नागपुर : नागपुर के प्रसिद्ध NDPS (नारकोटिक ड्रग्स एंड सायकोट्रॉपिक सब्सटैंसेज) मामले में 52 ग्राम एम.डी. (मादक पदार्थ) की जब्ती के प्रकरण में माननीय विशेष न्यायाधीश, NDPS, श्री मनीष गणोर्कर साहब ने घाटे बंधुओं — प्रविण घाटे और सौरभ घाटे — को अग्रिम जमानत प्रदान की है।
मामला क्या है?
19 सितंबर 2025 को NDPS सेल की गश्ती टीम तुलसीबाग रोड, कोतवाली क्षेत्र में गश्त के दौरान संदिग्ध रूप से घूम रहे आरोपी संकेत भेड़े पर शक हुआ। तलाशी लेने पर पुलिस ने उसके पास से कथित 52 ग्राम एम.डी. पाउडर बरामद किया। पूछताछ में संकेत ने बताया कि वह गंगा काकडे और अंकुश भोसलें के लिए काम करता है।
इन आरोपों के आधार पर कोतवाली पुलिस ने गु.र.क्र. 305/2025 दर्ज कर धारा 22(सी), 29 व 8(सी) NDPS अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
घाटे बंधुओं के नाम कैसे आए सामने?
पुलिस रिमांड के दौरान संकेत भेड़े ने आगे पूछताछ में यह बयान दिया कि उसने यह एम.डी. पाउडर घाटे बंधुओं — प्रविण और सौरभ घाटे — से खरीदा था। इसके बाद इन दोनों को भी आरोपी नंबर 4 और 5 के रूप में जोड़ा गया।
बचाव पक्ष का पक्ष
घाटे बंधुओं की ओर से अधिवक्ता कमल सतूजा, अधिवक्ता कैलाश डोडाणी और अधिवक्ता अमोल लिंगायत ने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की।
उन्होंने न्यायालय को बताया कि:
- उनके मुवक्किलों को गलत तरीके से फंसाया गया है, क्योंकि FIR में उनका नाम नहीं है।
- वे केवल सह-आरोपी संकेत भेड़े के बयान के आधार पर आरोपित किए गए हैं, जो कानूनन स्वीकार्य साक्ष्य नहीं माना जा सकता।
- उनके घर की तलाशी में कोई भी मादक पदार्थ बरामद नहीं हुआ।
- संकेत भेड़े और घाटे बंधुओं के बीच किसी भी प्रकार का लेन-देन का प्रमाण नहीं है।
- उन्होंने अदालत से कहा कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे जांच में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।
वकीलों ने इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसले भी प्रस्तुत किए, जिनके आधार पर अग्रिम जमानत की मांग की गई।
अभियोजन पक्ष का विरोध
सरकारी वकील ए.पी.पी. विनोद हुक्रे ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि:
- मामला गंभीर प्रकृति का है,
- जांच प्रारंभिक अवस्था में है,
- इसमें व्यावसायिक मात्रा (commercial quantity) शामिल है,
- अगर अग्रिम जमानत दी गई तो आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं या गवाहों को धमका सकते हैं।
इसलिए उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग की।
अदालत का निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माननीय विशेष न्यायाधीश, NDPS, श्री मनीष गणोर्कर साहब ने घाटे बंधुओं को अग्रिम जमानत मंजूर की।
अदालत ने शर्त रखी कि दोनों आरोपी:
- हर मंगलवार और शुक्रवार को जांच एजेंसी के समक्ष हाजिर होंगे,
- और चार्जशीट दाखिल होने तक या 60 दिनों तक (जो पहले हो) जांच में पूरा सहयोग देंगे।
अधिवक्ता कमल सतूजा, कैलाश डोडाणी और अमोल लिंगायत ने इस मामले में घाटे बंधुओं की ओर से पैरवी की।