सट्टा बाज़ार में पटोले का भाव ज्यादा
भंडारा.
लोकसभा मतदान के बाद जगह जगह “पटेल या पटोले” इनमे से कौन बाज़ी मारेगा ये चर्चा हो रही है। भंडारा-गोंदिया लोकसभा मतदार संघ के २६ उम्मीदवार में से आघाडी के प्रफुल पटेल व महायुति के नानाभाऊ पटोले में ही असली लड़ाई है। उम्मीदवार ईव्हीएम तक ही सिमित है। पटेल और पटोले दोनों के समर्थक अपने उम्मीदवार के विजयी दावा भले ही हो लेकिन असली तस्वीर तो १६ मे को वोटों की गिनती के बाद ही साफ़ होगी।
फिलहान तो दोनों पार्टी के कार्यकर्ता मतदान के आंकड़ों के आधार पर अंदाज़ लगाने का प्रयास कर रहे है। दोनों के समर्थक अपनी जीत का दावा कर रहे है। ख़ास बात ये है की सत्ता बाज़ार में भी दोनों उम्मीदवारों के नाम पर दाव लगे है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ सत्ता बाज़ार में पटोले का भाव ज्यादा है। में इन दो उम्मीदवारों के अलावा किसी दूसरे उम्मीदवार का प्रभाव नज़र नहीं आता। इसी वजह से वोटो का ध्रुवीकरण इन्ही दो उम्मीदवारों पर पर होने की उम्मीद जताई जा रही है। कोंग्रेस-राष्ट्रवादी कोंग्रेस की परंपरागत मत जिसमे प्रमुखतः दलित, आदिवासी, मुस्लिम मतों के थोड़े बहुत बाटने के कारण इसका असर चुनाव नतीजों पर ज़रूर पडेगा।
दूसरी ख़ास बात ये ही की एक तरफ प्रफुल पटेल का विकास का मुद्दा तो दूसरी तरफ मोदी की बदलाव की हवा थी। भाजपा-सेना उम्मुद्वार नाना पटोले की भूमिपुत्र के नाम से पहचान व विकास पुरुष मोदी के नाम पर मत मांगे गए। उधर प्रफुल पटेल ने चुनाव प्रचार के दौरान विकास का मुद्दा पकड़ के रखा था। जिले का इस बार का चुनाव विकास के मुद्दे पर ही टिका है। अब देखना ये है की जनता मोदी के विकास या पटेल के विकास को चुना है।
हालाकि आम लोगों की चर्चा के आधार पर अंदाज़ यही है की २५-३० के अंतर से दोनों में से कोई भी बाज़ी मार सकता है।
हर रोज़ नए नए समीकरण सामने रखे जा रहे है। ये बात भी सही है की बसपा उम्मीदवार संजय नासरे, आप उम्मीदवार प्रशांत मिश्रा व अपक्ष उम्मीदवार मोरेश्वर मेश्राम कितने मत प्राप्त करते है इसपर भी चुनाव का रिज़ल्ट टिका है। इसलिए पटोले और पटेल में से कौन जीत का जश्न मनाएगा अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी।