Published On : Thu, Apr 26th, 2018

नियमों को ताक पर रख बनाया गया था अतिरिक्त आयुक्त

Advertisement

नागपुर: नागपुर महानगर पालिका के पूर्व तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त आर. जेड सिद्दीकी को नियमों को ताक पर रखकर अतिरिक्त आयुक्त बनाया गया था. ऐसी जानकारी आरटीआई में उपलब्ध दस्तावेज से प्रतित होती है. राज्य सरकार के शासन निर्णय द्वारा नियमों में बदलाव कर सिद्दीकी को अतिरिक्त आयुक्त का पद दिया गया था. गौर करने वाली बात यह है कि पदोन्नती की सिफारिश भी सिद्दीकी ने ही की थी. केंद्रीय जनविकास पार्टी के महाराष्ट्र निरीक्षक चेतन राजकारने ने इस मामले से सम्बंधित सभी जानकारी मनपा और नगर विकास विभाग मंत्रालय से आरटीआई ( सूचना के अधिकार ) के तहत हासिल की है.

इस पूरे मामले में मनपा के अधिकारियों ने भी नियमों की अनदेखी कर इस मामले में केवल सिद्दीकी के ही पक्ष में काम किया है, ऐसा स्पष्ट हो रहा है. नियम के अनुसार किसी भी सरकारी अधिकारी को पदोन्नति के लिए खुद्द शिफारिस या आवेदन मुख्यमंत्री को करने की आवश्यकता नहीं. लेकिन इस मामले में यह भी देखने में आया है कि सिद्दीकी ने खुद ही अपनी पदोन्नति के लिए मुख्यमंत्री को पत्र तो लिखा. साथ ही नियमों में बदलाव और शिथिलता प्रदान करने की मांग भी की. पदोन्नति की कार्यवाही करने से पहले 10 साल या कमसे कम 9 या फिर उससे अधिक समय की (सीआर) कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट राज्य प्रशासन को भेजने होते हैं. लेकिन शासन निर्णय को नजरंदाज करते हुए मनपा के कुछ अधिकारियों ने सिद्दीकी के मामले में उपलब्ध (सीआर) या अन्य कार्यवाही की जानकारी राज्य सरकार को भेजी ही नहीं. मनपा के कुछ अधिकारियों ने पूरी जानकारी तत्कालीन आयुक्त से छुपाते हुए उनके माध्यम से शासन को आधी अधुरी जानकारी रिपोर्ट में पेश की. इस बारे में मनपा अधिकारियों का कहना था कि 2009 से पहले के सीआर में उन पर कार्यवाही के आदेश हुए हैं. और उसका रिकार्ड उनके पास कहीं पर भी मौजूद नहीं है.

Gold Rate
05 Aug 2025
Gold 24 KT ₹ 1,00,700 /-
Gold 22 KT ₹ 93,700/-
Silver/Kg ₹ 1,13,200/-
Platinum ₹ 46,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

नियम में यह भी है किसी अधिकारी पर अगर फौजदारी कार्रवाई के मामले प्रलंबित हों या कार्यवाही की गई हो तो ऐसे अधिकारियों की सिफारिश पदोन्नति के लिए शासन स्तर पर नहीं की जा सकती. इसका विशेष उल्लेख शासन निर्णय में है और सम्बंधित अधिकारी की सेवा अत्युत्कृष्ट या उत्कृष्ट होनी चाहिए. जबकि सिद्दीकी की कुछ सेवाएं निश्चित अच्छी ऐसा उल्लेख है. सिद्दीकी जब 2008 में चुंगी अधीक्षक थे तब उन पर आरोप लगे थे. इस पर उनके वेतन बढ़ोत्तरी को दो साल के लिए रोका गया था. इसका सबूत तत्कालीन आयुक्त ने सेवा पुस्तिका में लाल स्याही से लिखने के आदेश दिए थे.

केंद्रीय जनविकास पार्टी के महाराष्ट्र निरीक्षक चेतन राजकारने ने इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच करने की मांग की है. और सेवानिवृत्त हो चुके सिद्दीकी को जांच पूरी होने तक प्रशासन की ओर से दी जा रही पेंशन और अन्य सुविधाएं रोकने की मांग भी है.

Advertisement
Advertisement