Published On : Wed, Sep 4th, 2019

अन्नदान से मिलती है सुुख और शांति

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गोंदियाः गरीब और जरुरतमंदो को निःशुल्क खाना खिलाना पुण्य का काम

गोंदिया: शास्त्रों में भोजनदान का एक बड़ा महत्व है, प्यासे को पानी और भूखे को भोजन देने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता.. और यह पुनित कार्य खालसा सेवा दल गोंदिया द्वारा गत 1 वर्ष से करते हुए जिले के दोनों अस्पतालों में भर्ती मरीज तथा उनके परिजन और फुटपाथ और सार्वजनिक स्थलों पर जीवन गुजार रहे गरीबों को मुफ्त भोजन बांटने का सिलसिला जारी है।

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भोजनदान की कैसे बनी संकल्पना?

सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरूनानक देवजी ने घोड़ों के व्यापार के लिए पिता की तरफ से दिए गए 20 रूपये को भूखों के भोजन में लगा दिया, उनका कहना था अपनी आय का कुछ हिस्सा गरीब लोगों के परोपकारी कार्यों हेतु बांटना चाहिए?

गुरू के बताए इसी संदेश पर अमल करते हुए समाज सेवा में अग्रणी गोंदिया की एक संस्था खालसा सेवा दल के अध्यक्ष वीरेंद्रसिंग मान के मन में यह ख्याल आया कि, गुरूद्वारे में हम जैसे खाना खिलाते है यहां तो सभी अपने घर से परिपूर्ण है।

खाना तो जरूरतमंदों को भी मिलना चाहिए? इसी सोच के साथ 5 लाख की गाड़ी खरीदी, फिर बॉडी बनी, 2000 स्टील की प्लेट खरीदी, फुलचुर रोड पर निजी वर्कशॉप की जमीन पर किचन बना, भोजन पकाने के लिए आवश्यक गंज-बर्तन, गैस, स्टोव, सिगड़ी ली और गुरूनानक देवजी के 550 सालां अर्थात गुरूपूरब पर्व के उपलक्ष्य में 20 सितंबर 2018 को गुरू का लंगर सेवा इस नाम से मुफ्त भोजन वितरण हेतु की गाड़ी शुरू की गई और गत 1 वर्ष से प्रतिदिन तकरीबन 1200 से 1500 लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

विशेष महत्व की बात यह है कि, भोजन पकाने और गुरू लंगर सेवा के इस पुनित कार्य में इस संस्था के पदाधिकारियों की लेडीज (फैमिली मेम्बर्स) भी हाथ बटाती है और गुरू लंगर सेवा करके खुद को भाग्यशाली मानती है।

शहर के 4 स्थानों पर निःशुल्क बटता है गुरू का लंगर

इस संस्था का सेवा कार्य प्रतिदिन सुबह 6 बजे से आरंभ होता है, सबसे पहले थोक सब्जी मंडी से कच्ची सब्जी खरीदना, फिर उसे लाकर धोना, साफ करना, काटना, तत्पश्‍चात 8 बजे से भोजन पकाना… फिर पके हुए भोजन दाल-चावल, चावल-सब्जी, रोटी को बर्तनों में रखकर उसे व्यवस्थित गाड़ी में रखना। 11 बजे लंगर सेवा की गाड़ी शुरू होती है, सबसे पहले 12.45 तक जिला केटीएस अस्पताल, फिर 1 से 2.30 बजे तक जिला महिला अस्पताल, 2.45 बजे गाड़ी मरारटोली के बड़ा बस स्टैंड पहुंचती है, वहां 4.30 बजे तक निःशुल्क भोजन सेवा के बाद फिर गाड़ी किचन में वापस आती है, जहां गाड़ी और बर्तनों की सफाई के बाद फिर दोपहर 3 बजे से किचन में तैयार किया गया ताजा भोजन उठाकर 6.30 बजे गाड़ी रेल्वे स्टेशन की ओर निकलती है जो रेल्वे स्टेशन बुकिंग ऑफिस परिसर में 7.45 तक रूकती है तथा जितना खाना बनता है, पूरा गरीब जरूरतमंदों में वितरित करने के बाद गाड़ी वापस किचन में पहुंचती है जहां बर्तनो और किचन की सफाई के बाद सेवादार अपने घरों की ओर रवाना होते है। इस तरह शहर के 4 जगहों पर 4 सेवाएं फिक्स है जिसमें 25 से 30 सेवादार बिना थके, बिना रूके रोज गुरू लंगर गाड़ी में अपनी 2-2 घंटे की सेवा दे रहे है।

कैसे होता है, भोजन सामग्री और खर्च का प्रबंधन ?
किसी भी सेवाभावी कार्य को संचालित करने के लिए फंड की आवश्यकता होती है। भोजन के लिए सामग्री का प्रबंधन और खर्च का नियोजन कैसे होता है? इस प्रश्‍न का जवाब देते संस्थाध्यक्ष वीरेंद्रसिंग मान ने कहा- गुरू लंगर सेवा गाड़ी में एक गुल्लक की व्यवस्था रखी गई है, जिस श्रद्धालु के मन में भाव उत्पन्न होते है, वह 5-10 रूपये डाल देते है, इससे 15 प्रतिशत राशि अर्जित हो जाती है, बाकि खर्च का वहन हम पदाधिकारी मिलकर रसीद बुक द्वारा करते है।

मानव सेवा कार्यों हेतु खालसा सेवा दल सम्मानित

संस्था के इन्हीं सेवाभावी कार्यों से प्रभावित होकर 1 सितंबर रविवार को प्रेस ट्रस्ट ऑफ गोंदिया द्वारा खालसा सेवा दल के अध्यक्ष वीरेंद्रसिंग मान तथा सेवादार रजिंदर कौर मान, रविंद्रसिंग मान, प्रित कौर मान, दिलराज कौर मान, हरदीपसिंग मान, कमलजीत कौर मान, मनमोहन सिंग, सबजीतसिंग मान, जसकरणसिंग मान, सतबीरसिंग माथरू, गिरीश आहुजा, हर्षा हरचंदानी, जतिन हरचंदानी, प्रल्हाद परियानी, प्रियंका परियानी, अर्जुनसिंग रामानी, जुगल वतवानी, मनदीपसिंग भाटिया, सन्नीसिंग भाटिया, करण बोदानी, विक्की नोतानी, गुरदयालसिंग रामानी, हरजितसिंग जुनेजा, त्रिलोचनसिंग भाटिया, सुखमानसिंग भाटिया, देवेंद्र उके, अशोक इन्हें मंचासीन गणमान्य अतिथीयों के हस्ते मानव सेवा कार्यों में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मानित किया गया।

रवि आर्य

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