Published On : Mon, Jul 11th, 2016

एआईसीसी केदार के दर

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चुनावों के मद्देनज़र नाराज साथी को मनाने की कवायद

File Photo

Nagpur: जिले में आगामी नगर परिषद सहित जिला परिषद चुनावों को ध्यान में रखकर जिले के एकमात्र विधायक सुनील केदार की महत्ता का आभास होते ही एआईसीसी के पदाधिकारी द्वय ने स्वीकारी की केदार को मनाने उनके घर भी जाना पड़े तो जरूर जाएंगे। समाचार लिखते वक़्त या जानकारी नहीं मिल पाई कि उक्त मुलाकात हुई या नहीं।

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यह भी उतना ही सत्य है कि एआईसीसी पदाधिकारियों को ज्ञात है कि केदार की सकारात्मक या नकारात्मक जिद्द का असर क्या होता है.प्रोफेशनली पॉलिटिशन केदार कोई भी चुनाव हो जंग जितने के लिए वे कभी भी,कही भी किसी से भी मिलने या हाथ मिलने या फिर जोड़तोड़ करने में हिचकिचाते नहीं है,राजनीत का असल कायदा भी यही कहता है.
केदार को करीब से जानने वाले उक्त एआईसीसी पदाधिकारी केदार को इसलिए भी मनाने का मानस बनाए हुए है यानी आगामी चुनाव में केदार पूर्णतः कांग्रेस का साथ दे.अगर इन दिनों केदार को मनाने में उक्त एआईसीसी पदाधिकारी को सफलता नहीं मिली तो कांग्रेस के प्रति केदार का विरोधी रुख भाजपा के लिए वरदान साबित हो सकता है.यह भी सत्य है कि उक्त एआईसीसी पदाधिकारी को केदार को मनाने के लिए उनकी शत-प्रतिशत शर्ते माननी होंगी,अन्यथा केदार एक बात को पकड़ कर मनाने गए एआईसीसी पदाधिकारी को खाली हाथ लौटने पर मजबूर कर सकता है.

ग्रामीण में चुनाव,वक्ता एक भी नहीं
नगर परिषद या जिला परिषद सह अन्य चुनाव में कॉंग्रेसी उम्मीदवार के प्रचारार्थ जिला कांग्रेस के पास एक ग्राम से लेकर जिला स्तर तक के कामकाज,योजना और राजनीत की समझ रखने वाला एक भी प्रखर,ओजस्वी वक्ता कांग्रेस के पास नहीं है,जो विरोधी दल के छक्के छुड़ाते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश और क्षेत्र के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सके.कुछ है भी तो चुनावों में विपक्षी दल के खिलाफ आग नहीं उगलेंगे कियूंकि ये सभी कभी न कभी विपक्षी दल के स्थानीय दिग्गज नेताओं का समय के अनुरूप मदद या आशीर्वाद ले चुके है.मामले में ले-दे कर एक एआईसीसी पदाधिकारी को शहर के साथ ग्रामीण के सभी चुनावों में ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना पड़ सकता है,यह पदाधिकारी कार्यकर्ताओ के नाम से लेकर जिले की समझ रखने के साथ विरोधियों की खामिया बखूबी समझ रखता है.

जिला कार्यकारिणी कब ?
नागपुर जिला ग्रामीण के अध्यक्ष की घोषणा के बाद जिले के कॉंग्रेसी यह टकटकी लगाए बैठे है कि जिला अध्यक्ष कब जिला कार्यकरिणी की घोषणा करते है और इस कार्यकारिणी में कितने ऊर्जावान कॉंग्रेसी को स्थान मिलता है.देशपांडे हॉल में गत रविवार को हुए कॉंग्रेसी सम्मेलन में आम राय यह थी कि युवा जिलाध्यक्ष की कार्यकारिणी भी युवा और ऊर्जावान से लबरेज हो.जैसे इस कार्यकारिणी में शकूर नागाणी,प्रताप ताटे,नाना कम्भाले,नरेश बर्वे,गज्जू यादव,शिवकुमार यादव आदि सहित युवक कांग्रेस के ऊर्जावान युवक कॉंग्रेसी का समावेश रखेगा तो चुनावी परिणाम पर असर के साथ मृत कांग्रेस की जान में जान आएगा।

नाना का गुस्सा जायज ?
नाना गवांडे दम्पत्ति ने एक दशक जिला कांग्रेस का सुख भोगा। पिछले एक साल से जिला में कांग्रेस को उसकी हाल पर छोड़ घर बैठ गए थे.नाना ने अपने कार्यकाल के दौरान सुरेश भोयर और मुजीब पठान को उठाया। आज प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी में भोयर महासचिव तो पठान और गावंडे सचिव है.जाहिर सी बात है कि नाना को गुस्सा आया होगा,इसलिए रविवार को सम्मेलन में अपनी भड़ास निकालते हुए उपस्थितों को सुनाए कि उन्हें कोई पद की जरूरत नहीं,दरअसल उन्हें उक्त पद पर को देख ग्लानि हो रही थी.
वही दूसरी ओर मुजीब पठान की जगह शकूर नागाणी को प्रदेश कार्यकारिणी में जगह दी जाती तो कार्यकर्ता के साथ न्याय होता। शकूर एक दशक से ज्यादा नगर परिषद सदस्य,पूर्व नगराध्यक्ष सह एनएसयूआई,युवक कांग्रेस का प्रदेश पदाधिकारी रह चुका है.यह भी सत्य है जो गुणवत्ता मुजीब में है वह शकूर में नहीं। इसलिए दोनों को प्रदेश में स्थान दिया जाना चाहिए था,ऐसी मानसिकता कामठी और बुटीबोरी के कॉंग्रेसी में चर्चा के दौरान दिखी।

कामठी में गुटबाजी से विपक्षी की मजे
दिसंबर में कामठी नगर परिषद का चुनाव है,इस चुनाव में सुलेखा कुम्भारे और भाजपा मिलकर चुनाव लड़ेगी। आज की हालात में उक्त समीकरण मुनासिब है और सत्ता के लिए सफल हो सकती है.वही कांग्रेस कामठी में चार फाड़ में बंटी है.नीरज यादव,साझा सेठ,सुरेश भोयर,नागाणी गुट में कांग्रेस बंटी है. इनको लामबंद करना नवनियुक्त जिलाध्यक्ष के लिए काफी टेडी खीर साबित हो सकती है.अगर बात नहीं बनी तो पुनः कांग्रेस विपक्ष में नज़र आएगी।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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