Published On : Thu, Jan 11th, 2018

21 विद्यार्थियों के भरोसे चल रही रामनगर की मनपा स्कूल

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नागपुर: नागपुर महानगर पालिका की शहर की प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की हालत काफी खराब स्थिति में है. इन स्कूलों की कमी के बारे में प्रशासन को जागरुक कर इनमें सुधार करने के उद्देश्य से स्कूलों की हालत को बयान करने की पहल नागपुर टुडे की ओर से की गई है. रामनगर मराठी कन्या उच्च प्राथमिक शाला का हाल अब तक देखी गई सभी स्कूलों की हालत से काफी खराब दिखाई दी. इस स्कूल में पहली से लेकर आठवीं तक केवल 21 ही विद्यार्थी ही पढ़ते हैं. जिसमें 7 लड़के हैं और 14 लड़कियां हैं. जबकि इन 21 विद्यार्थियों में से ही 5 विद्यार्थी डिसेबल्ड है. इन्हें पढ़ाने के लिए स्कूल में 4 शिक्षक हैं. एक शिक्षक को दो क्लास दी गई है. 4 साल पहले एक चपरासी थी. उसके रिटायर्ड होने के बाद से कोई भी चपरासी की यहां नियुक्ति नहीं की गई है. एक सफाईकर्मी भी है. यहां की हर एक क्लास की क्षमता 2 से 3 ही विद्यार्थियों की है.

विद्यार्थियों के लिए मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था
विद्यार्थियों के लिए स्कूल में पर्याप्त व्यवस्था की बात करें तो 21 विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए एक वाटर कूलर है और शौचालय की व्यवस्था भी ठीक ठाक ही दिखाई दी. लेकिन इतने वर्षों से डिसेबल्ड बच्चे यहां पढ़ते हैं, उनके लिए मनपा की ओर से अभी शौचालय बनाने का कार्य चल रहा है. इमारत 1957 में बनी थी. जिसके हिसाब से काफी समय हो चुका है. इमारत को दुरुस्त करने के कोई भी उपाय नहीं किए जाते हैं. केवल कुछ वर्षों में एक बार सफेदी मारने का काम ही किया जाता है. पहले इस स्कूल में सिर्फ लड़कियां पढ़ती थी, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या कम होने की वजह से अब यहां पर लड़कों को भी एडमिशन दिया जाने लगा है. 5 डिसेबल्ड विद्यार्थियों के लिए हफ्ते में 3 बार 1 शिक्षक आते हैं, जो इन्हे पढ़ाते हैं.

क्यों हो रही विद्यार्थियों की संख्या कम
विद्यार्थियों की संख्या कम होने के लिए सब के अपने अपने कारण है. लेकिन सबसे बड़ा कारण सरकारी स्कूलों का गिरता हुआ दर्जा, सुविधाएं और शिक्षा ही है. साथ ही इसके कई स्कूलों के इंचार्ज ने यह भी बताया कि दूसरी निजी स्कूलों के प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों के अभिभावकों को बहलाया जाता है. जिसके कारण भी विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है. यहां की इंचार्ज ने भी यही बताया. इंचार्ज का कहना है कि पास ही में एक हाईस्कूल है. जिसके शिक्षकों ने यहां के विद्यार्थियों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें मनपा स्कूलों की हालत के बारे में कहा जिसके कारण लगातार विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है. सरकार ने कुछ दिन पहले निर्णय लिया है कि जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम है. उनका समायोजन दूसरी स्कूलों में किया जाएगा. लेकिन जिन सरकारी स्कूलों की संख्या अच्छी है, उन स्कूलों का दर्जा सुधारने के लिए सरकार कोई भी ठोस कदम उठाते हुए दिखाई नहीं दे रही है. जिसके कारण भी विद्यार्थियों के अभिभावक सरकारी स्कूलों को लेकर उदासीन है.

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डिजिटल स्कूल बनने से पिछड़ रही मनपा की स्कूल
इस स्कूल को 2006 में 2 कंप्यूटर दिए गए थे. पिछले 4 साल से कंप्यूटर खराब पड़े हुए हैं. लेकिन मनपा कार्यालय में बैठे उच्च अधिकारी जो मनपा की स्कूलों को डिजिटल बनाने का सपना देख रहे हैं. उन्होंने कभी भी 4 साल में इन ख़राब कंप्यूटर को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई, स्कूलों को डिजिटल बनाना तो दूर की बात है.

स्कूल इंचार्ज क्या कहती है
पिछले 6 वर्ष से स्कूल की इंचार्ज के पद पर कार्यरत श्रद्धा मड़ावी ने बताया कि विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से इस महीने से परिसर में विद्यार्थियों के अभिभावकों से मिलना शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि साल में दिपावली के समय और गर्मियों में चुनाव संबंधी काम दिए जाते हैं. जिसके कारण 3 शिक्षक कुछ महीने उसी काम में लगे रहते हैं. शिक्षा के कामों के अतिरिक्त जो स्कूले बंद हो चुकी हैं, उन स्कूलों की टीसी का कामकाज इसी स्कूल को दिया गया है. 4 बंद पड़ी हुई स्कूलों का काम इस स्कूल में है. जिसके कारण उन स्कूलों के पूर्व विद्यार्थी भी टीसी से संबंधित काम के लिए यहां पहुंचते हैं. जिससे भी परेशानी होती है.

—शमानंद तायडे

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