नागपुर टुडे.
पिछले वर्ष फ़रवरी में एडवांटेज विदर्भ के तहत 24 कंपनियों ने 18800 करोड़ रुपए के समझौते पत्र (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे. इसके पश्चात सिर्फ भंडारा में भेल, अमरावती में टेक्सटाइल प्रोजेक्ट ही शुरू हो पाए. अन्य कंपनियों ने अलग अलग कारन बताकर हाथ खड़े कर दिए. दूसरी ओर इसी दौरान दिसंबर माह तक राज्य में 1473466 करोड़ रुपए का आद्योगिक प्रस्ताव आया. इस पर यह सवाल उठता है कि विदर्भ उत्थान हेतु नागपुर में निवेशकों का जलसा लगेगा लेकिन इसका एडवांटेज शेष महाराष्ट्र को मिलेगा. यह उद्योग जगत में चर्चा का गर्मागर्म विषय है.
विदर्भ में उद्योगो को संजीवनी प्रदान करने हेतु पिछले वर्ष निवेशकों का एडवांटेज विदर्भ नामक 2 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.राज्यसरकार ने इस कार्यक्रम के द्वारा विदर्भ में कृषि, फ़ूड प्रोसेसिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल क्षेत्र की ओर निवेशकों का ध्यानाकर्षण करवाया था. इससे आकर्षित होकर 2 दिनों में 24 कम्पनियो ने 18800 करोड़ रुपए के MOU पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें से मात्र 2 कम्पनियो के कार्य प्रगति पथ पर है. शेष कंपनियां आखिर कहां गई? दिसंबर 2013 तक राज्य सरकार के पास आए 1473466 करोड़ रुपए के
आद्योगिक निवेश के प्रस्ताव में से विदर्भ में केवल ऊर्जा प्रकल्प का प्रस्ताव समाहित होने की जानकारी मिली है. वही सर्विस इंड्रस्ट्रीज़, रियल एस्टेट, कलपुर्जो से संबंधित प्रकल्प शेष महाराष्ट्र के लिए प्रस्तावित है. इन प्रस्तावों में विदर्भ एडवांटेज में करार करने वाली कंपनी का समावेश नहीं है. राज्य सरकार द्वारा मागासवर्गीय इलाकों में उद्योगों को दी जाने वाली सुविधाएं विकसित इलाकों में जा रही हैं, जिससे विदर्भ का नुकसान हो रहा है. जानकारों का मानना है की एडवांटेज विदर्भ कार्यक्रम में तो स्थानीय निवेश की बात होती है लेकिन निवेश आते ही उद्योग पश्चिम महाराष्ट्र में लगते हैं.
बड़े औद्योगिक घरानों को सहूलियत
हाल ही में राज्य का बजट पेश हुआ. इसमें विमान के कलपुर्जे निर्माण करने वाले औद्योगिक घरानों को सहूलियत प्रदान की गई. इस तरह बड़े उद्योगों को सहूलियत और छोटे उद्योगों को कानून-कायदे की आड़ में दरकिनार किया जा रहा है. इसी वजह से विदर्भ में उद्योग पनप नहीं पा रहे है.
विकास आयुक्त नदारद
जानकार बताते हैं कि यदि यहां उद्योग स्थापित करना हो तो विदर्भ के औद्योगिक घरानों को मुंबई पर आश्रित होना पड़ता है, विदर्भ में उद्योगों की अड़चनें सुलझाने के लिए नागपुर में विकास आयुक्त की जरूरत है. राज्य सरकार ने वर्षों पूर्व नागपुर में विकास आयुक्त नियुक्त किया था. उनके स्थानांतरण के बाद पुनः दूसरे विकास आयुक्त की नियुक्ति नहीं हुई. इसलिए विदर्भ में उद्योगों को गति नहीं मिल रही है.