– एक तरफ मनपा के वाहनों को डीजल से सीएनजी में परिवर्तित की जा रही तो दूसरी ओर कचरा संकलन मामले लगी ठेकेदारों के वाहन सह मशीन डीजल पर दौड़ाई जा रही,जिसका भुगतान मनपा प्रशासन करेंगी,जबकि इन्हीं ठेकेदारों के अन्य शहरों में यहीं सेवाएं सीएनजी वाहनों से जारी हैं
नागपुर : नागपुर महानगरपालिका की कथनी और करनी में बड़ा फर्क हैं,इसका उदहारण आए दिन वे देती रहती हैं.एक तरफ मनपा प्रशासन घोषणा करती हैं कि मनपा परिवहन सेवा और मनपा की खुद की सभी वाहनों सह मशीनों को सीएनजी में तब्दील करने का आदेश दे रखी हैं तो दूसरी ओर मनपा के स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कचरा संकलन के लिए दिल्ली की ‘एजी’ और पुणे की ‘बीवीजी’ को ठेका दिया गया.नियमानुसार इन्हें नए वाहन से सेवाएं देनी हैं.मनपा प्रशासन ने इन ठेकेदारों को डीजल से संचलित वाहनों से सेवा देने की छूट दे रखी हैं.अर्थात मनपा के खादी-खाकी की दोहरी नीत शहर पर हॉवी हैं.
शहर के सांसद व केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का सपना था कि नागपुर शहर में बढ़ते प्रदुषण को रोकने और ईंधन खर्च को कम करने के उद्देश्य से उन्होंने सीएनजी को अपनाने के लिए मनपा सह जिले में परिवहन सेवा से जुड़े सेवाएं दे रहे उन्हें सकारात्मक मार्ग सुझाया था लेकिन मनपा प्रशासन उनके सुझाव को नज़रअंदाज कर न अपने और न ही ठेकेदार कंपनियों से सीएनजी युक्त वाहन सह मशीन का दबाव बना रही,नतीजा मनपा के खुद के वाहन आज तक सीएनजी में परिवर्तित नहीं हुए और परिवहन सेवा में शामिल सिर्फ डेढ़ दर्जन बसें ही सीएनजी में परिवर्तित हो पाए,इनमें से सवा दर्जन सीएनजी बसें ही सड़कों पर दौड़ रही.
इतना ही नहीं ३ माह पूर्व मनपा प्रशासन ने शहर का सम्पूर्ण कचरा संकलन के लिए २ ठेकेदार कंपनी से करार किया।मनपा में दूरदर्शिता का आभाव के कारण इन दोनों कंपनियों को उनके वाहन,मशीन डीजल से चलने वालों को अनुमति दी गई.जबकि ये दोनों कंपनियां अन्य शहरों में कचरा संकलन कार्य में लगे वाहनों सह मशीन सीएनजी युक्त हैं.अर्थात दाल में कुछ काला हैं.
सीएनजी बस के उद्धघाटन अवसर पर महापौर सह अन्य पदाधिकारी ने बड़े-अब्दे वादे किये थे कि उनकी वाहनें जल्द ही सीएनजी युक्त हो जाएंगी लेकिन आज तक एक भी मनपा का वाहन सीएनजी युक्त नहीं।अर्थात गडकरी के सकारात्मक पहल को मनपा द्वारा तिलांजलि दी जा रही,ऐसा कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी।
ट्रेवलटाइम के संचालक को उनके ही कर्मी कर रहे गुमराह
याद रहे कि ट्रेवल टाइम कंपनी पुणे की है.यह कंपनी पिछले कुछ समय से मनपा परिवहन सेवा अंतर्गत बसें संचालित कर रही.अमूमन कोई भी कंपनी ईंधन जलने से होने वाली नुकसान १० से १५% वाहन करती हैं.लेकिन जब कंपनी डीजल से सीएनजी में तब्दील करने का निर्णय ले लेती हैं तो उनके नीचे से लेकर ऊपर के करनी एकजुट होकर विरोध करने लगते हैं क्यूंकि उनकी उनकी कमाई बंद होती दिखती हैं.ऐसा ही कुछ ट्रेवल टाइम के संचालक के साथ हो रहा,इसलिए इनकी बसें काफी मशक्कत के बाद सीएनजी में तब्दील हेतु ‘कन्वर्जन करने वाली कंपनी’ को मिल रही.इस मामले में भी मनपा के सम्बंधित खाकी-खादी की चुप्पी समझ से परे हैं.