Published On : Wed, Sep 9th, 2020

लोगों के मन से कोरोना का डर निकालना जरुरी : डॉ. सदाशिव भोले

Advertisement

Seven Star Hospital कोविड के मरीजों के लिए हमेशा सजग


नागपुर– Covid-19 जैसी महामारी में शहर का सेवन स्टार हॉस्पिटल ( Seven Star Hospital ) उन हॉस्पिटलों में से एक था, जिसने सबसे पहले Covid-19 के मरीजों के लिए 85 बेड उपलब्ध कराएं थे. उस समय निजी सेक्टर ( Private Sector ) में केवल शहर के दो ही हॉस्पिटल्स थे. उस दौरान हमनें कोविड-19 ( Covid-19 ) के मरीजों के लिए जल्द से जल्द व्यवस्था की थी. सर्जिकल हॉस्पिटल होने की वजह से पहले सर्जरीज काफी होती थी, लेकिन अब कोविड 19 covid 19 की वजह से वो बंद जैसे हो चुका है. हॉस्पिटल प्रबंधन ( Hospital Management ) ने भी कोविड-19 ( Covid-19 ) के मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए अपना पूरा ध्यान कोविड-19 ( Covid-19 ) पर ही लगाया और अपना हॉस्पिटल कोविड पेशन्ट के लिये तयार किया, यह कहना है सेवन स्टार हॉस्पिटल ( Seven Star Hospital ) के डायरेक्टर और सीनियर एंड्रोलॉजिस्ट और यूरोलाजिस्ट डॉ. सदाशिव भोले ( Dr. Sadashiv Bhole, Senior Andrologist and Urologist, Director ) का.

उन्होंने ‘ नागपुर टुडे ‘ ( Nagpur Today ) को बताया कि स्टाफ हॉस्पिटल में काफी है. लेकिन उनको भी कोविड-19 ( Covid-19 ) का डर था, उनको भी प्रोत्साहन ( Motivation ) की जरुरत थी हमने उनको काफी मोटीवेट किया. उनका जो इंसेंटिव और सैलरी की डिमांड थी, वो हमनें पूरी की. स्टाफ के कुछ लोग छोड़कर जा रहे थे, फिर हमने उनको समझाया. उनको भी इस संक्रमण का डर था. हमनें स्टाफ के लिए पड़ोस के होटल में जगह ली और उनकी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए प्रोटीन दिया. यह सभी हमने हमारे पैसो से स्टाफ को मोटिवेट करने के लिए किया. होटल में रखे गए इस स्टाफ को हाई प्रोटीन खाना, इसमे दिन मे दो बार अंडे तथा रात को हल्दी का दूध देते थे. यह सभी हमनें अपने स्टाफ का मनोबल बढ़ाने के लिए किया.

डॉ. सदाशिव भोले ( Dr. Sadashiv Bhole ) ने बताया की अगर किसी भी निजी सेक्टर ( Private Sector ) के हॉस्पिटल को कोविड-19 ( Covid-19 ) हॉस्पिटल बनना है, तो काफी समस्याएं रहती है. स्टाफ की परेशानी, जो स्टाफ है, उनसे दिनभर काम नहीं करवा सकते. हम प्रोटोकॉल के हिसाब से काम करते है, हमारे यहां का स्टाफ 6 घंटे से ज्यादा काम नहीं करता. क्योंकि PPE किट पहनने से काफी पसीना आता है, इन्फेक्शन कण्ट्रोल की प्रैक्टिस का पालन करना भी महत्वपूर्ण है. उसमें भी काफी खर्च आता है. पीपीई किट ( PPE ) जिसमें की चश्मा, फेस शील्ड, गाउन, शु कवर, इन सबके साथ स्टाफ रहते है, पीपीई किट के रहते हुए कुछ स्टाफ को चक्कर आने लगे तो, उसके लिये हमने हमारे सीएमडी के मार्गदर्शन मे ड्युटी जॉईन करने के पहले स्टाफ को दो केले तथा एनर्जी ड्रिंक देना स्टार्ट किया .

उन्होंने बताया की मरीजों को लेकर भी काफी परेशानी होती है, मरीज अंदर वार्ड में एडमिट होता है और उसके परिजन उससे मिलना चाहते है, जिसके कारण हमें परिजनों को वीडियो ( Video ) कॉल के जरिये समझाना पड़ता है. कभी कभी मरीज की भी डिमांड रहती है की चार रिलेटिव है, वे सभी फ़ोन करेंगे, लेकिन इस तरह से यह संभव नहीं हो पाता. हम एक रिलेटिव को जानकारी दे सकते है, लेकिन चार रिश्तेदारों को जानकारी नहीं दे सकते है, अगर ऐसा रहा तो डॉक्टर काम कब करेंगे. यह काफी बड़ी समस्या है.

