औरंगजेब की कब्र विवाद केवल एक बहाना, हिंसा पहले से रची गई साजिश का हिस्सा थी
नागपुर : मार्च महीने में नागपुर के महाल इलाके में भड़के सांप्रदायिक दंगे को लेकर भारतीय विचार मंच की तथ्य-शोधन समिति ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हिंसा कोई अचानक भड़की प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि एक पूर्वनियोजित और सुनियोजित साजिश थी जिसका उद्देश्य भय फैलाना और सामाजिक सौहार्द को चोट पहुँचाना था।
दंगा 17 मार्च को उस समय भड़का जब कुछ हिंदू संगठनों द्वारा मुग़ल सम्राट औरंगजेब की कब्र को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक कब्र और हरे कपड़े को जलाया, जिसे कुछ लोगों ने धार्मिक चादर बताया। इसी को लेकर अफवाहें फैलीं और महाल एवं चित्रनीस पार्क क्षेत्रों में पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं शुरू हो गईं।
इस हिंसा में दर्जनों वाहन जलाए गए, कई घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचा, और 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस ने 60 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी फिहम खान पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
भारतीय विचार मंच द्वारा गठित तथ्य-शोधन समिति ने घटनास्थल का दौरा कर करीब 40 हिंदू पीड़ितों और 20 से 22 मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत की। अधिकांश मुस्लिम नागरिकों ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी बात रखी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रतीकात्मक कब्र और हरे कपड़े की जलाने की घटना केवल तात्कालिक कारण थी, असली कारण गहराई में छिपे हैं। पिछले कुछ समय में मुस्लिम समाज में फैलाई गई गलतफहमियों और अफवाहों ने इस हिंसा को भड़काने में बड़ी भूमिका निभाई।”
रिपोर्ट के अनुसार, दंगाइयों ने जानबूझकर उन घरों को निशाना बनाया जहाँ महिलाएं अकेली थीं। पत्थरबाजी कर डर का माहौल पैदा किया गया और इस्लाम के नाम पर नारे लगाकर सुनियोजित दहशत फैलाई गई। इसका उद्देश्य था पुलिस प्रशासन को पंगु बनाना और हिंदू समाज को निशाना बनाना।
समुदायों से सुझाव भी लिए
समिति ने न केवल दंगे के कारणों का विश्लेषण किया, बल्कि दोनों समुदायों से सुझाव भी लिए कि भविष्य में ऐसे हालात कैसे रोके जा सकते हैं। दोनों समुदायों ने पुलिस की तत्परता, पारदर्शी संवाद और अफवाहों पर तुरंत रोक लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।
समिति ने सरकार को सलाह दी है कि संवेदनशील इलाकों में सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा दिया जाए और धार्मिक व सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर गलत सूचनाओं पर कठोर कार्रवाई हो।
प्रशासन और राजनीति की प्रतिक्रिया
इससे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी नागपुर की हिंसा को “पूर्वनियोजित साजिश” बताया था। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही थी।
दंगे के बाद प्रशासन ने महाल और आस-पास के इलाकों में धारा 144 लागू कर दी थी और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर हालात को नियंत्रण में लाया गया।
तथ्य एक नजर में: नागपुर हिंसा – मार्च 2025
विवरण | जानकारी |
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घटना की तारीख | 17 मार्च 2025 |
स्थान | महाल एवं चित्रनीस पार्क, नागपुर |
प्रारंभिक कारण | औरंगजेब की कब्र पर प्रदर्शन व प्रतीक जलाना |
मुख्य आरोपी | फिहम खान (देशद्रोह का मामला दर्ज) |
गिरफ्तारी | 60 से अधिक लोग |
पुलिसकर्मी घायल | 30+ |
समिति निष्कर्ष | दंगा पूर्वनियोजित, अफवाहों के ज़रिए भड़काया गया |