नागपुर: मनपा प्रशासन कड़की में भी बेफिक्र नज़र आ रही है. वहीं नए नवेले नगरसेवक और पदाधिकारी साल भर बीत जाने के बाद भी अपने चुनावी क्षेत्र के लिए उल्लेखनीय कार्य नहीं कर पाने के कारण कसमकस में है. इसके साथ ही मनपा से सेवानिवृत्त और विकासकार्यों की जिम्मेदारी संभालने वाले ठेकेदारों को नियमित नज़रअंदाज करने से उनके बकाये की राशि दिनों दिन बढ़ते जा रही है. इन सब के बावजूद मनपा के विभागों में खरीदी घोटाले के लाभ से उपेक्षित कर्मी / अधिकारी पोल खोलने में कोई कसर भी नहीं छोड़ रहे हैं.
मनपा स्वास्थ्य विभाग: इस विभाग में आए दिन दवा के साथ सामग्री की खरीदी की जाती है. कुछ खरीदी कोटेशन तो कुछ टेंडर से होती है. पिछले १० सालों में कभी उक्त खरीदी का सोशल ऑडिट नहीं किया गया. इसलिए स्टोर संभाल रहे कर्मी के साथ खरीदी प्रक्रिया में लिप्त कर्मी / अधिकारियों की सम्पत्तियों का अंकेक्षण किया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि एक ही पद पर वर्षों रहकर सीमित वेतन से उक्त सम्पत्तियों का जुगाड़ करना मुमकिन नहीं.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारी-भरक्कम कचरे के बॉक्स की खरीदी ज़ोन निहाय कोटेशन पर की जा रही है. बताया यह जा रहा कि उक्त बॉक्स की आपूर्ति का ठेका रॉयल को दिया गया. रॉयल के प्रतिनिधि हमेशा मनपा वर्कशॉप में नज़र आ जाएंगे.
शिक्षा विभाग : इस विभाग में भी आए दिन खरीदी की जाती है, इस विभाग की खरीदी संभालने वालों के पास स्टॉक बुक है, लेकिन उसमें भी काला-पिला।
उक्त दोनों विभागों की पिछले १० सालों में हुई खरीदी का सोशल ऑडिट होना चाहिए, तभी मनपा राजस्व को चूना लगाने वाले पकड़े जाएंगे. वैसे भी मनपा के विभिन्न विभागों में कई काम नहीं भी हुए लेकिन बिल बनते और भुगतान भी आसानी से करवा कर हिस्सा-बांटी हो जाती है.
वर्कशॉप विभाग :इस विभाग में महीने में १ से २ बैरल इंजन ऑइल की खरीदी की जाती है. वह भी मनपा के वाहनों में खपत हुई इंजन ऑइल की भरपाई करने के लिए, जिसे इस विभाग की प्रचलन भाषा में ‘टॉप-अप’ करना कहा जाता है. लेकिन उक्त इंजन आयल का उपयोग गाड़ियों की मरम्मत करने वाले बाहरी ‘वेंडर’ के हितार्थ विभाग के सम्बंधित कर्मी खुलेआम चोरी करते हैं. वैसे इस इंजन आयल की प्रति लीटर ३०० से ३५० रुपए कीमत होती है, लेकिन उसे मात्र २०० रुपए प्रति लीटर के भाव से बेंच दिया जाता है.
नियमनुसार मनपा के खुद के वाहनों को टॉप-अप करने के लिए एक लीटर के लगभग इंजन ऑइल लगता है, लेकिन सम्बंधित कर्मी १०-१० लीटर इंजन ऑइल खुलेआम लेकर ‘वेंडरों’ को थमाते देखे गए.
वित्त विभाग: उल्लेखनीय यह है कि मनपा के ठेकेदारों के महीनों से भुगतान रोक दिए गए हैं. इसकी प्रमुख वजह यह है कि पिछले वित्त व लेखा विभाग प्रमुख ने विभिन्न मदों के लिए ‘रिजर्व फंड’ का उपयोग कर मनपा प्रशासन को कड़की में संभाल लिया था, इस प्रयोग से मनपा काफी आर्थिक संकट में आ गई. जिसकी भरपाई के लिए वर्तमान प्रभारी विभाग प्रमुख कोशिश कर रही हैं, लेकिन काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं. प्रशासन की कड़की इतनी ज्यादा उछाल पर होने के बाद भी सत्तापक्ष व प्रभावी विपक्षी नगरसेवकों के चुनिंदा सिफारिशों पर बड़े-बड़ों के बकाया भुगतान किया जा रहा है. प्रभावी नगरसेवक इन दिनों खुद ठेकेदारों के भुगतान प्रस्ताव लेकर घूम रहे हैं. इसी क्रम में पालकमंत्री से सम्बंधित एक बड़ा भुगतान जारी किए जाने से भी मनपा खजाना सकते में आ गया है.
परिवहन विभाग: और तो और आपली बस के ठेकेदारों का तो हाल काफी दयनीय हो चुका है. वे रोजाना पदाधिकारियों क् साथ अधिकारियों की केबिन दर केबिन चक्कर लगाते दिख जाएंगे।इनका नवम्बर, दिसंबर और जनवरी माह का भुगतान करोड़ों में बकाया हो चुका है.
इसके अलावा मनपा में वर्षों तक सेवाएं देनेवाले कर्मी / अधिकारी जो आज सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें भी पूर्ण बकाया नहीं दिया गया, आज वे भी दर-दर भटक रहे हैं.