नागपुर: शहर के मिडास हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया, गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी की। अस्पताल में हंगामे की खबर पाकर मौके पर पहुँची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। दरअसल शहर के टिमकी ईलाके में रहने वाले 18 वर्षीय युवक तुषार असोरिया को पीलिया की शिकायत होने के बाद सात दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीते 10 दिनों से बीमार चल रहे तुषार का ईलाज किसी अन्य डॉक्टर के पास हो रहा था लेकिन उसे आराम न होने की वजह से मिडास अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों के मुताबिक मिडास अस्पताल ने दो दिन पहले तक स्वास्थ्य में सुधार होने की जानकारी दी थी लेकिन मंगलवार को उसकी मौत हो गई। तुषार के भाई मयूर असोरिया के मुताबिक सोमवार शाम तुषार की तबियत ज्यादा ख़राब होने का कारण बताकर उसे वेंटिलेटर लगाया गया।मयूर ने भाई की मौत के लिए अस्पताल के डॉक्टरो की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना था कि अस्पताल ने उन्हें मंगलवार सुबह 5 बजकर 15 मिनट मौत होने की जानकारी दी। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में मृत्यु का समय सुबह 8 बजे का बताया गया है।
एमबीबीएस की बजाय बीएएमएस डॉक्टर को सौपा गया ईलाज का जिम्मा
मृतक के परिजनों का कहना था कि तुषार की गंभीर हालात को देखते हुए ईलाज का जिम्मा किसी एमबीबीएस डॉक्टर को सौपा जाना चाहिए था लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बीएएमएस डॉक्टर को यह ज़िम्मेदारी सौपी जिस वजह से उसे उपचार ठीक से नहीं मिल पाया और उसकी मृत्यु हो गई। युवक की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा कर तोड़फोड़ कर दी। जिसमे अस्पताल और लिफ़्ट के काँच टूट गए। हंगामे की खबर पाकर मौके पर पहुँची पुलिस ने मामला शांत कराया। फ़िलहाल पुलिस मामले की जाँच कर रही है।
पेशेंट की किडनी ख़राब हो गई थी जिसकी जानकारी परिजनों को दी गई – अस्पताल प्रबंधन
तुषार के परिजनों द्वारा ईलाज में लापरवाही बरते जाने के आरोपों को मिडास अस्पताल प्रबंधन ने सिरे से ख़ारिज किया है। हॉस्पिटल के डायरेक्टर श्रीकांत मुकेवार ने बताया कि पेशेंट को 4 अप्रैल को उनके यहाँ एडमिट कराया गया था। जब उसे अस्पताल लाया गया तब उसकी तबियत अधिक ख़राब थी साथ ही उसका बिलीरुबिन काफ़ी हाई थी। पेशेंट की किडनी फेल हो गई थी जिसके बाद परिवार वालों को ऑर्गेन ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी दी गई थी। ईलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती गई।