Published On : Thu, May 22nd, 2014

चंद्रपुर : सरकार को करोड़ों का चूना, याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल

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जिलाधिकारी, तहसीलदार, एसडीओ और खनन सचिव को नोटिस


भद्रावती में जारी है अवैध उत्खनन

चंद्रपुर

15 cr.
जिले के भद्रावती तालुके में कोयला उत्पादन में लगी कर्नाटक एम्टा कंपनी के विरोध में गांव के पटवारी विनोद खोब्रागड़े की पत्नी अन्नू खोब्रागड़े द्वारा दाखिल जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने जिलाधीश सहित अनेक अधिकारियों को इस सम्बन्ध में नोटिस जारी किया है. इससे पहले श्रीमती अन्नू खोब्रागड़े ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी, जहाँ उसे ख़ारिज कर दिया गया था.

न राजस्व दिया, न गांव का पुनर्वास किया
श्रीमती खोब्रागड़े ने आज 22 मई को एक पत्र परिषद में यह जानकारी देते हुए बताया कि कुछ साल पहले कर्नाटक एम्टा कंपनी ने यहां कोयला उत्पादन प्रारंभ किया था. देखते ही देखते उत्पादन का क्षेत्र बढ़ गया. ग्राम बरांज भी कंपनी के शिकंजे में आ गया. गांव को जोड़नेवाले बरांज से कढोली, बरांज से बिलोनी, बरांज से बोथाला और बरांज से सोमनाका रास्ते कंपनी के कारण बर्बाद हो गए. कंपनी ने खानों से निकलनेवाली मिट्टी सड़क बनानेवाली कंपनी एचजीपीएल को दे दी. एचजीपीएल ने इस मिट्टी से सड़क बना दी. कंपनी ने बिना जमीन का अधिग्रहण किए 354.48 हेक्टेयर (900 एकड़) क्षेत्र में उत्खनन कर डाला, लेकिन सरकार को कोल रॉयल्टी, जमीन राजस्व सहित कोई राजस्व नहीं दिया. इतना ही नहीं ग्राम बरांज का पुनर्वास अब तक नहीं किया गया है. वरोरा से चंद्रपुर रोड पर सड़क बनानेवाली कंपनी एचजीपीएल को अवैध रूप से मिट्टी की आपूर्ति की गई. इसमें सरकार को 60 से 70 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ा. श्रीमती खोब्रागड़े ने कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाने के पीछे यही कारण था.

… और ख़ारिज हो गई याचिका
जब कर्नाटक एम्टा कंपनी का मामला गूंज रहा था तभी अगस्त 2012 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. तत्कालीन न्यायमूर्ति पी. वी. हरदास और एम. आय. तहलियानी ने सितंबर से दिसंबर तक तीन सुनवाई कर याचिका मंजूर कर ली. इसके बाद मामला मुख्य न्यायाधीश पी. वी. धर्माधिकारी के पास आया. उन्होंने 27 फरवरी से 20 अगस्त 2013 तक 7 सुनवाई कर इस मामले में भद्रावती के तहसीलदार, एसडीओ वरोरा, जिलाधिकारी चंद्रपुर और गडचिरोली, खनन अधिकारी व सचिव को नोटिस दिया. अदालत ने कर्नाटक एम्टा कंपनी, मंडल अधिकारी और पटवारी को भी नहीं छोड़ा. बार-बार नोटिस देने के बाद भी जब इन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया तो इस मामले को 28 अगस्त 2013 को दूसरी बेंच को सौंप दिया गया. इस बेंच ने 555 पन्नों की इस याचिका को ख़ारिज कर दिया.

हार नहीं मानी
श्रीमती खोब्रागड़े ने हार नहीं मानी और 10 अक्तूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं. न्या. रंजन गोगोई और एन. वी. रमन्ना ने मामला दाखिल कर 6 और 8 मई 2014 को सुनवाई कर एक बार फिर भद्रावती के तहसीलदार, एसडीओ वरोरा, जिलाधिकारी चंद्रपुर और गडचिरोली, खनन अधिकारी व सचिव को नोटिस भेजा है. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधि. नरेंद्र रॉय, अधि. जे. एस. गुप्ता, अधि. मनोज गोरगेला, अधि. राकेश कुमार, अधि. मृदुला रॉय और अधि. भारत व्यास ने पैरवी की.

राजस्व की वसूली वेतन से हो : खोब्रागड़े
कर्नाटक एम्टा कंपनी ने भूमि अधिग्रहण और राजस्व के मामले में सारे नियम और कानून को तिलांजलि दे दी थी. इससे सरकार के साथ ही जनता को भी नुकसान उठाना पड़ा. इस मामले में राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर तो अपर सचिव तक सब दोषी हैं और राज्यपाल के आदेशानुसार डूबा हुआ राजस्व इन अधिकारियों के वेतन से वसूल किया जा सकता है. विनोद खोब्रागड़े ने मांग की कि कानून के मुताबिक इन अधिकारियों के वेतन से वसूली की जाए, बरांज रास्ते को खोल दिया जाए और बरांज गांव का पुनर्वास किया जाए.