नागपुर। जाति प्रमाणपत्र जांच एजेन्सी के आदेश को चुनौती देने के कारण लंबित मामले का हवाला देकर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने जर्मनी दौरे की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। यह आदेश 19 फरवरी 2025 को जारी किया गया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए निलिमा निनावे ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की।
याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के उपमहानिदेशक ने हलफनामा दाखिल कर अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता को विदेश यात्रा की अनुमति प्रदान कर दी गई है। अदालत ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सिद्धि चवरे ने पैरवी की, जबकि केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा।
केंद्र सरकार के हवाले से कार्रवाई को ठहराया उचित
पिछली सुनवाई में मौसम विभाग की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी थी कि महानिदेशक के निर्देशों के अनुसार, उपमहानिदेशक ने निलिमा निनावे की जर्मनी यात्रा को इसलिए मंजूरी नहीं दी क्योंकि उनके विरुद्ध न्यायिक कार्यवाही लंबित है।
इस संबंध में नागपुर एरोड्रम मौसम विज्ञान कार्यालय के निदेशक और वैज्ञानिक-डी, रिजवान अहमद ने शपथपत्र दाखिल कर बताया कि यह कार्रवाई केंद्र सरकार के भूमि एवं विज्ञान विभाग द्वारा 9 अक्टूबर 2024 को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार की गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा— मनमानी और अधिकारों का दुरुपयोग
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि 19 फरवरी 2025 को जारी आदेश में याचिकाकर्ता के विदेश यात्रा के अधिकारों को सीमित करने का कोई वैध आधार नहीं था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संबंधित न्यायिक कार्यवाही और छानबीन समिति के आदेश के चलते याचिकाकर्ता के अधिकारों पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
कोर्ट ने इसे पूरी तरह मनमानी और अधिकारों का दुरुपयोग करार दिया। साथ ही कहा कि यह आदेश किसी भी वैध दस्तावेज या कानूनी आधार पर आधारित नहीं था। परिणामस्वरूप, हाई कोर्ट ने 19 फरवरी 2025 के आदेश को रद्द करते हुए उस पर रोक लगा दी।