Published On : Fri, Jul 5th, 2019

गोंदिया जिला पुलिस अधीक्षक ने निभाया मानवता का सबसे बड़ा धर्म

Advertisement

अपने लिए जिए तो.. क्या जिए

गोंदिया। आज के भौतिक युग में इंसान की इंसान के प्रति संवेदनशीलता शुन्य हो चली है। दया, भावना और स्नेह जैसे शब्द अब सिर्फ किताबोें तक सिमीत हो चले है इसी का कारण है कि, हर तरफ मानवता जैसे रो रही हो। सड़क पर आए दिन हादसे घटित होते रहते है लेकिन कभी पुलिस इन्कवायरी तो कभी कोर्ट के पचड़े से बचने के लिए कोई भी एैसे गंभीर अवस्था में पड़े जख्मियों की मदद नहीं करता, अगर मानवता के नाते मदद का हाथ बढ़ाया जाए तो किसी की जान बचायी जा सकती है, कुछ एैसा ही कर्तव्य गोंदिया जिला पुलिस अधीक्षक विनीता साहू ने निभाया।

Gold Rate
15 May 2025
Gold 24 KT 92,100/-
Gold 22 KT 85,700/-
Silver/Kg 94,800/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

वाक्या कुछ यूं है कि, गोंदिया- कोहमारा राज्य महामार्ग पर ग्राम भडंगा से मुंडीपार के बीच गुरूवार 4 जुलाई शाम 6.30 बजे गोंदिया दिशा की ओर आ रहे ट्रक क्र. एम.एच. 35/के. 5275 को बाइक सवार दो युवकों ने ओवरटेक करने का प्रयास किया, ट्रक की रफ्तार तेज होने से बाइक क्र. एम.एच. 35/ए.के. 9637 यह ट्रक की चपेट में आ गयी और भीषण टक्कर के बाद ट्रक भी मुख्य रास्ते से नीचे उतर गया।

इस सड़क हादसे में गोरेगांव से पलखेड़ा की ओर जा रहे बाइक सवार गणेश आसाराम खरोले (40 रा. कामठी, नागपुर) तथा देवाजी रामाजी कुंभरे (55 रा. चिल्हाटी) इन दोनों के सिर में गंभीर चोट लगने से वे सड़क पर तड़पते रहे लेकिन ट्रॉफिक शुरू होने के बावजूद भी किसी राहगीर ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया।

इसी बीच डुग्गीपार से गोंदिया दिशा की ओर जिला पुलिस अधीक्षक विनीता साहू मैडम आ रही थी, उनकी ऩजर सड़क पर गंभीर अवस्था में पड़े युवकों पर गई लिहाजा पुलिस अधीक्षक ने तत्परता दिखाते हुए रास्ते से गुजर रही एक सेंट्रो कार को रोका तथा एक ऑटो को रूकवाया और अपने निजी सुरक्षा गार्ड की मदद से जख्मियों को उठाकर उपचार हेतु गोरेगांव उपजिला अस्पताल भेजा। अत्याधिक रक्तस्त्राव की वजह से गणेश नामक युवक की मृत्यु हो गई तथा गंभीर जख्मी देवाजी को जिला केटीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां प्राथमिक उपचार पश्‍चात उसकी स्थिती चिंताजनक होने पर उसे नागपुर रैफर किया गया है।

घटना की जानकारी देेते जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया, दोनों जख्मी लगभग 20 मीनट से सड़क पर लहूलूहान अवस्था में पड़े थे, हमने अपना व्हीकल रोका और 108 एम्ब्यूलेंस व कंट्रोल रूम को फोन किया। क्योंकि दोनों को हेड इंजरी थी और स्थिती क्रिटीकल थी, हम इंतजार करते तो देर हो सकती थी इसलिए हमने एक सेंट्रो कार व आटो को रोका और 2 वाहनों की मदद से मेरे निजी सुरक्षा गार्ड व पुलिस अधिकारी उन्हें अस्पताल लेकर गए। गंभीर अवस्था में एक ने दम तोड़ दिया जो दुसरा क्रिटीकल था उसे केटीएस में प्राथमिक उपचार दिलाकर तुरंत नागपुर रैफर किया गया। उनके परिजन भी उनके साथ भेजे गए।

एैसे सड़क हादसे किसी के साथ भी हो सकते है, एैसे में इंसानीयत के नाते जख्मियों को उठाकर तत्काल उनकी मदद करनी चाहिए। या कुछ भी नहीं कर सकते तो कम से कम एम्ब्लूेंस को ही फोन कर दे?
हादसे के शिकार हुए दोनों में से किसी ने भी हेलमेट धारण नहीं किया था, इसलिए हेड इन्जरी हुई। अगर सिर पर हेलमेट रहता तो जान बच भी सकती थी?

हम जो हेलमेट की मुहिम चलाते है, वह पब्लिक के भले के लिए चलाते है ताकि उनकी लाइफ को प्रोटेक्ट किया जा सके।

रवि आर्य

Advertisement
Advertisement
Advertisement