नागपुर: लोकल फंड ऑडिट विभाग के नागपुर कार्यालय में वरिष्ठ लेखा परीक्षक पद पर पदोन्नति पाने के केवल 5 दिनों के भीतर ही अधिकारी का स्थानांतरण चंद्रपुर कर देना अब विवाद का विषय बन गया है। वरिष्ठ लेखा परीक्षक प्रवीण बागडे ने इस ट्रांसफर को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (मॅट) में याचिका दाखिल की, जिस पर सुनवाई करते हुए मॅट अध्यक्ष न्यायमूर्ति गिरडकर ने फिलहाल ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी है।
बागडे की ओर से अधिवक्ता आकाश मून ने पैरवी करते हुए ट्रांसफर प्रक्रिया को “मनमानी” और “कानूनी नियमों के विरुद्ध” बताया। उनका आरोप है कि यह कदम एक अन्य कर्मचारी शैलेन्द्र पुरी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया और इसमें मिलीभगत की भी आशंका है।
5 दिन में ट्रांसफर, बिना सुनवाई का मौका
अधिवक्ता मून ने बताया कि याचिकाकर्ता को 16 मई 2025 को सहनिदेशक के आदेश पर वरिष्ठ लेखा परीक्षक पद पर पदोन्नति दी गई थी, और उन्होंने उसी दिन कार्यभार भी ग्रहण कर लिया। लेकिन 20 मई को सहनिदेशक ने एक पत्र जारी कर कहा कि पदोन्नत कर्मचारी उनकी अनुमति के बिना शामिल नहीं हो सकते।
इसके अगले ही दिन, यानी 21 मई को, पूर्व आदेश को संशोधित कर याचिकाकर्ता को चंद्रपुर कार्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि उनके स्थान पर नागपुर कार्यालय में शैलेन्द्र पुरी की नियुक्ति कर दी गई। इस पूरी प्रक्रिया में ना तो कोई वैध कारण बताया गया और ना ही बागडे को सुनवाई का अवसर दिया गया।
सरकारी अधिसूचना के भी खिलाफ
अधिवक्ता मून ने कहा कि 22 सितंबर 2022 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, विभागीय ट्रांसफर केवल ठोस प्रशासनिक कारणों से ही किए जा सकते हैं। लेकिन इस मामले में न तो कोई प्रशासनिक कारण सामने आया और न ही वरिष्ठता सूची का सही पालन हुआ।
वरिष्ठता सूची में बागडे को क्रमांक 4 और पुरी को क्रमांक 5 पर दिखाया गया है, फिर भी बागडे को हटाकर पुरी की नियुक्ति कर दी गई। बागडे को 16 और 17 मई को विधिवत कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद, 18 मई को मौखिक आदेशों के आधार पर उन्हें कार्यभार निभाने से रोक दिया गया।
मिलीभगत और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण से अनुरोध किया है कि इस मामले में सहनिदेशक के आचरण की जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। मॅट ने ट्रांसफर आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।