नागपुर: राज्य में पहले से ही ई-वे बिल की व्यवस्था नहीं थी और हम आगे भी नहीं चाहते, परंतु जीएसटी के कारण हमें भी ई-वे बिल लागू करना पड़ा, लेकिन लागू होने के कुछ ही समय बाद से अलग-अलग राज्य अलग-अलग दरें निर्धारित करने लगे हैं. हम इस प्रक्रिया के खिलाफ हैं. इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी उठाया जाएगा. उक्त जानकारी वित्त मंत्री सुधीर मुनगंट्टीवार ने दी. वे विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (वीआईए) में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
वीआईए, एमआईए और बीएमए की ओर से सत्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. सत्कार के बाद मुनगंट्टीवार ने कहा कि हमने ई-वे बिल की सीमा को 50,000 से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का निर्णय लिया है. इससे निश्चित रूप से व्यापारियों को लाभ होगा परंतु राज्य का मत है कि ई-वे बिल होना ही नहीं चाहिए. बावजूद हमें लाना पड़ा. अब अलग-अलग राज्य अपनी सुविधा के अनुसार काम कर रहे हैं. यह गलत है. इससे प्रतिस्पर्धा पैदा होगी और बाद में सिस्टम खत्म हो जाएगा. राज्य इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल में उठाएगा. यह अधिकार जीएसटी काउंसिल का होना चाहिए. एक देश एक कर के फार्मूले को लागू करना है तो यह काफी आवश्यक है.
तेजी से बढ़ा कर
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के पूर्व ऐसा लग रहा था कि केंद्र से हमें नुकसान भरपाई लेनी होगी, परंतु आज स्थिति वैसी नहीं है. वैट काल में राजस्व 90,000 करोड़ से अधिक था, जो जीएसटी लागू होने के बाद 1.15 लाख करोड़ से अधिक हो गया है. ऐसे में हमें केंद्र पर आश्रित रहने की जरूरत ही नहीं है. चालू वित्त वर्ष के 3 माह में भी कर 32 फीसदी बढ़ा है. डीलरों की संख्या 7.79 लाख से बढ़कर 14.45 लाख पहुंच गयी है. यह हमारे लिए अच्छी खबर है.
इसके पूर्व अतुल पांडे ने स्वागत भाषण दिया. सी.एम. रणधीर, नितिन लोणकर, दिलीप गांधी, प्रवीण तापड़िया ने अलग-अलग मुद्दे रखे. इस अवसर पर शैलेंद्र मनावत, सचिन जाजोदिया, सुधीर बुधे, पंकज बक्शी, रोहित बजाज, प्रफुल दोशी उपस्थित थे.