Published On : Fri, Feb 10th, 2017

केवल 7978 युवाओं को ही मिला मिहान में रोजगार

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Mihan
नागपुर :
महाराष्ट्र सरकार ने 4 जनवरी 2002 को विदर्भ की महत्वकांक्षी योजना मिहान (मल्टी मोडाल इंटरनेशनल कार्गो हब एंड एयरपोर्ट एट नागपुर) की नींव रखी थी। विदर्भ के युवओं को ज्यादा से ज्यादा तादाद में रोजगार के अवसर मिलने के आश्वासन भी दिए गए थे। 2005 में एमएडीसी को मिहान की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। जिससे की इस योजना का समुचित विकास हो। लेकिन जिस उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस योजना की शुरुआत की गयी थी। उसमें ही मिहान पिछड़ते हुए नजर आ रहा है। हम बात कर रहे हैं रोजगार की।

पिछले 12 वर्ष में मिहान में 20 कंपनियां आयी हैं। लेकिन इन बीस कंपनियों ने पिछले बारह साल में केवल 7978 युवाओं को ही रोजगार उपलब्ध कराया है। इनमें टीसीएस कंपनी में 100, एयर इंडिया बोइंग में 100, हेग्जावेयर कंपनी में 700, टाल मैन्युफैक्चरिंग सॉल्यूशन में 350, सेनोस्फेर में 35, लूपिन फार्मा में 150, टेक महिंद्रा में 50, स्मार्ट डाटा में 210, कनव एग्रोनॉमी में 50, डाइट फ़ूड इंटरनेशनल में 50, एबिक्स में 140, क्लॉउडडाटा में 70, इन्फार्मेटिक्स सलूशन में 15, एमआरआर सॉफ्ट में 75, ग्लोबल लॉजिक में 250, एडीसीसी इंफोकॉम में 30, इन्फोसेप्ट्स में 210, स्थेनिक टेक्नोलॉजिस में 8 , चैतन्य आइटी सोलूशन में 5 और हेज़ल मेरचनटाइल में 5 युवाओं को रोजगार मिला है। जिसमें मिहान और सेज़ के मिलाकर 4803 स्थायी रोजगार हैं, जबकि 3175 लोग अस्थायी तौर पर काम पर रखे गए हैं।

मिहान 4200 हेक्टर भूमि पर फैला हुआ है। भूमि अधिग्रहण के अंतर्गत सेज़ के साथ करीब 8 गाँव से जमीन ली गयी थी। जिसमें कलकूजी, तेल्हारा, दहेगांव, खापरी, शिवणगाँव, सुमठाना, जयताला का कुछ भाग शामिल था। मिहान के प्रोजेक्ट को पूरा करने की अवधि वर्ष 2035 रखी गयी है। सन 2047 में एयरपोर्ट हब बनकर तैयार होगा।आठ और कंपनियां भी हैं, जो मिहान में निवेश करने के लिए उत्सुकता दिखा रही हैं।

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वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री ने मिहान को गति देने की बात कही थी। कुछ महीने पहले संपन्न हुए टाल मैन्युफैक्चरिंग ड्रीमलाइनर 787 बोईंग विमान बनाने के लिए बनाए गए फ्लोर बीम के कार्यक्रम में भी केंद्रीय भूजल और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने भी मिहान में रोजगार के अवसर विदर्भ के युवाओं को देने की सिफारिश कंपनी से जुड़े अधिकारियों से की थी। लेकिन हकीकत इससे परे दिखायी देती है।

विदर्भ में सैकड़ों की तादाद में इंजीनियरिंग, आइटीआइ और विभिन्न संकाय के महाविद्यालय हैं। हर साल हजारों विद्यार्थी हाथ में डिग्री लेकर निकलते हैं। लेकिन मिहान में रोजगार देने की जिस तरह से रफ़्तार दिखायी दे रही है। उससे शायद ही ऐसा हो कि इन युवाओं को मिहान में रोजगार मिले।

मिहान को 2002 में महाराष्ट्र सरकार की और से हरी झंडी दिखायी गयी थी। जिसके बाद राजनेताओं की ओर से कहा गया था कि अब विदर्भ का पढ़े लिखे युवा मुम्बई, पुणे, बैंगलोर नहीं जाएंगे । उनके लिए मिहान में ही रोजगार के कई अवसर होंगे। जिससे विदर्भ का विकास होगा। लेकिन फ़िलहाल तो विदर्भ के युवाओं के लिए यह उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।

—शमानंद तायडे 

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