Published On : Sun, Jun 15th, 2014

शराब माफियाओं को LBT ख़त्म होने से होगा नुकसान, LBT हटते ही शहर में भिंगरी की एंट्री पक्की

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नागपुर टुडे

नागपुर जिले में देशी शराब बनाने की ६ बॉटलिंग प्लांट/फैक्ट्री है. सभी के सभी शहर सीमा के भीतर होने से शौकिनो को मनमानी गुणवत्ता सह कीमत में शराब उपलब्ध करवा रहे है. अब जिले के बाहर से आने वाले शराब का खेप LBT के चक्कर में शहर में धंधा नहीं कर पा रहा, LBT हटते ही बाहर से आने वाले शराब शहर में छाने का डर शराब माफियाओं को सता रहा है.

शराब के धंधे से जुड़े लोगो का कहना है कि मांगों अनुरूप गुणवत्ता की कमी की वजह से जिले में कोपरगॉव(शिर्डी) की देशी शराब भिंगरी खूब चल रही है. वही शहर में माह भर में LBT के चक्कर में अधिकतम ५००० पेटी की बिक्री हो रही है.
शहर में दर माह लगभग २५० लाख पेटी की बिक्री है,यानि रोजाना शहर में ७ से ८ हज़ार पेटी शराब की खपत है, जिसमे सबसे ज्यादा १ लाख पेटी देशी शराब विदर्भ डिस्टिलर्स, दूसरे क्रमांक पर नागपुर डिस्टिलर्स, तीसरे क्रमांक पर कोंकण एग्रो और सबसे पीछे रॉयल ड्रिंक्स जिले में खुद की निर्मित देशी शराब की बिक्री कर पा रहे है, वह भी भिंगरी से काफी निम्न दर्जे का शराब निर्मित कर रहे है. इसलिए जिले में शहर सीमा के बाहर भिंगरी का एकछत्र राज है.

जिले के शराब माफियाओं में यह डर समां रहा है कि जबतक LBT है तबतक शहर में टिक पा रहे है, जैसे ही बदलते वातावरण में LBT हटी कि शहर में भिंगरी की जोरदार एंट्री हो जाएगी।इसका सीधा असर शहर सीमा में देशी शराब की बॉटलिंग/निर्मिति कर रहे सभी ६ समूह को पड़ना तय है.एक निर्माता के करीबी के अनुसार LBT हटने के बाद भिंगरी ने गुणवत्ता बरक़रार रखा तो रोजाना खपत का ३ हिस्सा भिंगरी का होगा।

इसलिए जिले के शराब माफिया जिले भर में भिंगरी पर पाबन्दी लगाने हेतु चिल्लर विक्रेताओ को डरा धमका रहे है. आज भी वाड़ी में भिंगरी की बिक्री पुनः शुरू नहीं हो पाई. डराने का क्रम यह है कि एक चिल्लर का पुराना विक्रेता को भिंगरी के पक्ष में लड़ाई लड़ने के चक्कर में अपनी जान गवाने का डर सता रहा है. रामटेक विधानसभा के कुछ भिंगरी के अधिकृत विक्रेताओ ने यह योजना बना रखी है कि ज्यादा दबाव बनाया गया तो १ दर्ज़न देशी शराब के लाइसेंसी अपनी दुकान बंद कर आबकारी विभाग को दुकान की चाभी थमा देंगे. खापरखेड़ा के चिल्लर विक्रेता शराब माफियाओं के यूनियन से नाता तोड़ खुद का नया यूनियन पंजीयन के फ़िराक में है.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त घटना क्रम में आबकारी विभाग की चुप्पी समझ से परे है,यही आलम रहा तो राजस्व डूबने का खतरा मंडरा रहा है.