नागपुर :अंबाझरी इलाके में हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में देखा गया कि सीमेंट सड़क और उसके किनारे लगे गट्टू (Gattu) के असंतुलन के कारण कई दोपहिया वाहन सवार सड़क पर गिर गए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और जनआक्रोश को जन्म दिया। इस पर महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (MSHRC) ने स्वत: संज्ञान (Sou Motu) लेते हुए नागपुर महानगरपालिका (NMC) आयुक्त को नोटिस जारी किया है।
हालांकि यह कदम सराहनीय है, लेकिन नागपुर के नागरिकों के मन में यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि MSHRC अब जागा तो क्यों?
नागरिकों का कहना है कि अंबाझरी की स्थिति कोई नई नहीं है। पूरे नागपुर शहर, खासकर कॉलोनियों और मुख्य सड़कों का भी यही हाल है। जहां-जहां सीमेंट की सड़कें बनी हैं, वहां आधी सड़कें अधूरी, असंतुलित और खतरनाक बनी हुई हैं। कहीं सीमेंट तो कहीं ऊँची-नीची गट्टू । इससे हर दिन कई वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, लेकिन अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई।
न कोई विभाग लेता है ज़िम्मेदारी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी को लेकर विभागों के बीच फुटबॉल खेला जाता है। अगर कोई नागरिक NMC से शिकायत करता है तो कहा जाता है कि मामला NIT के तहत आता है। NIT उसे PWD के पास भेज देती है और PWD अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। इस वजह से वर्षों से यह समस्या जस की तस बनी हुई है।
आयोग का कदम अधूरा?
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि मानवाधिकार आयोग ने वास्तव में नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करनी है, तो उन्हें केवल NMC तक सीमित नहीं रहना चाहिए था। उन्हें PWD, ठेकेदारों, इंजीनियरों और डिजाइन पास करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी नोटिस जारी करना चाहिए था। इसके अलावा, पूरे नागपुर शहर की सड़कों का तकनीकी ऑडिट कराए जाने का आदेश देना चाहिए था।
जनता को उम्मीद, लेकिन संदेह भी
नागपुर की जनता इस कार्यवाही को एक सकारात्मक शुरुआत मान रही है, लेकिन यह भी कह रही है कि यह कदम एक हादसे के बाद लिया गया तात्कालिक निर्णय लगता है। लोगों को अब इस बात की उम्मीद है कि MSHRC इस कार्यवाही को अंत तक ले जाएगा और दोषी ठेकेदारों, इंजीनियरों और अधिकारियों को दंड दिलवाएगा।
नागरिकों की मांग:
पूरे नागपुर की सड़कों का ऑडिट हो
भ्रष्ट ठेकेदारों और इंजीनियरों पर कार्रवाई हो
सड़कों की गुणवत्ता और डिज़ाइन की जांच हो
भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए कड़ी निगरानी की व्यवस्था हो
“हक तब नहीं जागे जब रोज़ाना गिरते रहे लोग, अब वीडियो वायरल हुआ तो मानवाधिकार की याद आई?”
— नागपुरवासी