Published On : Thu, Aug 30th, 2018

खेल विकास शून्य पर, लेकिन सभी को बनना हैं खेल अधिकारी

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नागपुर: लाखों-करोड़ों खर्च करते हैं. इसी क्रम में नागपुर महानगरपालिका भी पीछे नहीं रहती लेकिन विडम्बना यह है कि २ दशक में लगभग ७५ करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बाद भी मनपा ने आज तक एक भी न उच्च स्तरीय खेल मैदान तैयार किया और न ही राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी. इसके बावजूद मनपा के डेढ़ दर्जन निष्क्रिय खेल शिक्षकों की नज़र मनपा खेल अधिकारी पद पर गड़ी है.

ज्ञात हो कि नागपुर महानगरपालिका के उच्च विद्यालयों में लगभग २ दशक से डेढ़ दर्जन खेल शिक्षक कार्यरत हैं. इनकी मनपा में नियुक्ति मनपा विद्यालयों के गरीब विद्यार्थियों के मानसिक, शारीरिक सह खेल विकास हेतु किया गया था. लेकिन नियुक्ति बाद इनमें से किसी ने न खेल मैदान और न ही मनपा विद्यालयों के बच्चों को स्तरीय खिलाड़ी बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई.

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यह बात और है कि अधिकांश मनपा विद्यालयों में खेल मैदान का आभाव हैं. कईयों विद्यालयों में अतिक्रमण कर विद्यालय सम्बंधित / गैर सम्बंधित लोग निवास कर इच्छानुसार व्यवसाय भी कर रहे हैं. प्रत्येक वर्ष बंद होते जा रहे मनपा विद्यालय लावारिश होता जा रहा. जिन पर स्थानीय सफेदपोश के वरदहस्त से अतिक्रमण सर चढ़ के बोल रहा.

बावजूद इसके मनपा प्रत्येक बजट में सिर्फ खेल विकास के नाम पर पिछले २ दशक से २ से १२ करोड़ सालाना खर्च करते आ रहा है. विद्यालय समिति प्रमुख,नगरसेवक,विद्यालय के मुख्य अध्यापक सह प्रभारी खेल अधिकारी की मिलीभगत से खेल सामग्री खरीदी भी जा रही. लेकिन उसका उपयोग किया कहाँ जा रहा सिर्फ इन्हें ही मालूम. जानकारी यह भी मिली है कि सस्ते खेल सामग्री की खरीदी की जाती रही, वह भी टेंडर के बजाय कोटेशन पद्धति से. शहर के खेल प्रेमियों ने पिछले २ दशक में मनपा द्वारा खरीदी गई खेल सामग्री सह खेल के नाम वार्षिक खर्च का ‘सोशल ऑडिट’ हो अन्यथा न्यायालय की शरण में जाने पर मजबूर होना पड़ेंगा, तब सम्पूर्ण जवाबदारी मनपा प्रशासन की होगी.

वहीं दूसरी ओर शहर के अंग्रेजी माध्यमों के विद्यालयों में अमूमन सभी प्रकार के खेल मैदान,खेल सामग्री,उच्च स्तरीय प्रशिक्षक होने से सम्बंधित विद्यालय के खिलाड़ी राज्य,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालय सह संस्थान का नाम रौशन कर रहे हैं. विगत माह मनपा खेल समिति ने मनपा विद्यालय के खेल शिक्षकों की समीक्षा बैठक ली थी,बैठक में उपस्थित शिक्षकों ने अपनी-अपनी व्यक्तिगत डपली बजानी शुरू की कि उप सभापति झल्ला गए उन्होंने उपस्थित शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे मनपा विद्यालयों में खेल व खिलाड़ी विकास के लिए क्या-क्या उल्लेखनीय कार्य किया, सिर्फ उसकी जानकारी दें, इस सवाल पर सब के सब मूक प्रदर्शनक बने रहे.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त मनपा के खेल शिक्षक सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वाह करने के बजाय अबतक सफेदपोशों के मदद से मजे काटते रहे. पिछले एक वर्ष पूर्व प्रशासन ने एक एनआईएस कोच जो उक्त शिक्षकों से कनिष्ठ हैं, उन्हें मनपा का प्रभारी खेल अधिकारी नियुक्त कर दिया था. तब से उक्त खेल शिक्षकों के पेट में दर्द शुरू हो गया. उन्होंने अपने-अपने सफेदपोश आका के माध्यम से प्रशासन का विरोध शुरू किया.

अंत में प्रशासन ने अपने आदेश से एक कदम पीछे हट कर नया प्रभारी खेल अधिकारी नियुक्त किया. अर्थात मनपा के सफेदपोश भी नहीं चाहते की मनपा विद्यालय का शिक्षा और खेल का स्तर में सुधार हो. शायद इसलिए निष्क्रिय खेल शिक्षकों के साथ खड़े नज़र आ रहे ,यह विडम्बना नहीं तो और क्या है. इसलिए विगत दिनों जब गडकरी ने मनपा मुख्यालय में समीक्षा बैठक ली थी तब एक भी खेल शिक्षक उनके सवालों का जवाब देने में सक्षम नहीं दिखें थे.

मनपायुक्त से मांग है कि सर्वगुण संपन्न खेल अधिकारी की स्थाई नियुक्ति हो और उक्त सभी खेल शिक्षकों का मासिक ‘वर्क ऑडिट’ भी शुरू किया जाए.

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