इसके साथ ही उन्होंने बताया हम अच्छा काम करने के बवजुद प्रशासन की ओर से लीगल नोटिस दिए गए. फिर भी हम सरकार ने जो नियम बनाएं है कि कम खर्च में लोगों का इलाज करना है उसका हम पालन कर रहे है , फिर भी कम खर्चे में हॉस्पिटल चलाना नामुमकीन है. हर बार नया नोटिफिकेशन आता है, और उसका पालन करना पड़ता है. यह भी एक बड़ी समस्या है.

उन्होंने बताया की कोविड-19 ( Covid-19 ) मरीज की मौत को हैंडल करना काफी कठिन रहता है. हम मरीज की बॉडी सीधे परिजनों को नहीं दे सकते है, हमको वो पहले मनपा ( Nmc ) को देनी पड़ती है. लेकिन अगर मनपा ( Nmc ) का वाहन आने में देर हो गई तो परिजन नाराज हो जाते है कि आप हमें क्यों नहीं बॉडी दे रहे है. ऐसा कहते है. लेकिन हम नियम के हिसाब अनुसार बिना मनपा ( Nmc ) के बॉडी नहीं दे सकते.

उन्होंने बताया की मरीजों का इलाज करते करते हमारा कुछ स्टाफ भी और सीनियर डॉक्टर्स ( Senior Doctors ) भी पॉजिटिव आने लगे है. स्टाफ और डॉक्टर्स पॉजिटिव आने के मामले केवल हमारे देश में नहीं विदेशो में भी सामने आए है. अगर स्टाफ और डॉक्टर्स कोविड-19 ( Covid-19 ) पॉजिटिव पाए गए तो इसमें स्टाफ का शॉर्टेज हो जाता है और डिमांड बहोत बढ़ जाती है और अब पहले के जैसे आसानी से स्टाफ भी नहीं मिलता है.

उन्होंने कहा की सभी को साथ में लेकर चलना चाहिए. अभी सेवन स्टार हॉस्पिटल ( Seven Star Hospital ) में सभी सुविधाएं मरीजों को दी जा रही है.हॉस्पिटल में अगर कोई भी मरीज डिस्चार्ज या ऐडमिट होता है तो तुरंत उसकी जानकारी मनपा ( Nmc ) की वेबसाइट में अपडेट की जाती है. उसमें कैटेगरी भी डाली जाती है. हमारे यहां 90 बेड्स में ऑक्सीजन ( Oxygen ) है. covid-19 मरिजो के लिये 105 में से 90 बेड दिए हुए है, बाकी के बेड्स किसी भी तरह की एमर्जेन्सी के लिए रिज़र्व ( Reserve ) रखे गए है. हम ज्यादा बेड के लिए तैयार थे, हमने मनपा ( Nmc ) को लेटर भी दिया था की हमें स्टाफ उपलब्ध करवाए. उन्होंने कहा था की आप बेड दीजिये, हम स्टाफ देंगे, लेकिन उनके पास भी स्टाफ की कमी थी. डॉ. सदाशिव भोले ( Dr. Sadashiv Bhole ) ने कहा की नेगेटिव माहौल में पॉजिटिव बनने की जरुरत है. मरीजों के मन से डर निकलना जरुरी है. सभी को मोटिवेशन मिलाना चाहिए. उन्होंने बताया एक 95 साल के बुजुर्ग हमारे हॉस्पिटल से स्वस्थ होकर गए है. लोगों को भरोसा होना जरुरी है की मुझे हुआ तो भी डॉक्टर ठीक करेंगे, जिससे लोगों का डर कम होगा. समय की मांग है की लोगों के मन में बैठे डर को कम किया जाए.

उन्होंने बताया की शहर के वरिष्ठ डॉ. एव हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ प्रशांत रहाटे ( Cmd, Senior Dr. Prashant Rahate ) के मार्गदर्शन में अस्पताल को कोविड-19 ( Covid-19 ) के रूप में कन्वर्ट किया गया है. कोविड़ केयर टीम ( Covid Care Team ) को डॉ. मोहन नेरकर ( Dr.Mohan Nerkar ) लीड कर रहे है. जिसमें उनका साथ डॉ. रमेश हसानी ( Dr. Ramesh Hassani ), डॉ. अविनाश गंधारे ( Dr. Avinash Gandhare ), डॉ. राहुल हिवंज ( Dr. Rahul Hiwanj ) दे रहे है. इसमें महत्वपुर्ण काम हॉस्पिटल के महाप्रबंधक डॉ प्रविण निखाडे, ( Dr. Pravin Nikhade), और उनकी एडमिन टीम डॉ पुनम सारडा ( Dr. Poonam Sarda), डॉ. जवेरिया अशरफी ( Dr. Javaria Ashrafi ) और नितिन जरबड़े ( Mr.Nitin Zarbade) कर रहे है. इसके साथ ही हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर्स ( Doctors ), नर्सेज ( Nurses ) और हॉस्पिटल का बाकी स्टाफ भी सभी मरीजों की सेवा में लगा हुआ है.