Published On : Sat, Oct 11th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: ढ़ाबों में महफिल , छलकता ज़ाम- कानून हुआ गुम

24 घंटे छूट से ढ़ाबों में खुली नशे की दुकान , आबकारी विभाग बेबस या बेईमान ?

गोंदिया। शराब अब सिर्फ नशा नहीं रहा , यह अब गोंदिया जिले में गंदे मुनाफे का कारोबार बन चुका है , आबकारी नीति और सरकारी सिस्टम की नाक के नीचे यह खेल खुलेआम चल रहा है।

गोंदिया शहर के चारों दिशाओं में फैले हाईवे, स्टेट हाईवे और फोरलेन किनारे के करीब 70 ढाबों में से 90% से अधिक अवैध शराब खानों में तब्दील हो चुके हैं।

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11 Oct 2025
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रात ढलते ही यहां के ढाबे “मयखानों” में बदल जाते हैं। भोजन की थालियों के बीच टेबल पर शराब की बोतलें और भरे गिलास के साथ शराबियों का मेला दिखता है , गोंदिया के इन ढाबों पर अब अवैध शराब बेचना एक आम चलन बन गया है।

MRP का खेल , डेढ़ गुना दाम और नकली शराब की खपत

आबकारी कानून साफ कहता है कि शराब की बिक्री केवल एमआरपी दाम पर बिल सहित होनी चाहिए लेकिन गोंदिया में नियमों की यह किताब अब केवल सरकारी अलमारी में पड़ी है। ढाबों में बेची जा रही बीयर और शराब एमआरपी से डेढ़ गुना दाम पर बिक रही है।

कई जगहों पर घटिया किस्म की नक़ली शराब, ब्रांडेड बोतलों तक में भरकर परोसी जा रही हैं जिससे स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

ना लाइसेंस.. ना फीस: , टैक्स और वैट की खुली चोरी

जिन ढ़ाबों पर इंलीगल शराब बिक रही है वहां टैक्स और वैट की खुली चोरी हो रही है लेकिन आबकारी विभाग अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण सिर्फ दफ्तर की टेबलों पर बैठकर किया जाता है और जो विजिटर बुक में आंकड़े बाज़ी दिखाई जा रही है वह महज़ खानापूर्ति ही है।
जागरूक नागरिकों द्वारा मौखिक और लिखित शिकायतें भी की जाती है लेकिन भ्रष्ट आबकारी कर्मचारी ” मंथली ढाबा मालिकों ” को पहले ही फोन पर सूचना देते हैं.. फिर होती है ” शो रेड ” यानी गूगल के जरिए कुछ फोटो अपलोड की जाती है जिसमें ढ़ाबों की खाली टेबलें दिखती है और निरीक्षण रिपोर्ट में लिखा जाता है ‘ कार्रवाई संपन्न ‘ ? असल में यह पूरा तंत्र एक “सुरक्षित रैकेट” बन चुका है।

गांधी जयंती सप्ताह ” ड्राई- डे ” बन गया ” ड्रिंक- डे

गांधी जयंती जैसे राष्ट्रीय दिवस पर पूरे देश में शराब बिक्री पर सख्त प्रतिबंध होता है आबकारी विभाग इसे गांधी सप्ताह के रूप में मनाता है पर गोंदिया में तो उस दिन भी बोतलें खुलती रहीं यानी “ड्राई डे” बन गया “ड्रिंक डे” !
स्थानीय ढाबा मालिकों ने कानून को ठेंगा दिखाया और आबकारी विभाग ने आंखें मूंद लीं।

पुरे गांधी सप्ताह में कार्रवाई की जगह मौन साधना देखी गई। विभागीय विजिटर बुक में दौरे की एंट्री तो लिखी गई, पर मैदान में कोई अफसर अवैध शराब बिक्री को लेकर ढ़ाबों पर कार्रवाई करते नहीं दिखा , ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है ?

*लाइसेंस वालों पर छापा , अवैध वालों पर रहम.. आबकारी विभाग का ” डबल गेम “*

” चोर छोड़ो , साधू पकड़ो” बिल्कुल सही सुना आपने, आबकारी विभाग का विरोधाभास तो देखिए – जिन परमिट रूम और बीयर बारों ने सालाना 2.15 से 2.5 लाख रुपये सरकारी फीस भरकर वैध लाइसेंस लिया हुआ है, वहीं विभाग उन पर दनादन दबिश डाल रहा है।

तिरोड़ा और गोरेगांव क्षेत्र में बीते हफ्ते ऐसी छापेमारी की बाढ़ आई कि लायसेंसी कारोबारी हिल गए।

वहीं दूसरी और ढाबों पर प्रशासन की चुप्पी यह सवाल छोड़ रही है- क्या दीपावली से पहले मलाई वसूली अभियान चल रहा है ?

बताया जाता है कि लाइसेंसी शराब दुकान कारोबारीयों को भी किसी न किसी नियम कायदे से हवाले में कार्रवाई का डर दिखाकर मलाई वसूली जाती है इस तरह दोनों जगह माल सुतो कार्यक्रम.. यह ‘ डबल गेम ‘ नहीं तो और क्या है ?

सिस्टम नतमस्तक , सरकार को लाखों का घाटा

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में सभी दुकानों, प्रतिष्ठान , होटल , रेस्टोरेंट , भोजनालय , ढाबों , थिएटर को 24 घंटे संचालन की छूट दी है लेकिन शराब बिक्री वाली दुकानों जैसे- वाइन शॉप , बीयर बार , डिस्कोथैक ,डांस बार , परमिट रूम , हुक्का पार्लर पर अभी भी रात 10:30 बजे बंद का समयबद्ध नियम लागू हैं।

अब नतीजा साफ है ढाबे गुलज़ार, और बीयर बार सुने पड़े हैं। जहां लाइसेंस धारक कारोबारी टैक्स, वैट और फीस देकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं वहीं अवैध ढाबे बिना टैक्स, बिना वैट, खुलेआम नशे की दावत दे रहे हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 10% वेट और 5% जीएसटी में मार्च 2025 से बढ़ोतरी की है नतीजतन 15% शराब की कीमतों में इजाफा हो गया है।

इसकी वजह से भी अब आम पब्लिक बीयर बार और परमिट रूम में बैठने के बजाय ढाबों का रुख कर ही है और कुछ शराब के शौकीन वाइन शॉप से बोतल खरीद कर ढाबों पर जाकर महफिल सजाते हैं तो जो बिना शराब लिए ढाबों पर पहुंचते हैं उन्हें वहीं एमआरपी से अधिक दामों में शराब उपलब्ध करा दी जाती है ऐसे में अब सवाल यह- जब चौकीदार ही चोर हो, तो न्याय की उम्मीद किससे ?
गोंदिया जिले के नागरिक अब सवाल पूछ रहे है – क्या अवैध ढाबे किसी “संरक्षण छत्र” में पनप रहे हैं ? कब लगेगा इस नशे के गंदे कारोबार पर अंकुश ?
आम जनता ने मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री से सीधी अपील की है कि- गोंदिया जिले में ढाबों के नाम पर फल-फूल रहे अवैध बारों और शराब बिक्री के इस नेटवर्क पर तुरंत संज्ञान लिया जाए ,आबकारी विभाग के भ्रष्ट अफसरों की जांच हो और सड़क किनारे खुले नशे के बाजार पर ताला लगे।

रवि आर्य

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