ग्राम पंचायतों का सरकार पर करोड़ों बकाया
ई-पंचायत योजना का बोगस कामकाज
चंद्रपुर
केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी ई-पीआरआई प्रकल्प कुछ वर्ष पूर्व राज्य में लागू किया गया है. इसके लिए राज्य सरकार ने टाटा कंसल्टेन्सी के साथ मिलकर महाऑनलाइन नामक एक नई कंपनी बनाई थी, जिसकी मार्फ़त इस परियोजना को क्रियान्वित किया जाना था, लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत. एक अन्य निजी कंपनी की मार्फ़त इस योजना को चलाया जा रहा है. कुल मिलकर चित्र ऐसा है कि योजना चला रहे हैं सरकार के अधिकारी और कमाई हो रही है निजी कंपनी की. इतना ही नहीं, सरकार द्वारा इस योजना के तहत ग्राम पंचायतों को दिया जाने वाला हिस्सा अब तक उन्हें नहीं मिलने से ग्राम पंचायत स्तर पर भी रोष व्याप्त है.
योजना का उद्देश्य
दरअसल, ई-पीआरआई/ई-पंचायत प्रकल्प के अंतर्गत स्थानीय निकायों को कम्प्यूटर, उसे लगाने वाली सामग्री और कर्मचारी वर्ग उपलब्ध करवाया जाना था. योजना के लिए निधि की व्यवस्था तेरहवें वित्त आयोग ने की थी. उद्देश्य था-पंचायत राज संस्थाओं के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना. इसमें प्रमुख रूप से संस्थाओं की आधार सामग्री का डेटाबेस तैयार करना, उसके लिए लगने वाला आवश्यक कर्मचारी वर्ग उपलब्ध कराना, काम में एकरूपता और पारदर्शिता लाना था.
मानधन भी आधा
राज्य सरकार ने योजना को सभी जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के स्तर पर लागू कर डेटा ऑपरेटर, कम्प्यूटर विशेषज्ञ और हार्डवेयर इंजीनियर की नियुक्ति महाऑनलाइन की मार्फ़त करने का निर्णय भी लिया. कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर एक परिपत्रक तक जारी कर दिया गया. लेकिन इन पदों पर जिनकी नियुक्ति की गई उसका करार महाऑनलाइन के साथ नहीं किया गया. बताया जाता है कि जिले में डेटा ऑपरेटर की नियुक्ति कोई अन्य कंपनी ने की. इन ऑपरेटरों को सरकार द्वारा निर्धारित मानधन की बजाय आधा ही मानधन दिया जा रहा है. मजे की बात यह है कि ई-पंचायत के तहत किए जा रहे सारे काम के लिए सरकारी विभागों का पूरा इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकारी अधिकारी ही इन कर्मचारियों से काम भी लेते हैं, लेकिन कर्मचारी वर्ग की आपूर्ति के नाम पर निजी कंपनी की दादागिरी जारी है.
चंद्रपुर जिले के 50 लाख
ई-पंचायत योजना के तहत एक प्रमाणपत्र के लिए ग्राहकों से 22 रुपए 50 पैसे वसूले जाते हैं. इसमें से सरकार को 15 रुपए ग्राम पंचायत को देना था. इसी 15 रुपए में से डेटा ऑपरेटर को कुछ मुआवजा दिया जाना था. मगर जब से योजना शुरू हुई है तब से एक रुपया भी ग्राम पंचायतों को नहीं लौटाया गया है. चंद्रपुर जिले में 850 ग्राम पंचायतें हैं और यह निधि 50 लाख रुपयों के आसपास बैठती है.
श्रमिक एल्गार कराएगा एफआईआर दर्ज
श्रमिक एल्गार ने इस पूरे मामले की गहराई से जांच की मांग की है. श्रमिक एल्गार ने इस मामले को लेकर आवाज उठाई है. श्रमिक एल्गार की नेता अधि. पारोमिता गोस्वामी ने कहा है कि संगठन सभी दोषियों के खिलाफ शीघ्र ही एफआईआर दर्ज करेगा.











