गोंदिया। राज्य में जारी नगर परिषद और नगर पंचायतों के आरक्षण ने नेताओं की चालें, समीकरण और रणनीति तीनों बदल दिए हैं।
अब गोंदिया की सियासत में असली मुकाबला आरक्षण बनाम उम्मीदवारी का होगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने नगर परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों का आरक्षण घोषित कर दिया।
राज्य मंत्री माधुरी मिसाल की अध्यक्षता में हुई इस घोषणा ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है क्योंकि ओबीसी वर्ग को मिली बड़ी हिस्सेदारी ने स्थानीय स्तर पर सियासी समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है।
राज्यभर में आरक्षण की नई तस्वीर
राज्य की 247 नगर परिषदों और 147 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पदों का आरक्षण जारी हुआ है कुल 67 सीटें ओबीसी को मिली है जिनमें से 34 पर महिलाओं को आरक्षण दिया गया है।
अनुसूचित जाति की 33 सीटों में 17 महिलाओं के लिए, अनुसूचित जनजाति की 11 सीटों में 6 महिलाओं के लिए आरक्षण तय किया गया है।
साथ ही जनरल श्रेणी की 136 सीटों में 68 सीटें महिलाओं को देकर ‘महिला सशक्तिकरण’ को बल दिया गया है।
आरक्षण से आया राजनीतिक समीकरणों में भूचाल
जिले में गोंदिया नगर परिषद- ओबीसी (जनरल) , तिरोड़ा नगर परिषद -ओबीसी (जनरल) वहीं भंडारा जिले में , भंडारा नगर परिषद -ओपन (महिला) उसी तरह साकोली नगर परिषद- ओपन (महिला) , लाखनी जनरल ( महिला ) आरक्षित हुई है।
नगर पंचायतो में-गोरेगांव- अनुसूचित जमाती ( जनरल ) , अर्जुनी मोरगाँव- अनुसूचित जमाती (महिला) ,सड़क अर्जुनी- जनरल (महिला) , सालेकसा- जनरल ,आरक्षित घोषित की गई है।
इन आरक्षणों ने स्थानीय नेताओं के राजनीतिक समीकरणों में भूचाल ला दिया है।
उल्लेखनीय है कि जो चेहरे वर्षों से अध्यक्ष पद की उम्मीद में सक्रिय थे, अब आरक्षण फॉर्मूले के कारण बाहर हो गए हैं और उनमें गम का माहौल है।
“नया आरक्षण- नई राजनीति”
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़ है कि ओबीसी आरक्षण की यह बड़ी खेप, सरकार के लिए ग्रामीण और कस्बाई वोट बैंक साधने की रणनीति है।
गोंदिया और तिरोड़ा जैसे नगर परिषदों में जहां हर दल के पास कद्दावर चेहरे मौजूद हैं, अब नेताओं के लिए टिकट वितरण और चेहरा चयन ही असली सियासी परीक्षा होगी।
टिकट की होड़ के बीच , संभावित उम्मीदवारों की खोज शुरू
रोस्टर की घोषणा के साथ ही दलों ने अपने ‘संभावित उम्मीदवारों’ की खोज शुरू कर दी है।
गोंदिया-भंडारा जिले में महा विकास आघाडी और महायुति गठबंधनों में जीत के मजबूत दावेदारों को लेकर अंदरूनी खींचतान तेज़ हो गई है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है-ओबीसी को बढ़त और महिलाओं को आधी हिस्सेदारी यह सिर्फ आरक्षण नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों की दिशा तय करने वाला ‘राजनीतिक तीर’ है।
विभिन्न पार्टियों में इन चेहरों की है मजबूत दावेदारी
गोंदिया नगर पारिषद अध्यक्ष का पद ‘ ओबीसी जनरल ‘ घोषित होने के बाद भाजपा के पास पूर्व नगराध्यक्ष कशिश जायसवाल , पूर्व नगर सेवक जितेंद्र ( बंटी ) पंचबुध्दे , ऋषिकांत साहू , भावना दीपक कदम , श्रद्धा नाखले ( अग्रवाल ) , मैथिली कड़ंबे ( पुरोहित जैसे दमदार चेहरे हैं।
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजीत गुट ) पूर्व नगर सेवक लोकेश (कल्लू ) यादव , सतीश देशमुख सहित प्रेम जायसवाल , माधुरी नासरे में से किसी एक नाम पर मुहर लग सकता है।
बात कांग्रेस की करें तो उसके पास शकील मंसूरी , राकेश ठाकुर , सचिन शेंडे ,अमर वराड़े , विजय बहेकार , रूपाली ऊईके जैसे मजबूत चेहरे हैं।
शिवसेना उद्धव गुट (मशाल) के पास पूर्व नगर सेवक पंकज यादव जैसा दावेदार है तो वहीं शिवसेना शिंदे गुट ( तीर कमान ) के पास मुकेश शिवहरे और कुथे परिवार के तौर पर कद्दावर चेहरे हैं।
देखना दिलचस्प होगा कि क्या स्थानीय स्तर पर महायुति और महागठबंधन की पार्टियों के बीच क्या आपसी कोई समझौता नगर अध्यक्ष पद को लेकर होता है या फिर सभी दल अपने बूते चुनाव लड़ेंगे।
रवि आर्य