नागपुर: शिक्षा के अधिकार के तहत नागपुर जिले में करीब 1824 सीटे रिक्त रहने की चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। सामने आई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2016 के शैक्षणिक सत्र में नागपुर जिले की 6705 जगहों में से 4880 जगह भरी गई। यह हाल सिर्फ नागपुर जिले का नहीं है विदर्भ के नागपुर विभाग में यही हाल है विभाग में आरटीई की कुल 12 हजार 390 जगह है जिनमे से सिर्फ 6 हजार 984 जगह ही भर पायी यानि की 5 हजार 406 जगह खाली ही रह गई।
मुख्यमंत्री के शहर में जब गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित है तो राज्य में क्या स्थिति होगी। यह सीटे रिक्त कैसे रह गई यह भी बड़ा सवाल है। अच्छी स्कूल में बच्चे को पढ़ाने की आस में हर गरीब से आरटीई के माध्यम से प्रवेश दिलाने का प्रयास किया फिर भी सीट खाली रह गई। अगर सीटे खाली भी रह गई तब भी ऐसी स्थिति में नियम 21 के तहत सामान्य विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ देना बंधनकारक है। एक ओर सरकार अनुदानित स्कूलों में बच्चो की अन्पस्थिति पर कार्रवाई करने का आदेश देती है। ऐसे में देखना यह भी होगा कि यह जानकारी सामने आने के बाद क्या कदम उठती है। यह जानकारी बता रही है कि शिक्षण संस्थाओ ने आरटीई के तहत दाखिल देने में लापरवाही की और साथ ही शिक्षा विभाग ने ईमानदारी से अपना काम नहीं किया। इस चौकाने वाली जानकारी को सामने लेने वाले आरटीई एक्शन कमिटी के अध्यक्ष मोहम्मद शहीद शरीफ ने इस मामले को गंभीर बताया है। उनका कहना है यह गरीब बच्चो के हक़ पर डाका डालने जैसा है। ऐसी लापरवाही बिना शिक्षण विभाग की मदत से नहीं हो सकती इसलिए इस मामले की पूरी जांच हो। यही हल पिछले वर्ष भी था भविष्य में ऐसा न हो इसलिए सरकार इस ओर गंभीरता से ध्यान दे।

