदि जनता आपको बार-बार अपना नुमाइंदा चुनती है तो स्वत: आपके भीतर ऊर्जा का संचार होता है. मैं जनता के अधिकारों के लिए लडता हूं.

बिहार का इतिहास गौरवपूर्ण है लेकिन वहां के श्रमिकों  को रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाना पडता है ?
ये बात सही है कि यहां के लोग रोजगार के लिए बाहर जाते हैं क्योंकि यहां बडे उद्योगों व सॉफ्टवेयर कंपनियों की कमी है. लेकिन बिहार तेजी से शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ रहा है. देश को कई आईएएस व आईपीएस बिहार ने ही दिए.

धान की फसल के दौरान स्थानीय स्तर पर मजदूर नहीं मिलते लेकिन वहीं बिहार के मजदूर पंजाब में जाकर सेवाएं देते हैं?
ये कहना अब गलत होगा. मनरेगा आने के बाद स्थितियों में बदलाव आया है. जितना श्रम उतना मेहनताना के कंसेप्ट से श्रमिकों  को यहां रोजगार मिल रहा है. अब पहले जैसे हालात नहीं.
बिहार के शहर सिकुडते जा रहे हैं. गंदगी का बोलबाला है. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान कारगर साबित होगा?
ये बात सही है कि आबादी बढने से शहर सिकुडते जा रहे हैं. लेकिन महज हाथ में झाडू  उठाना सफाई नहीं होती. आपको उसके लिए घर और परिसर से बाहर भी निकलना होगा. प्रधानमंत्री की सोच अच्छी है लेकिन उसका क्रियान्वयन सही ढंग से होना चाहिए.

आप उत्तर बिहार का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. इस इलाके को राज्य की राजधानी से जोडने वाला एशिया का सबसे बडा नदी पुल गांधी सेतु र्जजर हालात में है. इसके जीर्णोद्धार की कोई योजना?
यह राष्ट्रीय महामार्ग के अंतर्गत आता है. समानांतर पुल का काम चल रहा है लेकिन इसका सारा काम केंद्र सरकार देख रही है.

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