निजी मोबाइल कंपनियां दे रहीं बेहतर सेवा
वेलतूर
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के गांव-गांव में खड़े किए गए टावर शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. ये टावर अक्सर बंद ही रहते हैं, जिसके चलते बीएसएनएल के फोन लगते ही नहीं. 100 रुपए का रिचार्ज कराने पर किसानों की यह राशि बेकार ही जाती है. बीएसएनएल को लेकर पिछले दिनों यह मजाक खूब चला- बीएसएनएल माने ‘भाई साहब लगता नहीं’. गांवों के बीएसएनएल के टावर कभी बिजली के अभाव में तो कभी जनरेटर के कारण, तो कभी केबल चोरी जाने के कारण बंद पड़े रहते हैं. इसकी तुलना में निजी कंपनियां बेहतर सेवाएं दे रही हैं. उनके कनेक्शन से फोन तत्काल लग जाते हैं. यह हाल सारे गांवों का है.
वेलतूर भी उसमें अछूता नहीं है. टावर के बंद रहने और काम नहीं करने के कारण किसानों और नागरिकों को पैसे बेकार में गंवाना पड़ता है. गांव में अनेक लोगों ने बीएसएनएल का कनेक्शन छोड़कर दूसरी निजी कंपनियों का सिम खरीद लिया है. लोगों में अब यह चर्चा चल पड़ी है कि कहीं बीएसएनएल के अधिकारी, कर्मचारी जानबूझकर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए तो ऐसा नहीं करते ?
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