Published On : Wed, Apr 2nd, 2014

महुआ फुल दिला रहे ग्रामीणो को रोज़गार।

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महुआ फुल कई परिवारों  की आय का स्त्रोत। सही दाम न मिलने से गरीबों का नुकसान।
Mahuaa Phool  Amgaon News Photo 1
आमगाँव : तहसिल के हज़ारों एकड़ भूमि में ; हज़ारों महुआ के पेड़ हैं। लेकिन अवैध जंगल कटाई और वनविभाग की लापरवाही के चलते इसका खामियाज़ा महुआ फूल के भरोसे पलने वाले परिवारों को भुगतना पड रहा है। क्षेत्र में महुआ फुल की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है।  महुआ फूल का व्यवसाय  ग्रामीणों को बड़े पैमाने में रोज़गार और रोज़ी रोटी का साधन बना हुआ है |
क्षेत्र में बड़े औद्योगीकरण न होने के कारण लोगों के लिए रोज़गार एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण लोग सुबह ४-५ जंगल जाकर तेंदूपत्ते के साथ-साथ महुआ फुल भी चुनते हैं। महुआ फुल चुनने वालों की माने तो ताज़े महुआ फुल खाने में काफी स्वादिष्ट लगते है।
फुल चुनने के लिए अपने घरों से लगभग ४-५ बजे जाना  पड़ता है।  अपनी अपनी पेड़ों की परिसिमाएँ सुरक्षित करने के लिए ८ दिन पूर्व बैठक ली जाती है जिसमे निर्णय होता है। ताकि किसी प्रकार के विवाद को टाला जा सके।  महुआ फुल से रंग, औषधि और शराब भी तैयार की जाती है। इसके अलावा महुआ फुल से खाद्य सामग्री भी तैयार की जाती है।
गौरतलब है की महुआ फुल को चुनने पर सरकार की ओर से पाबंदी है।  लेकिन गोंदिया के विधायक राजेंद्र जैन महुआ फुल पर लगी पाबन्दी को हटाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे है।
Mahuaa Phool  Amgaon News Photo
कुछ लोग तो लाइसेंसी है लेकिन जो लोग अवैध तरीके से महुआ फुल का इस्तेमाल कर रहे है उनपर नकेल कसने में प्रशासन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है। कुछ हद तक ही सरकार इसमें कामयाब हो पाई है। कुछ व्यवसाइयों पर अलग-अलग न्यायालयों पर तारीखें गिनना पड़ता है।  अवैध तरीके से महुआ फूलों को ;लाने ले जाने वाली चारपहिया गाड़िया थानों और वनविभाग के कार्यालयों में सड रही है।
परिसर के गरीब लोग सुबह सुबह उठकर मेहनत करते है और फुल जमा करते है लेकिन उनकी मेहनत को जमाखोर व्यवसायी सांठ गाँठ कर कम दामों में उनसे फूल खरीद लेते है। इससे इन गरीबों का नुक्सान होता है।  कम दामों में ख़रीदे गए इन महुआ के फुल को फिर महंगे दामों में बेचा जाता है। तहसील के ८५ ग्रामों की जनता ने उनके चुने महुआ फूलों का सही दम मिले इसके लिए सही प्रावधान करने की मांग जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार से की है ताकि  लोग अपने परिवार का उदरनिर्वाह कर सके।