Published On : Thu, Apr 3rd, 2014

चिमुर में न रेललाइन बिछी, न विकास की ट्रेन चली

Advertisement

Chimur-Maharashtra-9671चिमुर: आजादी के आंदोलन में अगस्त क्रांति के लिए विख्यात चिमुर आजादी के 66 साल बाद भी विकास से कोसों दूर है. पिछले 30 सालों से चिमुर को रेलमार्ग से जोड़ने की मांग हो रही है, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस मांग को पूरा करने पर कभी ध्यान नहीं दिया.

गढ़चिरोली-चिमुर इलाके के मतदाताओं को समय-समय पर अनेक प्रलोभन तो दिए गए, मगर वास्तव में विकास कभी नहीं हो पाया. तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंहराव पिछले दिनों शहीदों को नमन करने चिमुर आए थे. उन्होंने चिमुर को रेलमार्ग से जोड़ने की घोषणा भी की थी. मगर यह घोषणा कभी पूरी नहीं हो पाई. अब मतदाता उम्मीदवारों से सवाल पूछ रहें हैं कि क्या वे इस पुरानी और न्यायोचित मांग को पूर्ण कर पाएंगे ?
गढ़चिरोली-चिमुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में वैसे तो 11 उम्मीदवार मैदान में हैं, मगर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है. निवर्तमान सांसद तो पांच सालों में एकाध बार ही चिमुरवासियों को दर्शन दे पाए.
बस एक कोयला खदान
20 साल पहले कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार चिमुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए थे. उसके बाद भाजपा के नामदेवराव दिवटे और कांग्रेस के मारोतराव कोवासे चिमुर से चुनाव जीते. सबने सिवाय आश्वासनों के जनता को और कुछ नहीं दिया. रेलमार्ग और विकास की मांग पूरी करने पर किसी ने तवज्जो नहीं दी. मुरपार में एक कोयला खदान के अलावा कोई बड़ा उद्योग यहां नहीं खुल पाया. चिमुर के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए समय-समय पर नेता यहां आते रहते हैं, मगर किसी ने भी यहां विभिन्न सुविधाएं मुहैया कराने की तरफ कभी ध्यान नहीं दिया.
GET YOUR OWN WEBSITE
FOR ₹9,999
Domain & Hosting FREE for 1 Year
No Hidden Charges
Advertisement
Advertisement