शिवयोग किसान शिविर में हजारों किसान पहुंचे
यवतमाल। शिवयोग खाद्य एक बेहतरीन टॉनिक है, जिसकी वजह से किसान को बुआई के लिए आनेवाली लागत कम हों जाती है तो उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है. इसका प्रयोग हर किसान उसके खेत में कुछ हिस्से में करें, अगर अच्छा परीणाम मिलता है तो उसे लगातार करें, ऐसे विचार प.पू. अवधूत बाबा शिवानंजी ने व्यक्त किए. वे आज यवतमाल के हैलिपॅड ग्राऊंड पर आयोजित शिवयोग किसान शिविर में बोल रहें थे. इस शिविर में 20 हजार किसान समेत अन्य लोग उपस्थित थे. जिसमें साधकों का भी समावेश था. उन्होंने कहा कि, जिवन का एक चक्र है, जिसमें मनुष्य, पेड़-पौंधे और पशु की मुख्य प्रक्रिया होती है. अगर इसमें से एक भी खत्म हो जाए तो महाप्रलय आने में विलंब हीं लगेंगा.
उन्होंने कहा कि, दुर्गासप्तशती की दिक्षा लेना राजयोग है. इस जप से दुष्मन, बिमारी, प्राकृतिक आपदा आदी से भय नहीं रहेता. परमात्मा को सच्चे दिल से पुकारों तो वे मिल जाते है. जिसके लिए शुद्ध भावना, निर्मल मन हों और मन में कोई विकार नहीं होने चाहिए. शिवयोग में साधना, सेवा, संकिर्तन रोज करना जरूरी है. भोले बाबा की खाद्य फ्रि की टॉनिक है. जैसे-जैसे मंत्रोपचार से शक्ति बढ़ेंगी वैसे यह टॉनिक रूपी खाद्य भी कई गुना बढ़ जाएंगी. जिससे फसल अच्छी होंगी, उसका मॉलेकुलर स्ट्रक्चर बदलेंगा. गुनवत्ता अन्य बिजों की तुलना में अच्छी रहेंगी. बिजों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बुआई के 15-20 दिन पहले 10 मिनट तक शक्तिमंत्र का जाप जरूरी है. बुआई के बाद साल के 365 दिन 20 मिनट तक शक्तिप्रदान करना चाहिए. शक्ति फसल को प्रदान करने के लिए खेत में ही रहने की आवश्यकता नहीं, दुनिया के किसी भी कोने से ध्यान लगाकर शक्ति सुरज के माध्यम से फसलों तक पहुंचाई जा सकती है.
शक्ति का आवाहृन इमानदारी से करने की जरूरत है. यह शक्ति शिवयोग का स्प्रे है. जिससे किसान की लागत 70 फिसदी बच जाएगी. मंत्रोपच्चार करने के लिए खेत या घर में ऐसा स्थान ढूंढना चाहिए जहां चढ़ते सुरज के दर्शन हों, सुरज देवता के माध्यम से यह शक्ति पौधों के पन्नों से लेकर जड़ों तक पहुंचाई जाती है. जबलपुर में शिवयोग द्वारा बिजों की अंकुरित क्षमता बढ़ाई गई. जिससे उसके अंकुर 9 से.मी. लंबे और 100 फिसदी अंकुरण क्षमता थी तो दूसरे रासायनिक तरीके से पैदा किए गए फसलों की अंकुर की लंबाई 3 से.मी. और उसकी अंकुरन क्षमता 70 फिसदी ही निकली. फसल के साथ जो अनचाही घास उग आती है, उसे भी शिवयोग की शक्ति से साफ किया जा सकता है. इतना ही नहीं, जो जंगली मवेशि या बंदरों की टोलियां फसल नष्ट करती है, वे भी शिवयोग द्वारा की गई खेती की फसल को छूते तक नहीं है. महामृंतजय जप से किसान तनावमुक्त हों सकता है. इस कार्यक्रम में लातुर, कराड़, नागपुर, अहमदनगर, जबलपुर, होशंगाबाद, अमरावती के डिगरगव्हाण, पुसला, वरुड, नरखेड़, माहुर, वर्धा आदि से किसान पहुंचे थे. विदर्भ के किसानों की भी संख्या हजारों के ऊपर थी.
इन किसानों ने इससे पहले के शिविर में जो सिखा था, उसके आधार पर खेती करने से कैसे लाभ हुए, यह भी उपस्थितों को बताया. श्रद्धा से शिवयोग खेती की जाए तो फसल आठ गुनी हों सकती है. शिवानंदजी बाबा ने कहा कि, वे भगवान शिव के आदेश से यवतमाल आए है. जिवन को सार्थक करना है लोगों से मांगने के बजाए भोलेबाबा से मांगों सब मिलेंगा. किसान जो फसल पैदा करता है वह मॉँ अंबा का पूर्णअन्नरुपी रूप है. अवधूत बाबा ने कहा कि, वे रमता जोगी है और बहते पानी के समान वे यहां आ गए है. शिवयोग की खेती से मन की शांति, पारिवारिक सुख तो मिलेंगा ही, बिमारी से भी मुक्ति मिल जाएंगी. 20 मिनट की साधना से जमीन की गुनवत्ता दिन ब दिन सुधर जाती है. दोपहर 4 बजे अवधूत बाबा मंच पर पहुंचे. उपस्थितों ने शिवभजन से उनका स्वागत किया. भगवान श्री गणेश, मॉँ दुर्गा की प्रतिमा का पुजन एवं दिपप्रज्वलन शिवानंदजी बाबा ने किया. 43 डिग्री की धूप होने के बावजूद हजारों महिला, पुरुष किसान सुबह से ही शिविरस्थल पर पहुंच गए थे. शिवयोग साधना साहित्य के स्टॉल पर भी किसानों की भीड़ देखी गई.
आज सुबह 8 से 12 चलेगा शिविर
रविवार की सुबह 8 बजे से यह किसान शिविर 12 बजे तक चलनेवाला है. जिसमें इस शक्ति को और भी ज्यादा तेज कैसे किया जा सकता है? इसके बारे में किसानों को बाबा शिवानंदजी मार्गदर्शन करेंगे. शिविर स्थल पर किताबें और सीडी उपलब्ध है, जिसका साधक लाभ उठाए.